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पाकिस्तान को अब अपनी गुलामी का डर सताने लगा है !

पाकिस्तान योजना आयोग के सचिव युसुफ नदीम खोकर ने जब पाक सांसदों को यह बताया कि सीपीईसी यानी चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे में चीनी निवेश की बजाय ज्यादातर स्थानीय संसाधनों का ही इस्तेमाल किया जा रहा है तो सांसदों के होश उड़ गए.

उनको लगता है कि जिस प्रकार विश्व के हालात उसके विपरीत जा रहे हैं और पाकिस्तान में चीन का दलख दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है उसको देखते हुए कहीं पाकिस्तान को अपने कब्जे में लेने की ड्रैगन कोई चाल तो नहीं.

भारत को काउंटर करने के लिए पाकिस्तान की चीन पर बढ़ती निर्भरता को लेकर वहां के कई सांसदों ने सरकार को आगाह किया है कि यदि देश के हितों की रक्षा नहीं की गई तो 46 अरब डॉलर की लागत वाला चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) एक और ईस्ट इंडिया कंपनी में तब्दील हो सकता है. क्योंकि सीपीईसी को लेकर चीन से जो भी कर्ज लिया गया है, वह पाकिस्तान की गरीब जनता से वसूला जाएगा. मालूम हो कि ईस्ट इंडिया कंपनी भी भारत में इसी प्रकार करती थी. वह अपनी व्यापारिक जरूरतों को पूरा करने के लिए जो भी खर्च करती थी या सड़कों, रेल मार्गों के विकास के नाम पर जो भी कर्ज लेती थी उसको भारत की गरीब जनता से ही वसूला जाता था.

योजना एवं विकास पर सीनेट स्थायी समिति के अध्यक्ष एवं सीनेटर ताहिर मशादी ने कहा है, चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा के रूप में एक और ईस्ट इंडिया कंपनी तैयार है. राष्ट्रीय हितों की हिफाजत नहीं की जा रही. हमें पाकिस्तान और चीन के बीच दोस्ती पर गर्व है लेकिन देश का हित पहले हैं.

अग्रेंज जिस प्रकार ईस्ट इंडिया कंपनी बनाकर भारत में दाखिल हुए थे और उन्होंने बाद में मनमानी व्यापारिक शर्ते थोपकर पूरे भारत वर्ष को अपने कब्जे में ले लिया था, उसी प्रकार चीन भी पाकिस्तान को अपने चंगुल में फंसा रहा है.

गौरतलब है कि ईस्ट इंडिया कंपनी ब्रिटिश व्यापारिक कपंनी थी जो भारत भेजी गई थी. शुरूआत में भारतीय उपमहाद्वीप में औपनिवेशिक शासन का मार्ग प्रशस्त करने के लिए अंग्रेजो ने समुद्री नगरों के किनारे पर सुरक्षा चोकी बनाकर व्यापार करना प्रारम्भ किया था. जिस प्रकार आज पाकिस्तान में ग्वादर पोर्ट बनाकर चीन कर रहा है.

चीनी कंपनी जिस प्रकार सीपीईसी से जुड़ी बिजली परियोजनाओं के लिए बिजली दर तय कर रही है उसने पाकिस्तान में लोगों को चिंता में डाल दिया है. पाक योजना आयोग के सचिव युसुफ नदीम खोकर ने जब समिति को यह बताया कि सीपीईसी में चीनी निवेश की बजाय ज्यादातर स्थानीय संसाधनों का ही इस्तेमाल किया जा रहा है तो सांसदों के होश उड़ गए.

पाकिस्तान भले ही चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे को लेकर बड़े-बडे दावे कर रहा हो लेकिन नवाज के सांसदों का मानना है कि अगर देश हित की रक्षा नहीं की गई तो यह सीपीईसी पाक के लिए तरक्की नहीं बल्कि तबाही का गलियारा बन सकता है.

Vivek Tyagi

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