Categories: विशेष

आजादी के लिए तड़प रहा शिव स्थान, कैद में है यहाँ शिव, आखिर क्यों हैं यहाँ के लोग खानाबदोश

इस स्थान को शिव-पार्वती का घर माना जाता है.

सदियों से देवता, दानव, योगी, मुनि और सिद्ध महात्मा यहां तपस्या करते आए हैं.

आज बेशक यह क्षेत्र दूसरों के कब्जे में है लेकिन सदियों पहले यहाँ भारत का ही राज बताया जाता है. आज यहाँ भगवान शिव को कैद कर लिया गया है. यहाँ जाने के लिए अब वीजा की जरूरत होती है.

हमारी कुछ गलतियों के चलते यह सब हुआ है.

जी, हम बात कर रहे हैं तिब्बत की क्योकि इसी तिब्बत पर हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान पड़ता है जिसे हम कैलाश मानसरोवर के नाम से जानते हैं. आज यह चीन के कब्जे में है. तिब्बत की आजादी की लड़ाई पिछले काफी सालों से जारी है.

क्या हुआ था तब

1950 में जब चीन की सेना तिब्बत में घुसी और चामदो में उसने तिब्बत की सेना को परास्त कर दिया, तभी से चीन ने छल-बल से तिब्बत पर अवैध कब्जा जमा रखा है. यह कब्जा अवैध इसलिए है कि 23 मई 1951 की जिस संधि के तहत तिब्बत की तत्कालीन सरकार ने तिब्बत को चीन के बृहत परिवार का अंग मान लिया था, उस संधि के प्रावधानों का चीन की सरकार ने बार-बार उल्लंघन किया. वह संधि तिब्बत में सामंती और साम्राज्यवादी अवशेषों को खत्म करने के लिए चीन की सेना का सहयोग देने और लेने के लिए की गई थी, पर उसकी बिना पर खुद चीन ने तिब्बत में एक सामंती और साम्राज्यवादी शासन की नींव रख दी. तिब्बत अपने सुदीर्घ इतिहास में पहली बार एक गुलाम देश बना. आठ ही वर्षों में तिब्बत की जनता का इस कदर दमन किया गया कि तिब्बत के धर्मगुरु और सम्राट दलाई लामा को अपना वतन छोड़ कर पलायन करना पड़ा. उन्होंने चीन की किसी जेल में सड़ने से आत्मनिर्वासित जीवन बिताना उचित समझा. उन्होंने भारत में शरण ली.

तिब्बती लोग बन गये हैं खानाबदोश

आज तिब्बती लोग खानाबदोश लोगों की तरह जिंदगी गुजारने पर मजबूर हैं. अधिकतर तिब्बती जो आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे अब वह लोग भारत में शरण लिए हुए हैं. ज्ञात हो कि तिब्बत में बोद्ध धर्म है और वहां हिंसा का सहारा नहीं लिया जाता है. इसलिए किसी भी तरह का हिंसात्मक आन्दोलन आजादी के लिए नहीं चल रहा है. लेकिन आज जिस तरह से तिब्बत कैद में है, उसी तरह से हिन्दू भगवान शिव को भी कैद हो रखी है.

हिन्दू भक्त नहीं मिल सकते हैं अब अपने भगवान से

हिन्दू भक्त हर साल कैलाश मानसरोवर की यात्रा करते तो हैं लेकिन यह संख्या निश्चित है.

चीन की सरकार से पहले यहाँ यात्रा के लिए अनुमति लेनी पड़ती है. यहाँ जाने वाले लोगों की संख्या चीन तय करत है. वीजा के बाद यह यात्रा शुरू होती है और सुविधाओं के नाम पर कोई भी चीज चीन नहीं देखता है.

इतिहास गवाह है कि तिब्बत चीन का अंग नहीं था.

देश में किसी भी राजनैतिक पार्टी ने इस विषय को मुद्दा नहीं बनाया है. लेकिन शायद अब वक़्त आ गया है कि शिव भगवान के इस स्थान को आजाद कराकर भक्तों को राहत दी जाए. साथ ही साथ जो लोग खानाबदोशों की जिंदगी जी रहे हैं उनकी भी घर वापसी हो इसलिए तिब्बत की आजादी के लिए अब आवाज उठानी ही होगी.

Chandra Kant S

Share
Published by
Chandra Kant S

Recent Posts

इंडियन प्रीमियर लीग 2023 में आरसीबी के जीतने की संभावनाएं

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) दुनिया में सबसे लोकप्रिय टी20 क्रिकेट लीग में से एक है,…

2 months ago

छोटी सोच व पैरो की मोच कभी आगे बढ़ने नही देती।

दुनिया मे सबसे ताकतवर चीज है हमारी सोच ! हम अपनी लाइफ में जैसा सोचते…

3 years ago

Solar Eclipse- Surya Grahan 2020, सूर्य ग्रहण 2020- Youngisthan

सूर्य ग्रहण 2020- सूर्य ग्रहण कब है, सूर्य ग्रहण कब लगेगा, आज सूर्य ग्रहण कितने…

3 years ago

कोरोना के लॉक डाउन में क्या है शराबियों का हाल?

कोरोना महामारी के कारण देश के देश बर्बाद हो रही हैं, इंडस्ट्रीज ठप पड़ी हुई…

3 years ago

क्या कोरोना की वजह से घट जाएगी आपकी सैलरी

दुनियाभर के 200 देश आज कोरोना संकट से जूंझ रहे हैं, इस बिमारी का असर…

3 years ago

संजय गांधी की मौत के पीछे की सच्चाई जानकर पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक जाएगी आपकी…

वैसे तो गांधी परिवार पूरे विश्व मे प्रसिद्ध है और उस परिवार के हर सदस्य…

3 years ago