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4,30,000 साल पहले दुनिया में हुई थी सबसे पहली हत्या !

सबसे पहली हत्या

सबसे पहली हत्या – आज कलयुग के इस दौर में हर इंसान एक-दूसरे का दुश्मन बना बैठा है. ऐसे में अपहरण, चोरी, बलात्कार और मर्डर जैसी घटनाएं आम बात है.

लेकिन आज से 4,30,00 साल पहले की बात करें तो असंभव सा लगता है कि उस समय भी किसी ने किसी की हत्या की थी, जो सबसे पहली हत्या थी –

जैसे-जैसे विज्ञान के तरक्की की रफ्तार तेज होती गई वैसे-वैसे ही दुनिया में क्राइम भी बढ़ता चला गया. अब तक हमारी सोच के मुताबिक जब दुनिया में साइंस का बोलबाला नहीं था तभ इंसान एक-दूसरे से मिल जुल कर रहते होंगे. उनके बीच दुश्मनी जैसी कोई बात नहीं होती होगी. लेकिन दुनिया में होने वाले सबसे पहले मर्डर की गुत्थी जैसे ही सुलझी हमारे इस सोच पर पूर्ण विराम लग गया.

आज से 4,30,00 साल पहले इस दुनिया में सबसे पहली हत्या – सबसे पहले इंसान की हत्या हुई थी. इस दुनिया का सबसे पहला मॉडल कहां जाना गलत नहीं.

सबसे पहली हत्या

स्पेन के एक वैज्ञानिक दल ने हाल ही में 4,30,000 साल पहले की इंसान की खोपड़ी ढूंढ ली है. और इसी के साथ इन वैज्ञानिकों ने दुनिया में होने वाले सबसे पहली हत्या के रहस्य को सुलझा लिया है. इस तरह सबसे पहली हत्या के रहस्य से पर्दा उठने का मतलब है कि पहले के कई राज और साथ ही उन दिनों के कार्य शैली को भी सुलझाने में मददगार होती है.

स्पेन के वैज्ञानिकों के दल ने इंसानी खोपड़ी की तलाश की है. उन खोपड़ी में कई तरह के घातक घाव के निशान देखने को मिले हैं. इन घावों को देखने से उन दिनों के अंत्येष्टि प्रथाओं के बारे में जानकारी मिलती है. बता दें कि इस अनुसंधान में वर्घिंगमटन यूनिवर्सिटी के मानवविज्ञानी रोल्फ क्वाम और साथ हींं कई लोगों ने एक साथ मिलकर इस कार्य को अंजाम दिया है. इस अनुसंधान को पुरातात्विक स्थल सीमा द लोस हुएसोस जोकि उत्तर स्पेन का भाग है वहां किया गया है.

एक भूमिगत गुफा की खुदाई से स्पेन के वैज्ञानिकों ने इस खोज की शुरुआत की थी. खुदाई के दौरान टीम को 28 लोगों के अवशेष प्राप्त हुए थे. वैज्ञानिकों का मानना है कि मानव के अवशेष 4,30,000 साल पहले के हैं.

जहां ये अवशेष पाए गए वहां तक पहुंचने का रास्ता काफ़ी कठिनाइयों भरा है. 13 मीटर गहरे खड़े गढ्ढे में ये अवशेष मिले हैं. वैज्ञानिक खुद इस बात से अचंभित हैं कि आखिर कोई कैसे जमीन के इतने नीचे शवों को लेकर जाता होगा.

वैज्ञानिकों का मानना है कि इन अवशेषों की मदद से उस समय के अंत्येष्टि प्रथाओं के बारे में काफी कुछ पता लगाया जा सकता है. बता दें कि वैज्ञानिकों के द्वारा इस रिसर्च की जानकारी पीएलओएस वन जर्नल में दी गई थी.