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इस डांसिंग गर्ल पर है पाकिस्तान का दिल !

डांसिंग गर्ल

पाकिस्तान ने मोहनजोदड़ो की खुदाई में मिली कांसे की एक प्रतिमा ( डांसिंग गर्ल ) को भारत से वापस देने की मांग की है।

पाकिस्तान का दावा है कि यह उसकी विरासत है जिस पर भारत ने अवैध रूप से कब्जा किया हुआ है। पाकिस्तान राष्ट्रीय कला परिषद के निदेशक सैयद जमाल शाह का कहना है कि यह मूर्ति सिंध से निकली है। जिस कारण इस पर उसका दावा बनता है। लेकिन वह आज भारत के कब्जे में हैं।

गौरतलब है कि 10.5 सेंटीमीटर लंबी और करीब 4,500 साल पुरानी यह अद्भुत कलाकृति 1926 में पुरातत्व वेत्ता अर्नेंस्ट मैके को सिंध में प्राचीन शहर मोहनजोदड़ों की खुदाई के दौरान मिली थी।

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उस समय भारत पर ब्रिटेन का कब्जा था। जिस कारण इस डांसिंग गर्ल की प्रतिमा को नई दिल्ली स्थित नेशनल म्यूजियम को सैाप दिया गया था। जो आज भी वहां सुरक्षित और सहेज कर रखी गई है। लेकिन 1947 में जब देश का विभाजन हुआ तो कलाकृतियों का विभाजन नहीं हुआ था। क्योंकि उस समय पाकिस्तान निर्माताओं की दिलचस्पी सत्ता में थी न कि कलाकृतियों में।

पाक राष्ट्रीय कला परिषद के निदेशक का कहना है कि इस संबंध में पहली बार भारत सरकार से कोई मांग की जा रही है और डांसिंग गर्ल को वापस मांगने का उद्देश्य विरासत की रक्षा करना है।

जो पाकिस्तान अपना इतिहास 47 के बाद से शुरू करता है उसे अब अचानक से अपनी विरासत को लेकर होश आया है और वह अपना इतिहास बंटवारे के बाद खोजने की कोशिश कर रहा है। यही कारण है कि जिस भारत की सांस्कृतिक विरासत और कलाकृतियों से पाक को कभी मतलब नहीं रहा अब वह उन पर दावा ठोंक रहा है।

इस डांसिंग गर्ल – अद्भुत कलाकृति के बारे में ब्रिटिश पुरातत्ववेत्ता मार्टिमर व्हीलर ने कहा था कि पूरी दुनिया में इस अद्भुत कलाकृति जैसा कोई नहीं है। बता दें कि इस कांसे की एक प्रतिमा के मिलने के बाद ही दुनिया को पता चला कि सिंधु सभ्यता के कलाकार धातुओं को मिलाना और उन्हें ढालना बखूबी आता था।

यही नहीं, इस सभ्यता के लोगों धातुकर्म के अन्य तकनीकी पहलुओं के बारे में भी गहराई से पता था। उन्हें नृत्य का इतना सटीक ज्ञान था जैसे कि बाएं पैर का आगे की ओर झटका देना और पिछले पैर का दाहिनी ओर झुके होगा हाथों की मुद्राएं, चेहरे के हाव-भाव और उठा हुआ सिर, नृत्य में लग्नता दिखाते हैं।

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