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अंग्रेजों के लिए ‘दुर्गा’ थी यह भाभी, बम-पिस्तौल से था खेलने का शौक

दुर्गा भाभी नाम की विरांगना

दुर्गा भाभी नाम की विरांगना – देश को आजादी दिलाने के लिए देश के बहुत से वीरों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए।

भगत सिंह, चंद्र शेखर आजाद, भगवती चरण वोहरा जैसे कितने ही वीर थे जिन्होंने कभी भी भारत माता के लिए प्राणों की आहूती देने से पीछे नहीं हटे। इन वीरों में एक वीरांगना भी थी जो क्रांतिकारियों के हर कदम पर उनके साथ थी।

क्रांतिकारियों में दुर्गा भाभी नाम की विरांगना अंग्रेजों के लिए मां दुर्गा का दूसरा अवतार थी। इनके पति को क्रांतिकरी संगठन हिंदुस्तान रिपब्लिकन सोशलिस्ट एसोसिएशन का मास्टर ब्रेन माना जाता है वहीं दुर्गा भाभी को बैकबॉन कहा जाता था। दुर्गा भाभी का असली नाम दुर्गा देवी वोहरा है। भगवती सिंह वोहरा की पत्नी होने के कारण क्रांतिकारी साथी उन्हें दुर्गा भाभी कह कर बुलाते थे।

क्रांतिकारी भगत सिंह के साथी भगवती सिंह वोहरा को कौन नहीं जानता। भगवती सिंह देसी बम बनाने में एक्सपर्ट थे वहीं वो अच्छे रणनीतिकार भी थे। लार्ड इरविन को भी बम से उड़ाने की रणनीति वोहरा ने ही बनाई थी।

वोहरा के पिता अंग्रेज सरकार में अच्छे पद पर थे इसलिए वो पूरी तरफ खुल कर देश के लिए काम नहीं कर पा रहे लेकिन पिता की मृत्यु के बाद ही वो पूरी तरह से अपनी पत्नी के साथ देश को आजाद कराने की क्रांति में कूद गए।

बम बनाते हुए वोहरा भारत मां के लिए शहीद हो गए तब दुर्गा भाभी नाम की विरांगना ने उनकी जगह ले ली। दुर्गा भाभी इतनी बहादुर थी कि क्रांतिकारियों के लिए राजस्थान से हथियार लेकर आती थी। सुभाष चंद्र बोस से लेकर सभी क्रांतिकारी दुर्गा भाभी नाम की विरांगना से ही हथियार मंगवाते थे।

दुर्गा भाभी नाम की विरांगना सिर्फ क्रांतिकारियों को हथियार ही नहीं देती थी बल्कि खुद भी अंग्रेजों को गोलियों से छन्नी करने की ताकत रखती थी।

गवर्नर हैली पर भी हमला करने का साहस 9 अक्टूबर 1930 को दुर्गा भाभी ने दिखाया। उन्होंने गवर्नर हैली और उनके साथियों पर अंधाधुन गोलियां बरसानी शुरु कर दिया। दुर्गा भाभी के गोलियों का शिकार बम्बई पुलिस कमिश्नर से लेकर सैनिक अधिकारी टेलर तक हुए।

शहीद भगत सिंह जब कोर्ट जा रहे थे तब भी दुर्गा भाभी ने ही अपने खून से उनका तिलक किया था। क्रांतिकारियों के शहीद होने के बाद दुर्गा भाभी ने एकांतवास अपना लिया और अपने बेटे को पालने में लग गई। इस दौरान वो देश के कई हिस्सों में रही।

इस विरांगना ने 97 वर्ष की आयु में देहत्याग दिया और इस तरह देश की बहादुर विरांगना ने हमें अलविदा कह दिया।