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क्यों बेटी ने अपने माता-पिता राखी और गुलज़ार को मिलाने का प्रयास नहीं किया !

गुलज़ार और राखी

क्यों बेटी ने अपने माता-पिता राखी और गुलज़ार को मिलाने का प्रयास नहीं किया !

अपने ज़माने की ख़ूबसूरत हीरोइन राखी और गीतकार गुलज़ार की बेटी मेघना गुलज़ार किसी परिचय का मोहताज़ नहीं है.

गुलज़ार और राखी की बेटी एक बेहतरीन निर्देशिका हैं. कला उनके ख़ून में है. कई बार बॉलीवुड के गलियारों में हलचल मचती रही है कि आख़िर दो पर्सनालिटी अलग कैसे हो गईं. इतना ही नहीं कई बार तो ये भी सवाल उठता रहा कि आख़िर गुलज़ार और राखी की बेटी मेघना ने इस बारे मों कोई पहल क्यों नहीं की.

मेघना की अपनी अलग राय है.

मेघना कहती हैं कि जब दो लोग आपस में सुख और शांति के साथ रह नहीं सकते, तो बेहतर है कि वो सुकून से अलग-अलग रहें. मेघना आगे कहती हैं कि इस दुनिया में सबको अपने तरीक़े से जीने का हक़ है. मैं कौन होती हूं उनकी लाइफ में दखल देने वाली.

बचपन में मैंने अपने माता-पिता के साथ कुछ वक़्त बिताएं हैं. वो समय बहुत ही अजीब थे. हालांकि बहुत जल्दी दोनों अलग हो गए थे, फिर भी मुझे कभी इस बात का एहसास नहीं हुआ कि मेरे दो घर हैं, क्यों कि दोनों जगह मेरे सारे सामान रखे हुए थे.

मेरी मां और पापा, दोनों अच्छे पैरेंट्स हैं, लेकिन शायद पार्टनर अच्छे नहीं हैं. दोनों का साथ रहना उतनी ही मुश्किल है, जैसे दो धुरी. दोनों अलग-अलग ही सही तरह से रह रहे हैं.

मैं ये जानती हूं कि तकलीफ़ दोनों तरफ़ है. मेरे पापा बेहद नेक और नरम दिल इंसान है. जब वो मेरे बच्चे के साथ समय बिताते हैं तो मैं अपने बचपन की कल्पना करती हूं. मां से अलग होने पर उन्हें भी तकलीफ़ है और मेरी मां को भी. न जानें मैंने कितनी बार पापा को रंगीन कपड़े ख़रीदकर दिए, लेकिन पापा सफ़ेद कुर्ता-पायजामा के बजाय कुछ भी पहनना पसंद नहीं करते. अपनी लाइफ के कोरे पन्नों के साथ वो जीना सीख लिए हैं.

उनकी ज़िंदगी में किसी तरह की रौनक नहीं है. दोनों को मिलाने का प्रयास करने का मतलब था उनकी आत्मा को चोट पहुंचाना, क्योंकि दोनों तरफ़ से मिलने की आस नहीं दिखी कभी. दोनों ने अपने अकेलेपन को काम के बोझ से भर लिया है.

औलाद होने के नाते मुझे कई बार इस बात का एहसास हुआ कि मेरे माता-पिता को एक साथ रहना चाहिए, लेकिन किसी की आत्मा को चोट पहुंचाकर आप अपनी ख़ुशी पूरी नहीं कर सकते.

गुलज़ार और राखी का नाम जब भी लिया जाएगा साथ ही लिया जाएगा, लेकिन अफ़सोस दोनों साथ कुछ साल भी नहीं गुज़ार पाए.

अब इसे विधि का विधान ही कहेंगे कि अपने-अपने कला के माहिर ये दोनों अपनी निजी ज़िंदगी को संवार नहीं पाएं.