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समलैंगिक संबंध पर बाइबल का अब तक का सबसे बड़ा खुलासा ! इसाई धर्म की साजिश का पर्दाफाश!

समलैंगिक संबंध

समलैंगिक संबंध को लेकर विश्वभर में बहस हो रही हैं.

वैसे समलैंगिक संबंध पश्चिम से चलकर ही विश्वभर में फैले हैं. आज पश्चिम के अधिकतर देशों में लड़का-लड़का शादी कर रहा है और लड़की-लड़की प्यार कर रही हैं. वैसे प्यार के नजरिये से तो इसमें किसी को कोई भी एतराज नजर नहीं आता है लेकन धर्म की नजर से देखें तो यहाँ सबकुछ गलत ही नजर आता है.

पश्चिम के लोग इसाई धर्म को मानते हैं और यीशु के भक्त हैं. बाइबल इन लोगों का पवित्र ग्रन्थ हैं. तो क्या बाइबल समलैंगिक संबंध पर कुछ कहती है? तो अगर आप बाइबल पढ़ते हैं तो आपको यहाँ समलैंगिक संबंध पर भी ज्ञान मिल सकता है.

अगर आप इसाई हैं और बाइबल को मानते हैं तो आप समलैंगिक संबंध को स्वीकार नहीं कर सकते हैं. अगर आप समलैंगिक संबंध को सही मान रहे हैं तो आप इसाई नहीं हो सकते हैं.

आज हम समलैंगिक संबंध पर इसाई नजरिये से इसलिए बात कर रहे हैं क्योकि समलैंगिकता पश्चिम देशों में इसाई लोग ही ज्यादा प्रचारित कर रहे हैं.

तो आइये पढ़ते हैं कि समलैंगिक संबंध के ऊपर बाइबल क्या कहती है-

पवित्र बाइबल समलैंगिकता पर बोलती है कि

“पुरुष किसी पुरुष के साथ सम्भोग न करना जैसे कि स्त्री-स्त्री के साथ. यह तो घृणित कार्य है.”—लैव्यव्यवस्था 18:22, अ न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन.

परमेश्वर ने अपने लोगों यानी इसराएल राष्ट्र को जो नैतिक नियम दिए थे, यह नियम उनमें से एक था. यह सच है कि यह नियम उसके लोगों को दिया गया था मगर जब इसराएल के आस-पास के राष्ट्रों ने समलैंगिकता, परिवार के सदस्यों के बीच नाजायज़ लैंगिक संबंध, व्यभिचार या दूसरे अनैतिक काम किए, तो परमेश्वर ने उन राष्ट्रों को अशुद्ध समझा. (लैव्यव्यवस्था 18:24, 25)

परमेश्वर ने इन लोगों को शरीर की नीच काम-वासनाओं के हवाले छोड़ दिया. इसलिए कि उनकी स्त्रियाँ स्वाभाविक यौन-संबंध छोड़कर अस्वाभाविक यौन-संबंध रखने लगीं. उसी तरह पुरुषों ने भी स्त्रियों के साथ स्वाभाविक यौन-संबंध छोड़ दिए और पुरुष आपस में एक-दूसरे के लिए काम-वासना से जलने लगे. पुरुषों ने पुरुषों के साथ अश्‍लील काम किए.”—रोमियों 1:26, 27.

बाइबल समलैंगिक संबंध को क्यों अस्वाभाविक और अश्‍लील कहती है?

क्योंकि सृष्टिकर्ता ने इंसानों को इस तरह नहीं बनाया कि पुरुष-पुरुष के साथ और स्त्री-स्त्री के साथ यौन-संबंध रखे. समलैंगिक संबंध से बच्चे कभी नहीं पैदा हो सकते. बाइबल में समलैंगिक संबंध की तुलना उन लैंगिक संबंधों से की गयी है जो बागी स्वर्गदूतों ने नूह के दिनों में धरती पर आकर स्त्रियों के साथ रखे थे. (उत्पत्ति 6:4; 19:4, 5; यहूदा 6, 7) परमेश्वर इन दोनों संबंधों को अस्वाभाविक मानता है.

आखिर क्यों गलत है समलैंगिकता – 

समलैंगिक संबंध

अब किसी भी धर्म ने यह नहीं बोला है कि आप समलैंगिक लोगों से नफरत करें. समलैंगिकता के गलत होने का आधार ही यही है कि ईश्वर ने स्त्री-पुरुष का निर्माण किया ताकि सृष्टि का निर्माण होता रहे. किन्तु एक पुरुष दूसरे पुरुष के साथ मिलकर सृष्टि का निर्माण नहीं कर सकता है और इसी तरह से स्त्री-स्त्री मिलकर.

तो इस लिहाज से पुरुष के लिए स्त्री बनाई गयी है. किन्तु इसाई धर्म के कुछ गलत पादरियों ने अपने धर्म का ही गलत प्रचार किया और बाइबल को बिना पढ़े, समलैंगिकता को सही ठहराना शुरू कर दिया है. असल में जो इसाई लोग समलैंगिकता को अपना रहे हैं, वह लोग अपने भगवान की ही बात नहीं मान रहे हैं. इसका परिणाम यह हो रहा है कि इस तरह के लोगों को तरह-तरह की बीमारियाँ ज्यादा घेर रही हैं.

तो पश्चिमी धर्म गुरु शांत क्यों हैं?

समलैंगिक संबंध

जब बाइबल के अन्दर समलैंगिकता का विरोध है तो पश्चिम के पादरी लोग आखिर शांत क्यों हैं?

जब आप इसका जवाब खोजते हैं तो नजर आता है कि यह धर्म गुरु लोगों से बगावत के मूड में नहीं हैं. यहाँ के लोगों की मानसिकता ही समलैंगिकता को बढ़ावा दे रही है और असल में यह लोग धर्म को छोड़ सकते हैं किन्तु अपनी मानसिकता को नहीं छोड़ सकते हैं. तो यही एक बड़ी मज़बूरी है कि पादरी लोग समलैंगिकता का विरोध नहीं कर पा रहे हैं.

तो क्या समाज की मानसिकता बदल पायेगी?

समलैंगिक संबंध

समलैंगिकता पर समाज का ईलाज करना जरुरी होता जा रहा है.

असल में एक लड़का-लड़के से प्यार करे, इसमें कोई परेशानी नहीं है किन्तु आप अपनी इस सोच का प्रचार नहीं कर सकते हैं. यदि धर्म में समलैंगिकता की मनाही है तो कुछ सोच-समझ कर ही ऐसा बोला गया होगा. अब अगर खुले दिमाग से सोचें तो समलैंगिकता गलत नहीं है किन्तु वहीं धर्म के नजरिये से समलैंगिकता एक दम गलत है.

आगे आने वाले दिनों में हम समलैंगिकता पर हिन्दू धर्मों का नजरिया और साथ ही साथ इस्लाम का नजरिया आपके सामने रखेंगे और तब आपसे ही इसका जवाब हम पता करेंगे कि क्या हमारे समाज को समलैंगिकता स्वीकार करनी चाहिए या नहीं?