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ये आवाज़ बता रही है आत्महत्या के समय अकेला नहीं था पूर्व सैनिक

रामकिशन की आत्महत्या

पूर्व सैनिक की आत्महत्या के मामले में नए नए खुलासे होने के साथ अब ये सवाल भी उठने लगा है कि कहीं पूर्व सैनिक रामकिशन की आत्महत्या के पीछे कोई साजिश तो नहीं थी।

क्योंकि आत्महत्या से पहले रामकिशन का अपने बेटे से फोन पर की गई आखिरी बार बातचीत की जो रिकार्डिंग सामने आई है उसमें बातचीत के दौरान एक जगह दो आवाजे सुनाई पड़ रही है। जिसमें एक व्यक्ति जहर खाए रामकिशन को बता रहा है कि उसको परिवार से क्या कहना है। फोन में जिस व्यक्ति की अस्पष्ट आवाज आ रही है उससे ये तो पता चल रहा है कि वह कुछ बातें रामकिशन से कहलवाना चाह रहा है कि उसको आगे क्या कहना है। रामकिशन भी उसकी बात के जवाब में हाँ हाँ कहता सुनाई पड़ रहा है।

यह आवाज इतनी अस्पष्ट है कि समझ में नहीं आ रही है कि वह रामसिंह से परिवार को क्या संदेश दिलवाने का प्रयास कर रहा है। लेकिन उससे इतना तो साफ है कि वह व्यक्ति जो रामसिंह से कहलवाना चाह रहा था वह उसकी बात न कहकर अपनी ही बात कहे जा रहा था। संभावना है कि जो व्यक्ति फोन पर बातचीत के वक्त रामसिंह के साथ था उसके पास आत्महत्या से पूर्व उसकी आत्महत्या के लेकर जरूर कोई जानकारी है। जो अभी तक सामने नहीं आ पाई है।

क्योंकि इस पूरे मामले में कुछ ऐसे सवाल हैं जिनके उत्तर मिले बिना रोककर इस मामले की सच्चाई का पता नहीं लगाया जा सकता है।

सबसे बड़ा सवाल तो है कि रामसिंह के पास आत्महत्या में प्रयुक्त सल्फास आया कहां से। क्योंकि दिल्ली में जिस जगह पर रामसिंह था उस इलाके में दूर दूर तक सल्फास नहीं मिलता है।

तो फिर सल्फास आया कहां से ?

क्योंकि इस मामले में शक की एक अन्य वजह यह भी है कि जैसा कि बताया जा रहा था कि रामसिंह अपने साथियों के साथ वन रेंक वन पेंशन को लेकर रक्षा मंत्री को ज्ञापन देने के लिए गया था। लेकिन वहां मुलाकात नहीं होने के कारण उसने हताशा में जहर खाकर आत्म हत्या कर ली। जबकि रक्षा मंत्रालय का दावा है कि वह वहां तक आया ही नहीं। यदि ऐसा होता तो उसका नाम आगंतुक की लिस्ट में अवश्य होता।

लेकिन इस बीच सवाल है कि जब वह अपने साथियों के साथ रक्षा मंत्रालय के लिए गया था तो फिर वहां तक पहुंचा क्यों नहीं?

यदि गया था तो उसने जब जहर खाया तो उसके बाकी साथी कहां थे ?

उस समय वे क्या कर रहे थे?

लेकिन जब रामसिंह जहर खा लेता है तो उसके साथी उसके पास आ जाते हैं और बजाए इसके कि उसकी जान बचाने के लिए उसको अस्पताल लेकर जाते वे उसको पार्क में बैठाकर उसके घर फोन से उसकी बात कराते हैं।

दूसरी ओर वन रेंक वन पेंशन को लेकर दिल्ली के जंतर मंतर पर आंदोलन कर रहे पूर्व सैनिकों का कहना है कि रामसिंह का वन रेंक वन पेंशन से कोई सीधा मतलब नहीं था और न ही वह उनके जंतर मंतर पर चल रहे उनके धरने से जुड़ा था। रामकिशन की आत्महत्या की वजह को लेकर एक राय नहीं है।

जबकि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी रामकिशन की आत्महत्या लेकर सरकार के सामने आ गए हैं।

उन्होंने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जहां पूर्व सैनिक को शहीद का दर्जा दे रहे हैं। वही भाजपा रामकिशन को लेकर एक से एक तर्क दे रही है। लेकिन रामकिशन की आत्महत्या को लेकर हो रही सियासत में उसकी मौत की असल वजह पीछे चली गई है।

वहीं रक्षा मंत्रालय के सूत्र इलरे पीछे कुछ और कहानी बता रहे हैं। उनके मुताबिक रामकिशन ने पेंशन के लिए आत्महत्या नहीं की बल्कि उन्हे आत्महत्या के लिए उकसाया गया था। और इसी आधार पर बीजेपी इस बात की जांच की बात कह रही है कि ये जानना जरूरी है कि रामकिशन ने आत्महत्या किन परिस्थितियों में की।

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सूत्रों का कहना है कि इस बात की जानकारी लेना जरूरी है कि रामकिशन की आत्महत्या के वक्त उनके साथ कौन था। किसने रामकिशन को जहर उपलब्ध कराया। क्या कोई ऐसा था जिसने रामकिशन की मानसिक स्थिति का फायदा उठा लिया। ऐसे कई सवाल है जो इस पूरे मामले को लेकर सवाल पैदा कर रहे हैं

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