Categories: विशेष

इस कारण अधर्मी दुर्योधन महान बन गया था.

कहा जाता हैं कि पूरे महाभारत काल में यदि कोई सबसे अधिक अधर्मी था तो वह दुर्योधन था. दुर्योधन की धूर्तता के कई किस्से महशूर हैं, लेकिन इतने अधर्म और कपटता के बाद भी दुर्योधन आखिर में क्यों महान बन गया?

महाभारत में बात चाहे सिंहासन की हो या चौसर के खेल की या फिर भरी सभा में द्रौपदी को लाकर उसका चीरहरण करने की, हर जगह दुर्योधन अपने भाईयों और अपने मामा शकुनी के साथ मिलकर पांडवों से उनका अधिकार छिनने का प्रयास करता था. इतने सारे कपट, इतने सारे अधर्म यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के साथ करता, तो उसे नरक में भी जगह नहीं मिलती.

दुर्योधन के द्वारा किया गया कार्य सिर्फ अधर्म की श्रेणी में आता था इसलिए दुर्योधन अधर्मी कहलाया.

परन्तु इतने सारे बुरे कामों के बाद भी महाभारत युद्ध के दौरान घटी एक घटना ने दुर्योधन को महान बना दिया.

आईएं आप को बतातें हैं दुर्योधन से जुड़ी एक घटना जिससे वह महान हो गया.

महाभारत का युद्ध शुरू हुए कुछ दिन गुज़र चुके थे और जैसे जैसे दिन निकल रहे थे वैसे वैसे कौरवों की शक्ति भी कम होती जा रही थी. अपनी सेना की कमज़ोर स्थिति देखकर दुर्योधन क्रोधित होता हुआ पितामह भीष्म के पास पंहुचा क्योकि पूरी कौरव सेना के सेनानायक उस वक़्त पितामह भीष्म थे. दुर्योधन का उन पर क्रोध करना लाज़मी था. काफी देर बात करने के बाद भी जब दुर्योधन को युद्ध में कौरवों की वापसी का कोई खास उपाय नज़र नहीं आया तब उसने पितामह भीष्म पर आरोप लगाया कि आप पांडवों से लगाव के चलते पुरे मन से युद्ध नहीं लड़ रहे हैं.

दुर्योधन के इस आरोप पर भीष्म नाराज़ होकर पांच ऐसे तीर निकाले, जिसमे इतनी शक्ति थी कि पांडवों की मृत्यु निश्चित थी. दुर्योधन उन तीरों को लेकर कल के युद्ध के लिए निकल गया. भगवान् श्री कृष्ण को तीरों वाली बात ज्ञात हो गयी तो उन्होंने तुरंत अर्जुन को दुर्योधन द्वारा दिया गया एक वरदान का स्मरण कराया और कहा की जाओ पार्थ और उससे वह पांचो तीर ले कर आओं.

श्रीकृष्ण की बात सुनकर अर्जुन दुर्योधन के शिविर पंहुचा और वनवास के दौरान उसके द्वारा मिले एक वरदान का स्मरण कराया और कहा कि भ्राता आप को याद हैं जब हम वनवास में थे तब आप हम पर नज़र रखने के लिए वन में आ गए थे. दुर्योधन ने हां में जवाब दिया फिर अर्जुन कहा कि किसी दिन कुएं में जब आप स्नान कर रहे थे तभी गंधर्व राजकुमार भी वहा आकर नहाने लगे. आप राजकुमार की इस हरकत से क्रोधित होकर उन्हे अपमानित किया तो राजकुमार ने आप को बंधी बना लिया. फिर भ्राता युधिष्टिर ने आपकी ऐसी हालत देखकर मुझसे कहा की जाओ राजकुमार गंधर्व से कहो की  दुर्योधन को मुक्त कर के जाने दे. तब राजकुमार गंधर्व मेरी बात सुनते हुए आपको मुक्त कर दिया था. मेरी इस सहायता से आपने मुझे एक वरदान मांगने को कहा था और आज मैं वही वरदान लेने आया हूँ आपसे. मुझे वरदान में  भीष्म पितामह से मिले वह पांच तीर चाहिए.

अपने वरदान के चलते दुर्योधन ने तुरंत पाँचों तीर अर्जुन को सौपा दिया और इस एक त्याग के कारण महान बन गया लेकिन इसके बाद महाभारत का क्या परिणाम हुआ यह सब आप तो जानते ही हैं.

Sagar Shri Gupta

Share
Published by
Sagar Shri Gupta

Recent Posts

इंडियन प्रीमियर लीग 2023 में आरसीबी के जीतने की संभावनाएं

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) दुनिया में सबसे लोकप्रिय टी20 क्रिकेट लीग में से एक है,…

2 months ago

छोटी सोच व पैरो की मोच कभी आगे बढ़ने नही देती।

दुनिया मे सबसे ताकतवर चीज है हमारी सोच ! हम अपनी लाइफ में जैसा सोचते…

3 years ago

Solar Eclipse- Surya Grahan 2020, सूर्य ग्रहण 2020- Youngisthan

सूर्य ग्रहण 2020- सूर्य ग्रहण कब है, सूर्य ग्रहण कब लगेगा, आज सूर्य ग्रहण कितने…

3 years ago

कोरोना के लॉक डाउन में क्या है शराबियों का हाल?

कोरोना महामारी के कारण देश के देश बर्बाद हो रही हैं, इंडस्ट्रीज ठप पड़ी हुई…

3 years ago

क्या कोरोना की वजह से घट जाएगी आपकी सैलरी

दुनियाभर के 200 देश आज कोरोना संकट से जूंझ रहे हैं, इस बिमारी का असर…

3 years ago

संजय गांधी की मौत के पीछे की सच्चाई जानकर पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक जाएगी आपकी…

वैसे तो गांधी परिवार पूरे विश्व मे प्रसिद्ध है और उस परिवार के हर सदस्य…

3 years ago