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फर्स्ट प्रेगनेंसी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य.

माँ बनने का एहसास दुनिया के सभी एहसासों में से सबसे ज्यादा सुखद और सबसे पवित्र एहसास होता हैं.

किसी भी स्त्री के लिए पहली बार माँ बनना जितना रूहानी होता है उससे कही ज्यादा दिलचस्प भी होता है. फर्स्ट प्रेगनेंसी को लेकर जितनी उत्सुकता घर के बाकि लोगों को होती हैं उससे कही अधिक होने वाली माँ को भी होती हैं.

लेकिन प्रेगनेंसी से जुड़े ऐसे कई तथ्य है जिसे मिथ्या कहा जा सकता हैं लेकिन वह लोगों के मष्तिष्क में बहुत गहरे बैठे है परन्तु वह सारी बातें असल में मान्यताएं है कोई तर्क पूर्ण तथ्य नहीं.

आईएं आज हम आपको फर्स्ट प्रेगनेंसी से जुड़ी ऐसी ही कुछ बातें बतायेंगे जो बड़ी दिलचस्प हैं.

1.  बच्चें के बाल-

प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को एसिडिटी या गैस की तकलीफ होना बहुत सामान्य सी बात हैं लेकिन इस विषय में एक बेतुकी सी मान्यता यह है कि पेट के अंदर बच्चे के बाल बढ़ने से गैस और सीने में जलन जैसी समस्या उत्त्पन्न होती हैं जबकि यह बात बिलकुल गलत है. महिला को इसी समस्या से बचने के लिए अपने खानपान में ध्यान रखना ज़रूरी होता हैं.

2.  लड़का होगा या लड़की-

ऐसी मान्यता है कि यदि गर्भावस्था के दौरान माँ की नाक में सुजन है तो होने वाला बच्चा लड़की होगी और यदि नाक सामान्य है तो लड़का होगा. लेकिन यह सारी बातें असल में केवल मान्यताएं है. इनके पीछे कोई तथ्य नहीं हैं. डॉक्टरों के अनुसार नाक में आई सुजन हार्मोन्स के कारण होती हैं. गर्भावस्था के समय रक्तसंचार तेज़ होकर शरीर के मष्तिष्क वाले हिस्से में ज्यादा होता हैं इसलिए नाक में सुजन नज़र आती हैं.

3.  जन्म का समय-

इस विषय को लेकर यह मान्यता है कि यदि पहला बच्चा है तो वह अवश्य ही डुय डेट के बाद होगा. यह बात लगभग हर केस में देखी गयी लेकिन यह असल में बिलकुल सही नहीं हैं.असल में बच्चे का जन्म माँ के मासिक चक्र पर निर्भर करता हैं. यदि किसी महिला को मासिक धर्म 28 दिन के बाद ही आते है तो बच्चा डुयडेट क बाद होगा. वही यदि स्त्री को मासिक धर्म 28 से पहले आता हैं तो बच्चे के जन्म होने की संभावना वक़्त से पहले भी हो जाती है और यदि किसी स्त्री का मासिक धर्म बिलकुल 28 दिन में आता है तो बच्चा बिलकुल तय समय पर ही जन्म लेता हैं.

4.  बच्चे का वजन-

ऐसी मान्यता है कि मोटे और बड़े बच्चे ही स्वस्थ होते बिलकुल गलत हैं. बच्चों का मोटा या ओवरवेट होना स्वास्थ की निशानी नहीं हैं बल्कि बच्चा तंदरुस्त और सक्रीय होना ज़रूरी हैं तभी वह स्वस्थ माना जायेगा.

ये बात ज़रूर हैं कि यह सारी मान्यताएं पुरानी और कई दिनों से हमारे बीच में चली आ रही हैं. लेकिन पुरानी और कई दिनों चले आने का मतलब ज़रूरी नहीं है कि वह सभी की सभी सही भी हो. इसलिए आप भी ऐसी मानयताओं के पीछे की असल वजह जानने की कोशिश करे उसके बाद ही इन्हें अपनाएं.

Sagar Shri Gupta

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