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हिंदी दिवस : हिंदी भाषा के महान कवि और उनकी प्रसिद्ध कवितायेँ

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सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला ’

Nirala

जैसे हम हैं वैसे ही रहें,
लिये हाथ एक दूसरे का
अतिशय सुख के सागर में बहें।
मुदें पलक, केवल देखें उर में,-
सुनें सब कथा परिमल-सुर में,
जो चाहें, कहें वे, कहें।
वहाँ एक दृष्टि से अशेष प्रणय
देख रहा है जग को निर्भय,
दोनों उसकी दृढ़ लहरें सहें।

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