ENG | HINDI

भारत पर होना था आर्थिक हमला उससे पहले मोदी ने कर दिया ये काम

आर्थिक हमला

नरेंद्र मोदी सरकार ने काले धन पर जो आर्थिक सर्जिकल स्ट्राइक की है उसके पीछे एक बडा कारण देश में फैला नकली नोटों को आपराधिक कारोबार है.

देश में दुश्मनों द्वारा नकली करेंसी भेजकर भारत की अर्थव्यवस्था पर चुपचाप हमला करने की तैयारी चल रही थी.

लेकिन जैसे ही मोदी सरकार को इसकी भनक सूचना मिली उसने इस पर कार्रवाई शुरू की जो करीब एक वर्ष से हो रही थी.

लेकिन 2015 में एनसीआरबी  यानी  राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की गृहमंत्रालय को सौपी गई. रिपोर्ट से जब यह जानकारी सामने आई कि देश की राजधानी दिल्ली में सबसे अधिक नकली नोट पकड़े गए है तो सरकार भी हैरान रह गई. जांच एजेंसियों ने पिछले तीन महीने में नकली नोटों के 65 कंसाइनमेंट भारत में पकड़े हैं, जिनके तार इंटरनेशनल रैकेट से जुड़े थे. जिसमें पाकिस्तान, बांग्लोदश के साथ चीन से भी भारत में नकली नोट पहुंचे थे.

देश पर आर्थिक हमला करने की तैयारी चल रही है वह भी इतने बड़े पैमाने पर इसको जब भांपा गया, तो तय हुआ कि छोटे मोटे एनकाउंटर से अब बात नहीं बनने वाली.

अब सर्जिकल स्ट्राइक करे बिना काम नहीं चलेगा.

आपको जानकर हैरानी होगी कि राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस, जांच एजेंसियां और भारतीय रिजर्व बैंक ने 2012 और 2014 के बीच 125.18 करोड़ रुपये के नकली नोट जब्त किए थे.

महाराष्ट्र में 2012-2013 के दौरान इस मामले में 702 एफआईआर हुए थे और 561 लोगों को 14.54 करोड़ रुपये के साथ पकड़ा गया था.

रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली के बाद महाराष्ट्र इस मामले में दूसरे नंबर पर रहा. महाराष्ट्र में 2012 में 1000 के 12.817 नकली नोट पकड़े गए, तो वहीं 2014 में इसका तीन गुना ज्यादा 1000 के 35.357 नकली नोट पकड़े गए.

जबकि उत्तर प्रदेश तीसरे नंबर, तमिलनाडु चौथे नंबर, कर्नाटक पांचवे नंबर, गुजरात छठवें नंबर और आंध्र प्रदेश सातवें नबर पर रहा.

इस फैसले के पीछे कई कारण हैं जिनमें से एक कारण पाकिस्तान को भी बताया जा रहा है. एनआइए के एक पूर्व अधिकारी का कहना है कि भारत की अर्थव्यवस्था में कई सौ करोड़ रुपए के नकली नोट हैं.

भारत में सबसे ज्यादा नकली नोट पाकिस्तान की तरफ से भेजे जाते थे. रॉ, राजस्व खुफिया और सीबीआइ निदेशालय की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ और पाक सेना को भारत में जाली नोटों के चलन से लगभग 500 करोड़ रुपए सेज्यादा का सालाना मुनाफा होता है.

जिनका इस्तेमाल आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए किया जाता था.

यही नहीं अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम भी हवाला और नकली नोटों के जरिए ही भारत की अर्थव्यवस्था पर आर्थिक हमला कर रहा था.

बांग्लादेश बॉर्डर पर महज 18 हजार रुपए में एक लाख के नकली भारतीय नोट मिलते हैं. पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के बांग्लादेश में बैठे एजेंट्स ने आर्थिक हमला करने के लिए, भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने के लिए नकली नोटों का यही रेट फिक्स कर रखा है.

पिछले साल नकली नोटों के एक कंसाइनमेंट के पकडे जाने से ये खुलासा हुआ कि सीमा पर ही नहीं देश के शहरों और गांवों में तक नकली नोटों का जाल बिछाया जा रहा है.

यही कारण है कि सरकार को विदेश में जमा काले धन से पहले देश के भीतर काले धन के कारोगार पर कार्रवाई करने का फैसला करना पड़ा.

Article Categories:
राजनीति