धर्म और भाग्य

देवताओं के सामने थे कई लाख विदेशी मुस्लिम! क्या हुआ जब लड़े थे मुस्लिम सैनिकों से प्रकट हुए देवता

आपने भारतीय शास्त्रों में ऐसी कई कहानियां सुनी होंगी, जिनमें देवता और राक्षस एक-दूसरे पर जमकर बरसते हैं और एक-दूसरे को मारते हैं.

भारत वैसे भी चमत्कारों का देश रहा है.

आज जो कहानी हम आपको बताने वाले हैं उसके ऊपर यकीन करना बहुत आसान नहीं है.

आज विज्ञान का दौर है और हम आपको एक चमत्कार की कहानी बताने वाले हैं.

यह कहानी उन दिनों की है जब भारत पर विदेशी मुस्लिम लोग इसलिए हमला कर रहे थे क्योकि उनको भारत से खजाना लूटना था और यहाँ शासन करना था. यह कहानी असम की है, जहाँ एक बार एक मुस्लिम शासक कुछ एक लाख लोगों की सेना लेकर बढ़ रहा था और तभी ना जाने कहाँ से एक सेना प्रकट होती है और सभी मुस्लिम सैनिकों को मार देती है. बाद में लोग इस सेना को देवताओं की सेना बोलने लगते हैं. इन देवताओं की सेना ने असम को कभी भी मुस्लिम शासकों के कब्जे में आने नहीं दिया.

तो आइये आज हम आपको देवताओं और विदेशी मुस्लिम सेना की इस लड़ाई का पूरा-पूरा घटनाक्रम और परिणाम बताते हैं-

कौन था वो मुस्लिम शासक?

इतिहास की किताबों में यह कहानी 13 वी शताब्दी के जुडी हुई बताई गयी है. आपको बेशक यह कहानी झूठी लगे, लेकिन इतिहास में यह कहानी भी है और इससे जुड़े तथ्य भी है. सबूत के तौर पर आप पुस्तक भारतीय संघर्ष का इतिहास पढ़ सकते हैं. इसके लेखक डा. नित्यानंद हैं.

यह पुस्तक बताती है कि सन 1333 में मोहम्मद बिन तुगलक ने एक लाख की बड़ी सेना लेकर मैमन सिंह में प्रवेश किया था और कामरूप राज्य पर आक्रमण किया. कामरूप की सेना इतनी सक्षम नहीं थी कि वह तुगलक की इतनी बड़ी सेना को हरा सके. एक बार तो ऐसा लगने लगा था कि अब तुगलक कामरूप राज्य पर कब्जा कर लेगा.

तभी एक चमत्कार होता है और कामरूप के राजा नारायण सिंह को अहोम सेना का सहयोग प्राप्त हो जाता है और तुगलक की सेना को मिट्टी में मिला दिया जाता है.

अहोम वंश ने इस्लाम को बढ़ने से रोक दिया था –

असल में अहोम को सभी लोग (खासकर उत्तर पूर्व के लोग) देवताओं की सेना बोलते थे. यह सेना उत्तर बर्मा से असम में आई थाई और इसने मुस्लिम शासकों को कभी भी असम और आसपास के क्षेत्रों में आने नहीं दिया. अहोम मूलतः शान जाति के थे. अहोम राज्य के संस्थापक सुकाफा ने पहले तो असम के पूर्वी भाग पर कब्जा किया था लेकिन बाद में अहोम ने मुस्लिमों से ही संघर्ष किया. अहोम ने हिन्दुओं को जोड़ने का काम किया और हर युद्ध में विदेशी लोगों को नानी याद दिला दी थी.

अगर इस्लाम उस समय बर्मा, थाईलैंड और हिन्द चीन में नहीं फैल पाया था तो उसका कारण यह अहोम ही थे.

अहोम थी देवताओं की सेना?

अहोम का इतिहास आज तो बर्मा से जुड़ा हुआ बता दिया जाता है लेकिन उस समय अहोम को देवताओं की सेना बोला जाता था.

लोग बोलते थे कि ना जाने ये सेना कहाँ से अवतार बनकर आ गयी है. शुरुआत में तो अहोम ने असम पर भी कब्जा किया था किन्तु जब इन्होनें हिन्दुओं को एकजुट किया और मुस्लिमों को हराया तो सभी की समझ में आने लगा कि आखिर क्यों अहोम को भगवान ने यहाँ भेजा था.

असल में 13 शताब्दी में कई मुस्लिम शासकों को असम में आने से किसी ने रोका है तो वह अहोम की सेना ही होती थी.

किन्तु आज के बाद अहोम के सही इतिहास को लोगों तक नहीं जाने दिया. तो अब आज आप समझ गये होंगे कि अहोम की सेना को क्यों देवताओं की सेना बोला जाता था. तो अब अहोम के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाने का काम आप भी करें.

Chandra Kant S

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Chandra Kant S

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