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धुनी रमाने से प्राप्त होती हैं शक्तियां ! आग के बीच में बैठे कई चमत्कारी बाबा

धुनी रमाने से प्राप्त होती हैं शक्तियां

बाबा महांकाल की नगरी उज्जैन में महाकुंभ मेले का आयोजन किया जा रहा है.

हर 12 सालो में आयोजित होने वाले इस महाकुंभ की हिन्दू धर्म में अलग महत्वता है.  इस वर्ष उज्जैन में 22 अप्रैल से लेकर 29 मई इस महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है.

जिसमे देश भर से लाखो श्रद्धालुओं के साथ बड़ी संख्या में साधु भी पधारे हुए हैं. उज्जैन कुम्भ के रंग में रंगा हुआ नजर आ रहा है. भारत के असली रंग और असली संस्कृति यहाँ देखने को मिल रही है.

उज्जैन में इस मेले के अन्दर ही एक जगह ऐसी भी है जहाँ कुछ बाबा धुनी रमाने पर बैठे हुए हैं. धुनी रमाने से प्राप्त होती हैं शक्तियां …

यह हठ योग भी कुछ ऐसा वैसा नहीं है, आप यदि देख लेंगे तो आपकी आँखें खुली की खुली रह जायेंगी. बाबा के सर पर मिट्टी के बर्तन में आग चल रही है और बाबा कई घटों से तपस्या में लीन है.

यहाँ सबसे बड़ी आश्चर्यजनक बात यह है कि जब बाबा तपस्या कर रहे हैं तो वह किसी छत के नीचे नहीं बैठे हुए हैं बल्कि खुले में बैठे हैं जहाँ सूरज भी खूब आग उगल रहा है.

तापमान कुछ 40 के आसपास पहुंचा हुआ है और यहाँ उज्जैन की इस गर्मी में कुछ 10 बाबा धुनी रमाने पर बैठे हुए हैं. सभी ने अपने चारोँ तरफ आग लगा रखी है जिसमें वह कई दिनों तक बैठने वाले हैं.

लेकिन अब सवाल यह उठता है कि आखिर इस तरह की तपस्या से इनको क्या हासिल होने वाला है कि वह इस तरह की हठ तपस्या पर बैठे हुए हैं.

क्या होता है हठ योग

मानव हृदय में स्थित प्राण (जीवनी शक्ति) ही ग्रह, नक्षत्र, सूर्य-चंद्र की गति को नियंत्रित करता है तथा वायु, विद्युत, चुम्बकत्व, प्रकाश, उष्मा, रेडियो-तरंग इत्यादि शक्तियों में अभिव्यक्त होता है.

धुनी रमाना सबसे कठिन तप

धुनी रमाने को साधू संत सबसे कठिन तप मानते हैं. कहते हैं कि इसको पूरा होने में कुछ 18 साल लगते हैं लेकिन अब कोई इसको पूरा कर लेता है तो वह संत कई तरह की शक्तियों को भी प्राप्त कर लेता है.

इसके अन्दर साधु एक स्थान पर बैठते हैं और अपने चारों ओर कंडे या उपलों का घेरा बना लेते हैं. इस घेरे में बैठकर इन उपलों में आग लगा दी जाती है. जलते हुए कंडों के कारण भयंकर धुआं होता है और कंडों की गर्मी भी साधु को सहन करनी पड़ती है. और अधिक शक्तिशाली तपस्या करने के लिए सर के ऊपर मिट्टी के बर्तन में आग रख ली जाती है.

इसी तरह से अपने इष्ट भगवान को प्रसन्न किया जाता है और कहते हैं कि नवरात्रों में माता रानी को खुश करने के लिए भी इस तरह के क्रियाकलाप किये जाते हैं.