विशेष

जानिए किन खतरनाक रसायनों के इस्तेमाल से बनाए जाते हैं दिवाली के पटाखे !

दिवाली के पटाखे – हर साल दिवाली की रात जगमगाते दीयों की रौशनी और रंग बिरंगे पटाखों की गूंज से गुलजार होती है. क्या बच्चे, क्या बड़े हर कोई दिवाली की रात पटाखे फोड़ता है और दिवाली का जश्न मनाता है.

फुलझड़ी, बम, रॉकेट, अनार और चकरी जैसे कितने ही प्रकार के पटाखे फोड़कर लोग दिवाली सेलिब्रेट करते हैं. हालांकि पटाखों से पर्यावरण के साथ-साथ कई बेजुबान जानवरों को भी नुकसान पहुंचता है.

इन पटाखों से जोर-जोर की आवाज के साथ रंग-बिरंगी रौशनी निकलती है, जिसके लिए हानिकारक रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है और पटाखों को बनाने की प्रक्रिया भी काफी खतरनाक होती है.

तो चलिए हम आपको बताते हैं कि दिवाली के पटाखे बनाने के लिए किन खतरनाक रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है.

रौशनी के लिए डाले जाते हैं रसायन

दिवाली के पटाखे फोड़ते वक्त आपने देखा होगा कि हवाई पटाखे फटने के बाद आसमान में रंग-बिरंगी रौशनी बिखेरते हैं. पटाखों से निकलनेवाली रंग-बिरंगी रौशनी के लिए अलग-अलग तरह के रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है. इन रसायनिक तत्वों की वजह से पटाखों से अलग-अलग रंगों की रौशनी निकलती है.

बेरियम नाइट्रेट

जिन पटाखों में से हरे रंग की रौशनी निकलती है उसके लिए बेरियम नाइट्रेट यानी अनकार्बनिक रसायन का इस्तेमाल किया जाता है. ये रसायन विस्फोटक पदार्थ का काम करता है और बारुद के साथ मिश्रित होने के बाद यह हरे रंग में बदल जाता है. इस रसायन से बने पटाखों का ज्यादातर इस्तेमाल आतिशबाजी के लिए किया जाता है.

सीजियम नाइट्रेट

जिन पटाखों से लाल रंग की रौशनी निकलती है उनमें सीजियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किया जाता है. इस रसायन को जब बारूद के साथ मिलाया जाता है तो यह लाल रंग में तब्दील हो जाता है. इस रसायन से तैयार पटाखों में आग लगाने पर इससे लाल रंग की रौशनी निकलती है. इस रसायन का इस्तेमाल अनार और रॉकेट बनाने में किया जाता है.

सोडियम नाइट्रेट

बारुद के साथ सोडियम नाइट्रेट मिलाने पर यह गाढ़े पीले रंग का हो जाता है. सोडियम नाइट्रेट के इस्तेमाल से बनाए गए पटाखों को जलाने के बाद उनमें से गाढ़े पीले रंग की रौशनी निकलती है. इस रसायन का इस्तेमाल तकरीबन हर तरह के पटाखों में किया जाता है लेकिन चकरी में इसका इस्तेमाल ज्यादा होता है.

गौरतलब है कि दिवाली के पटाखे इन रसायनों को मिलाने के बाद उनमें से तरह-तरह की रंग-बिरंगी रौशनी निकलती है जो पल भर के लिए अच्छी तो लगती है लेकिन पर्यावरण के लिए ये रसायन नुकसानदायक होते हैं. इसलिए कहा जाता है कि दिवाली को पटाखों से नहीं बल्कि दीयों की रौशनी से रौशन करें.

Anita Ram

Share
Published by
Anita Ram

Recent Posts

इंडियन प्रीमियर लीग 2023 में आरसीबी के जीतने की संभावनाएं

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) दुनिया में सबसे लोकप्रिय टी20 क्रिकेट लीग में से एक है,…

2 months ago

छोटी सोच व पैरो की मोच कभी आगे बढ़ने नही देती।

दुनिया मे सबसे ताकतवर चीज है हमारी सोच ! हम अपनी लाइफ में जैसा सोचते…

3 years ago

Solar Eclipse- Surya Grahan 2020, सूर्य ग्रहण 2020- Youngisthan

सूर्य ग्रहण 2020- सूर्य ग्रहण कब है, सूर्य ग्रहण कब लगेगा, आज सूर्य ग्रहण कितने…

3 years ago

कोरोना के लॉक डाउन में क्या है शराबियों का हाल?

कोरोना महामारी के कारण देश के देश बर्बाद हो रही हैं, इंडस्ट्रीज ठप पड़ी हुई…

3 years ago

क्या कोरोना की वजह से घट जाएगी आपकी सैलरी

दुनियाभर के 200 देश आज कोरोना संकट से जूंझ रहे हैं, इस बिमारी का असर…

3 years ago

संजय गांधी की मौत के पीछे की सच्चाई जानकर पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक जाएगी आपकी…

वैसे तो गांधी परिवार पूरे विश्व मे प्रसिद्ध है और उस परिवार के हर सदस्य…

3 years ago