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आजादी से खुश नहीं, दुखी थे महात्मा गांधी ! एक बड़ा खुलासा

सन 1947 को भारत आजाद हो गया था.

अक्सर महात्मा गांधी जी से पत्रकार मिलते और बातें करते थे लेकिन गांधी इन लोगों को खुश नजर नहीं आते थे.

इस बात को उनके कई करीबी लोग भी कहते थे कि गांधी जी पूरी तरह से खुश नहीं हैं. वह अन्दर से रोते हुए नजर आते हैं. लेकिन अब अगर इस बात की जांच करनी है कि क्या गांधी जी आजादी से खुश नहीं थे? आखिर क्यों वह तकलीफ में थे?

तो आज आपको बताने वाले हैं वह 5 बड़ी बातें जो गान्धी जी को तकलीफ दे रही थीं और इसी कारण से वह आजादी से खुश नहीं थे-

1.  देश का नेतृत्व सहीं हाथों में नहीं था

इस बात की प्रमाणिकता उनकी कलम से मिलती है. वह अपने लेखों में इस बात का जिक्र करते थे कि देश का नेतृत्व सही होना चाइये. साथ ही साथ अगर आप उनके कई नजदीकी लोगों की पुस्तकें पढ़ेंगे तो पता चलेगा कि वह उस समय के प्रधानमंत्री से भी खुश नहीं थे.
 
2.  रामराज्य का कोई जिक्र नहीं कर रहा था

गाँधी जी को रामराज्य से काफी प्यार था. वह चाहते थे कि देश में आजादी के बाद रामराज्य की कल्पना को साकार किया जाये. वह इस बात को कई बार सरकार से बोल भी चुके थे लेकिन तब सरकार जीत के नशे में चूर थी. रामराज्य की बात कोई नहीं कर रहा था.

3.  गरीब और गरीब हो रहा था

गरीब की हालत अंग्रेजों के समय जैसे थी वह आजादी के बाद तो और खराब होने लगी थी. यह देख गांधी जी अन्दर से टूट गये थे. वह काफी दुखी थे. सरकार कोई भी अच्छा कार्य इनके लिए नहीं कर रहे थे इसलिए वह आजादी से खुश नहीं थे.

4.  दंगे और पाकिस्तान

गांधी जी जितने दुखी भारत के लिए थे उतने ही दुखी पाकिस्तान के लिए थे. पाकिस्तान की हालत तो हिन्दुस्तान से और भी खराब थी. वह कई बार इसको अपने खास लोगों से कहते भी थे कि जिस तरह से दोनों देशों का बंटवारा किया गया था वह मात्र एक धार्मिक कट्टरता का परिणाम मात्र थी. विकास के नाम पर लोग ठगे गये हैं.

5.  भारत-पाक दुश्मनी

गांधी जी खबर हो चुकी थी कि पाकिस्तान अब भारत पर हमला करेगा और यह दुश्मनी अब खत्म नहीं होने वाली है. महात्मा गांधी जी परेशान थे कि आखिर हमने आजादी ले तो ली है लेकिन यह तो आजादी है ही नहीं.

गाँधी जी ने कई बार इसका जिक्र भी किया है कि अभी भी हम आजाद नहीं हुए हैं और वह समझते थे कि अभी लोगों के बुरे दिन खत्म नहीं हो पाए हैं. शायद यही कारण थे कि वह अन्दर से टूट चुके थे.

Chandra Kant S

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Chandra Kant S

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