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इस्लाम के नाम पर जर्मनी बवाल क्यों ?

इस्लाम के नाम

इस्लाम के नाम पर – अक्सर किसी देश को उन लोगों की संस्कृति से जाना जाता है ।

जिनकी संख्या वहां ज्यादा होते हैं और जो मूल रुप से वहीं के होते हैं।  हालांकि की कई देश ऐसे भी है जहां सभी धर्मों के लोग समान रुप से रहते हैं जिस वजह से उन्हें किसी एक धर्म की संस्कृति से जोड़कर नहीं देखा जा सकता । लेकिन कई बार धर्म और देश को लेकर लोगों और समुदायों के बीच एक दीवार खींचती नजर आती है ।

ऐसा ही कुछ इन दिनों जर्मनी में भी हो रहा है । जहां की राजनीति आजकल इस्लाम के नाम पर काफी गरमाई हुई है ।

ऐसा इसलिए क्यों जर्मनी में  मुसलमानों की बढ़ती आबादी  को देखते हुए जर्मनी में ये सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या इस्लाम जर्मनी का हिस्सा है!  वैसे तो जर्मनी में इस्लाम को अपनाने का ये मुद्दा काफी पुराना है । लेकिन इस्लाम के नाम पर जर्मनी में बवाल उस वक्त मचा जब हाल ही में जर्मनी की नई सरकार के गृह मंत्री ने एक न्यूजपेपर को बयान देते  हुए कहा कि इस्लाम जर्मनी का हिस्सा नहीं है जिसके बाद इस बयान को लेकर जर्मनी में बवाल मच गया ।

इस्लाम के नाम पर

यहां तक की सत्ताधारी पार्टी के नेता ही अपने नेता के बयान को गलत ठहराते नजर आए।

हालांकि जर्मन चांसलर ने बयान देकर साफ किया कि मुसलमानों ने जर्मनी को अपना घर बनाया है इसलिए मुस्लिम और इस्लाम जर्मन का हिस्सा है । हालांकि जर्मन चासंलर का ये बयान मुस्लिम वोट बैंकों को खोने के डर से आया था । या वो इस बात को सच में कबूलते है ये कहना मुश्किल है । वहीं गृह मंत्री जेहोफर को मुस्लिम समुदाय के खिलाफ कड़े कदम उठाने के लिए दोषी करार किया जा चुका है ।

लेकिन चिंता की बात ये है कि जर्मनी की इस्लाम को लेकर सियासत अब यहां के लोगों में घर करने लगी है ।

इस्लाम के नाम पर

आपको बता दें मुसलमान लोग मूल रुप से जर्मनी के नहीं है. इन मुस्लिम परिवारों के पूर्वज को मेहमान कारगरों क तौर पर 1960 से 1970 के दशक में जर्मनी लेकर आया गया था । जिसके बाद से ये लोग यहीं है । पहले जर्मनी में मुस्लिम समुदाय के लोगों की आबादी इतनी ज्यादा नहीं थी लेकिन पिछले कुछ वक्त में सीरिया, आफगानिस्तान और इराक से बचकर आए शरणार्थियों को पनाह देने के कारण जर्मनी में मुस्लिम समुदाय की आबादी अचानक 10 लाख से पार हो गई । जिसे लेकर ये जर्मनी में चिंता का विषय बना हुआ है ।

इस्लाम के नाम पर

सिर्फ सियासत ही नहीं जर्मनी के मूल निवासियों के लिए भी मुस्लिम समुदाय के इतने लोगों को अपनी सड़कों पर हिजाब और बुर्खा पहने हुए घूमते देखना अजीब है । और वो भी तब जब इस्लाम को लेकर दुनियाभर में एक ही तरह की विचारधारा प्रवहित हो रही  हो ।

हालांकि हम मानते है कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता । इसलिए किसी भी धर्म को आतंकवाद से जोड़कर देखना बेवकूफी है । लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए लोगों के अंदर ये धारण बन चुकी है । उन्हें इस्लामी लोगों से खतरा है । जिसे दिमाग से निकालना इतना आसान नहीं है ।और यही कारण है कि जर्मनी में इस्लाम को लेकर इतना बवाल मचा हुआ । और इस बात का हल निकालने की बजाय सरकार और विपक्ष दोनों ही वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं।