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आख़िर किससे इंसाफ़ की गुहार लगाए लड़कियाँ ?

इंसाफ़ की गुहार – सुरत, कठुआ, उन्नाव, दिल्ली – भले ही दिन तारीख जगह अलग-अलग हो लेकिन हर जगह हर भारतीय लड़की के सपनों का उसकी प्रतिष्ठा का बलात्कार हुआ.

हर घटना पिछली घटना से ज्यादा दर्दनाक और वीभत्स थी. फिर भी इन बच्चियों की किसी ने ना सुनी, यहाँ तक की सरकार ने भी इनके बलात्कार को अपनी रणनीति बना लिया, तो आखिर अब किस से इंसाफ की गुहार लगाए लकड़ियां.

लड़कियों को इंसाफ दिलाने के लिए भारत में बलात्कार के मामले में फांसी की सजा की मांग तेज हो रही है. फांसी की मांग को भी नेताओं ने अपनी विजय की रणनीति बना लिया है. इस विषय को लेकर कई विचार बटे हुए हैं.

कोई इससे अपराध में कमी होने का तर्क रखता है और कोई पहले से ही मौजूद कानूनो को पर्याप्त बताता है.

जबकि देखा जाए तो भारत में लड़कियों के बलात्कार के खिलाफ़ कोई भी कानून पर्याप्त नहीं है, तो आखिर फिर क्यों इस विषय को पर आज तक कोई फैसला नहीं लिया गया, आखिर क्यों बलात्कारियों जैसे हैवानो के खिलाफ़ फांसी की सजा को पूरे भारतमें मुकम्मल करने में इतना समय लग रहा है.

राजनीति का जरिया बनाया जा रहा है देश की बहन बेटियों को –

जी हाँ कभी कठुआ में बलात्कार को मोदी सरकार के खिलाफ़ बता कर तो कभी 2012 में हुए दिल्ली बलात्कार को कांग्रेस सरकार की कमी बता कर. सभी इस विषय को अपनी रणनीति बना कर खेल रहे हैं, अन्यथा देश के इतने गंभीर अपराध में सजा मिलना इतना मुश्किल नहीं होता. हमारे देश में देखा जाए तो लड़कियों से ज्यादा गाय सुरक्षित हैं.

भारत में ये है सजा

भारत की बात करें तो यहाँ बलात्कारियों के लिए बेहद ही कमजोर कानून है, रेयरेस्ट ऑफ द रेयर मामलों में ही बलात्कारियों को फांसी की सजा हो सकती है.

यहाँ लगाए इंसाफ़ की गुहार

वैसे तो फिलहाल भारत में कोई ऐसा कानून नहीं है जिसके जरिए बलात्कार के अपराधियों को फांसी के तख्ते पर पहुंचाया जा सके, लेकिन फिर भी बलात्कार के मामले में पोक्सोएक्ट के तहत बलात्कार के दोषियों के लिए 10 साल से लेकर आजीवन उम्र कैद तक की सजा का प्रावधान है.

दिल्ली में इसी तरह का कानून पारित करने के लिए दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष अनशन पर बैठी हैं. वो एक कदम आगे जा कर बलात्कारियों को 6 महीने के भीतर फांसी देने की मांग कर रही हैं. और पूरे देश से ये जानना चाहती हैं अगर लडकियां देश के कानून या सरकार से गुहार ना लगाए तो और किस से लगाए? और सरकार से बिनती करती हैं कि इसे पॉलिटिक्स की रणनीति और धर्म का उपचार ना बनाया जाए.

दोस्तों दुनिया के अन्य देशों जैसे दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड, कनाडा, जर्मनी, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, फीलीपिंस, सिंगापुर, मलेशिया में बलात्कार की सजा इतनी ज्यादा दर्दनाक है कि कोई उसके बारे में सुनकर ही कांप उठे और वही दूसरी ओर भारत में इसकी सजा मात्र 12 साल है. रिपोर्ट्स की माने तो साल 2017 में भारत में 24789 बलात्कार के केस दर्ज किए गए थे जिनमें से 24098 केस में मुजरिम, विक्टिम का जानकार था.

इंसाफ़ की गुहार – अगर हम सभी ने आज को एक जुट होकर आवाज नहीं उठाया तो कल को यही सब आपकी बहन बेटियों के साथ भी हो सकता है, एक बार इस बारे में विचार जरूर कीजिएगा.

Shivam Rohatgi

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Shivam Rohatgi

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