5. ब्रह्मचर्य के प्रयोग पर महात्मा गाँधी खुद लिखते हैं कि स्वयं पर काबू पाना मुश्किल होता था. रात को सोते समय काम वासना सताती थी और तब रात को मैं तब तक नहीं सोता था जब तक पूरी तरह से थककर चूर न हो जाऊ. जब थक जाता था कार्य करते हुए तो तुरंत लेटते ही नींद आ जाती थी. यह बात वाकई गाँधीजी ने शानदार कहीं है. यह व्यक्ति कितना सच्चा था किन्तु इस महान व्यक्ति को दिमाग खोलकर हम पढ़ ही नहीं पाए हैं.