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एक डाॅक्टर जो आज भी करता है मात्र दो रुपये में इलाज

दो रुपये में इलाज

दो रुपये में इलाज – कहते हैं कि कोई इंसान तभी सुखी होता है जब उसके पास  अच्छी सेहत  होती है।

लेकिन आज के वक्त में अच्छी सेहत के लिए हजारों पैसे खर्च करने पङते है । बीमार होने से पूरे घर का बजट बिगङ जाता है। क्योंकि आजकल दवाइयों की  कीमत तो आसमान छु ही रही है साथ ही डाॅक्टर फीस भी कम नहीं है। ऐसे में अगर आप को कोई ये कहे कि एक डाक्टर ऐसे भी है जो दो रुपये में इलाज करते हैं तो क्या आप यकीन कर पाएंगे ।

नहीं ना । लेकिन जिन डाॅक्टर के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं वो उस कहावत को पूरा करते हैं कि डाक्टर भगवान का रुप होता है।

67 साल के डाॅक्टर थीरुवेंगडम वीराराघवन पिछले 45 साल से चेन्नई के लोगो का दो रुपये में इलाज कर रहे हैं। उन्होंने अपनी नि स्वार्थ चिकित्सा सेवा देने की शुरुआत सन 1973 में शुरू की थी तब से डाॅ वीराराघवन लोगों का दो रुपये में इलाज कर रहे हैं। डाॅ वीराराघवन के जीवन में बहुत परेशानियाँ आई पर उन्होंने अपनी नि:स्वार्थ  को देना कभी नही छोङा । चेन्नई  में 2015  में आई बाढ में डाॅ वीराराघवन का सब कुछ तबाह हो गया था जिस जगह वो इलाज करते थे वो स्थान भी पानी में डूब गया था । लेकिन डाॅ वीराराघवन ने हार नहीं मानी । और न ही  अपनी फ्री सेवा को देना छोङा। इतनी उम्र होने के बावजूद भी डाट वीराराघवन सुबह 8 बजे से रात के 10 बजे तक लोगो का इलाज करते हैं। डाॅ वीराराघवन की दरियादिली के कारण लोगो ने कई बार उन्हें फीस बढाने को भी कहा। लेकिन डाॅ वीराराघवन ने फीस नही बढाई यहाँ तक कि वो किसी किसी मरीज से 2 रुपये भी नहीं लेते ।

दो रुपये में इलाज

लेकिन डाॅ वीराराघवन की ये दरियादिली बाकी डाक्टर्स के लिए मुसीबत बन गई जिस वजह से डा वीराराघवन के खिलाफ बाकी डाक्टर्स ने विरोध प्रदर्शन किया और धमकाने की कोशिश भी की ।

बाकी डाक्टर्स ने डाॅ वीराराघवन को अपनी फीस कम से कम 100 करने को कहा । लेकिन डाॅ वीराराघवन किसी की कहा सुने वाले । वो मरीजो का इलाज 2 रुपये में कर रहे हैं। डाॅ वीराराघवन के साथ पढे दूसरे डाक्टर्स बङे हास्पिटलस में और  विदेशो में कार्यरत  हैं लेकिन वीराराघवन को इसे कोई फर्क नहीं पङता।

वैसे आपको बता दें डाॅ वीराराघवन एक कार्पोरेट  हास्पिटल में एसोसिएट फेलो की पोस्ट पर भी कार्यरत हैं जिसे उनका घर चलता है। वीराराघवन के अनुसार उन्हें संकल्प लिया था कि वो अपने पेशे को पैसे कमाने का जरिया नहीं बनाएंगे। और उसी संकल्प पर वो आज भी डंटे है।