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रिसर्च में खुलासा सच है मनु के जल प्रलय की घटना – ऐसे डूब गई थी दुनिया !

हम आज तक जिस मनु के समय आए जल प्रलय की घटना के बारे में सुनते और पढ़ते आए हैं उसको लेकर रिसर्च में एक बड़ा दावा किया गया है.

कहा गया है कि मनु के समय आए जल प्रलय की घटना कोई काल्पनिक या मिथक नहीं है. बल्कि ये सत्य घटना है.

हाल ही में जाने माने पुरातत्व विशेषज्ञ बीबी लाल ने मनु के समय आए जल प्रलय को लेकर एक चौंकाने वाला दावा किया है. लाल ने अपने रिसर्च पेपर में दावा किया है कि जल प्रलय को लेकर हम बचपन से लेकर आज तक जिस पौराणिक कथा को सुनते आए हैं वह प्रमाणिक है न कि मात्र कोई सुनी सुनाई दंत कथा.

आप को बता दें कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक रह चुके लाल अयोध्या पर लिखी अपनी पुस्तक के लिए भी जाने जाते हैं. और उन्होंने हाल में जल प्रलय को लेकर जो रिसर्च किया इस संबंध में अपना रिसर्च पेपर भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद  द्वारा आयोजित एक सेमिनार में पेश किया गया.

शोध पत्र में पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर मनु के समय आए जल प्रलय को सरस्वती नदी के गायब होने से जोड़कर दिखाया गया है. गौरतलब है कि कुछ समय पहले तक वामपंथी इतिहासकार सरस्वती नदी को भी मिथक मानते रहे हैं.

लेकिन जब इसको ने इसको खोज निकाला और वैज्ञानिक आधार पर उसकी पुष्टि हो गई तो अब जाकर दुनिया सरस्वती के अस्तित्व को स्वीकार करने लगी है.

बहराल, रिसर्च पेपर में बताया गया है, पुरातात्विक रूप से सरस्वती की भारी बाढ़ 2000-1,900 ईसा पूर्व के आसपास या फिर दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व के पहले चरण में आई थी. मनु के जल प्रलय का भी ठीक यही वक्त था जो दूसरी सहस्राब्दि ईसा पूर्व के शुरू होने से पहले और ऋग्वेद के बाद का है.

गौरतलब हो कि पद्म अवॉर्ड से सम्मानित बीबी लाल इसे लेकर एक किताब लिख रहे हैं. इसके पहले उनकी पुस्तक राम, उनकी ऐतिहासिकता, मंदिर और सेतु साहित्य, पुरातत्व और अन्य विज्ञान को लेकर काफी हंगामा हुआ था क्योंकि उसमें अयोध्या की बाबरी मस्जिद के नीचे हिंदू मंदिर का ढांचा होने की बात कही गई थी.

बता दें कि भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला एक शोध संस्थान है.

पहली सहस्राब्दि ईसा पूर्व पुरातनता, निरंतरता और सभ्यता और संस्कृति के विकास विषय पर आधारित यह तीन दिवसीय इस सेमिनार में जिस प्रकार बीबी लाल ने मनु के समय आए जल प्रलय को लेकर खुलासा किया है उससे आने वाले समय में इस बहस को ओर बल मिलेगा और इसको लेकर ओर शोध किए जाने की उम्मीद है.

Vivek Tyagi

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