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भाई गिरी में भी महिलाए नहीं पीछे, भारत की महिला डॉन

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भारत में स्त्रियों को देवी समान माना जाता है.

फिर भी आये दिन स्त्री पर अत्याचार की बाते सुनने को मिल ही जाती है. किसी को दहेज़ के लिए जला दिया गया तो किसी के साथ बदसलूकी की खबरें आती ही है.

हम भारतीय स्त्री कि बात जब भी करते है, तब उनके संस्कार और लज्जा में छिपा चेहरे  सामने आते है. किंतु जब इन्ही स्त्रियों पर जमाने का कहर गिरता है, तो ये खतरनाक रूप लेती है. यही कारण है, अब इस आधुनिक दौर में महिलाएं अपराध की दुनिया में मर्दों का मुकाबला करने से नहीं डरती है.

इन महिलाओं के खिलाफ जालसाजी, धोखाधड़ी, अपहरण और खून के मामले दर्ज हैं.

भारत की अनेक महिला डौन को पकड़ने के लिए इंटरपोल ने दुनियाभर में नोटिस जारी किए हुए हैं.

महिलाएं डॉन क्यों बनती है?

जो महिलाएं अपने माफिया पति के नक़्शे कदम पर चली वो एक डॉन बनी और जो इस दुनिया से सताई गई है वो भी डॉन बनती है. कुछ ऐसी भी महिलाएं है, जिन्हें दौलत और रुतबे की चाह ने अपराध की दुनिया में आने के लिए आकर्षित किया है.

किस्सा एक डॉन महिला का

ठाणे के उपनगरीय इलाकों में आतंक का पर्याय रहा सुरेश मंचेकर पुलिस मुठभेड़ में मारा गया. सुरेश की होटल व्यवसायियों और भवन निर्माताओं के बीच जबरदस्त दहशत कायम थी. उस ने हफ्ता वसूली और सुपारी ले कर हत्याएं करता था, न केवल मुंबई में बल्कि गोआ, हैदराबाद और मध्य प्रदेश में अकूत संपत्ति बनाई थी. सुरेश मंचेकर जब मुंबई में नहीं होता था तो उस गिरोह की बागडोर उस की बूढ़ी मां लक्ष्मी और पत्नी सुप्रिया के हाथों में हुआ करती थी.

ऐसा ही कलाकारा मोनिका बेदी के साथ हुआ. मोनिका बेदी जब बालीवुड में काम पाने के लिए संघर्ष कर रही थी और उसे कोई भी निर्माता घास नहीं डाल रहा था तब अबू सलेम ने उसकी मदद की थी. अबू के धमकाने पर मोनिका को एक नहीं कई फिल्मों में काम मिला था. अबू सलेम के इस एहसान से मोनिका इस कदर दब गई कि बिना आगा पीछा सोचे ही वह अबू के हर काम में उसका साथ देने लगी थी.

बड़ी डॉन महिला

१. जेनाबाई दारूवाली

यह वो महिला है जो बीसवीं सदी के तीसरे दशक आने तक वह डोंगरी में आज़ादी की लड़ाई में महात्मा गांधी के आंदोलन में शरीक हुई थी.उसके पती उसको बेरहमी से इस लिए पीटा क्यों कि उन दिनों चल रहे आन्दोलन में उसने एक हिंदु की जान बचाई थी. डोंगरी में अपने व्यवसाय में भारी नुकसान के चलते जेनाबाई ने दारु का धंधा सुरु किया. उनके आस पास के इलाकों पर ऐसी पकड़ थी की पुरुष माफिया उससे सलाह लेते थे.

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२. गंगूबाई

गंगुबाई ने अपने प्यार में धोखा खाया और खुद को एक कोठे पर पाया.

नियति का यही निर्णय गंगुबाई ने स्वीकार किया और भावनाओ को भूल वह एक कठोर धंधे वाली बन गई. उसकी यह कठोरता ने उसे मुंबई के कमाठीपुरा में डॉन बना दिया. वेश्या व्यवसाय को बंद करने के लिए कार्य वाही चलने लगी थी तब वेश्याओं ने आन्दोलन छेड़ दिया, कहा जाता है की तब प्रधानमंत्री नेहरू से इस मसले पर बात करने गंगूबाई गई थी.

वहा पर नेहरू ने गंगुबाई से निवेदन किया कि उसे अच्छी नौकरी और पति मिलेगा. इस पर जवाब देते हुए गंगू बाई ने नेहरु को शादी का प्रस्ताव रखा. नेहरु गुस्से से लाल हो गए तब गंगुबाई ने सरल सी बात कही कि “उपदेश देना आशान, और उस पर अमल करना बहुत ही मुश्किल होता है”.

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३. अशराफिबी उर्फ़ सपना

पति के खून के पीछे अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद का हाथ है, यह बात जैसे ही सपना को पता चली उसने अपनी कमर कस ली.

अपने पति के प्यार में दीवानी अशरफ़ के दर्द में डूब गई थी. बदले की आग ने उसे मार्शल आटर्स और बंदूक सिखने पर मजबूर किया. कोई उसे पकड़ ना पाए इस लिए उसने अपना नाम सपना रखा. अपना एक गिरोह बनाके उसने दाउद को ललकारा.

किंतु दाऊद को इससे कोई फर्क नहीं पडा.

सपना ने दाऊद तक पहुचने के लिए कई पापड बेले और अपराध किए. दाऊद को शारजहाँ के क्रिकेट स्टेडियम में मारने के लिए उसने काफी रेकी और प्लान किया. लेकिन उसके एक पंटर ने यह बात छोटा शकील तक पहुचाई और उसने सपना के स्तनों और गुप्तांगों पर 22 बार चाकू से हमला किया और मार गिराया.

४. फूलन देवी

चम्बल की रानी जिसके किस्से आज भी उत्तर भारत में काफी लोक प्रिय है.

इसी लोकप्रियता के चलते फूलन पर एक हिंदी सिनेमा आया था तब से वह वॉन्टेड क्वीन के नाम से प्रसिद्ध हो गई. समाज ने जो कहर उस पर ढाया उसका बदला लेने के लिए एक स्त्री से वह डॉन बनी और पश्चाताप के बाद वह राजनीति में भी छाई रही.

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५. सीमा परिहार

छोटी उम्र में सीमा का अपहरण होने के बाद उसका जीना दुश्वार हो गया था.

फूलन से प्रेरणा लेते हुए सीमा ने अपना एक गिरोह बनाया और अपहरण, लूट पात जैसे कई अपराध किए. गुन्हाओं को देश के सामने रखने के लिए छोटे परदे के प्रसिद्ध कार्यक्रम बिग बॉस में भी दिखाई दी थी.

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ऐसी और भी बहुत सारी महिलाएं है जो समाज से सताए जाने के बाद माफिया बनी.

महिलाओं पर बढ रहे अत्याचारों को देखते हुए, ऐसा लगता है कि महिला डॉन बनने का यह सिलसिला अभी जारी रहेगा.