ENG | HINDI

कांग्रेस पार्टी के बारे में तो सुना होगा लेकिन क्या कांग्रेस घास बारे में ये बाते जानते हैं आप

कांग्रेस घास

अगर आप को ये बताया जाए कि कांग्रेस नाम से देश में राजनीतिक पार्टी ही नहीं बल्कि घास भी है तो आपकों कुछ देर के लिए ये मजाक लगेगा.

लेकिन ये सच है. देश में कांग्रेस नाम की घास भी है. यही नहीं देश में टाटा घास भी है. बहराल, बात कांग्रेस घास की हो रही है, तो आपको बता दें कि ये कांग्रेस घास इन दिनों काफी चर्चा में है.

हाल ही में एक रिसर्च में पता चला है कि इस घास से कैंसर के इलाज की दवाई बनाई जा सकती है. पंजाब यूनिवर्सिटी की रिसर्चर अक्षरा गोस्वामी में ब्लड कैंसर और पेन्क्रिएटिक कैंसर के इलाज के लिए अभुतपूर्व अध्यन किया है.

जिसमें पता चला कि कांग्रेस घास के पौधे से बनी दवाई से ब्लड कैंसर और पेन्क्रिएटिक दोनों कैंसर का इलाज किया जा सकेगा. इस बात को अक्षरा ने अपने अध्यन में साबित कर दिया है. इसको लेकर अक्षरा 19 से 21 मई को स्पेन में होने वाली वर्ल्ड कैंसर कांग्रेस में अपना शोधपत्र पेश करेंगी.

अक्षरा का कहना है कि आज कैंसर को ठीक करने के लिए कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी से इलाज किया जाता है. जिससे काफी मरीजों का कैंसर ठीक भी हो जाता है लेकिन इससे शरीर कई तरह के दुष्प्रभाव भी पड़ते हैं.

कैंसर के इलाज में ये जरुरी है कि इसका इलाज इस तरीके से किया जाए कि जिससे मरीज के शरीर पर कोई बुरा प्रभाव ना पड़े. अक्षरा ने बताया कि इसके लिए उन्होंने कांग्रेस घास के पौधे को चुना. क्योंकी इस पौधे से आयुर्वेद में भी कई बीमारियों के इलाज किए जाते हैं.

कांग्रेस घास को कैंसर की दवा के रुप में बदलने में अक्षरा को करीब 3 साल लग गए. लेकिन अब वे अपने प्रयोग की सफलता पर खुश हैं. उनका कहना है कि दुनिया में पेन्क्रिएटिक कैंसर के 95 प्रतिशत लोग बच नहीं पाते.

और लोग कीमोथेरेपी या रेडियोंथेरेपी से इलाज करवा पाते हैं तो उनके शरीर दूसरी कई कमियां आ जाती हैं जिसे दूर नहीं किया जा सकता. इसके विपरित उनके प्रयोग से साबित हुआ है कि उससे कैंसर भी खत्म हो रहा है और इसका शरीर पर बुरा असर पर नहीं पडेगा.

अक्षरा गोस्वामी का दावा है कि उन्होंने अपने शोध का पहला पड़ाव सफलता पूर्वक पूरा कर लिया है. इसके बाद वे चुहों पर इसका प्रयोग करेंगी.

अगर चुहों पर भी ये प्रयोग सफल रहता है तो फिर उनका शोध इंसानों पर प्रयोग के लिए तैयार हो जाएगा. इंसानों पर प्रयोग के तीन चरण होते हैं. और इसमें भी सफलता मिलने के बाद इसे कैंसर के मरीजों के लिए तैयार कर दिया जाएगा.