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ऐसे बनाती हैं कंपनियाँ आपको अपना ग़ुलाम, ज़िन्दगी भर के लिए!

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मैग्गी के बिना ज़िन्दगी अधूरी सी लग रही है?

नए फ़ोन के साथ मुफ़्त कॉल्स भी मिल गयीं पर अब बिल भरने के दिन आ रहे हैं?

घर पर बैठे-बैठे आसानी से लोन मिल गया लेकिन अब किश्तें भारी पड़ रही हैं?

यह सभी बातें जानी-पहचानी सी लग रही हैं ना?

यह सब या ऐसा ही बहुत कुछ कभी ना कभी हम सबके साथ हुआ है| और इसकी वजह है इंसान की मानसकिता जिसे हम ख़ुद नहीं समझते पर यह बड़ी कंपनियाँ बहुत ही आसानी से समझती भी हैं और उसका फ़ायदा भी उठती हैं!

हर आदमी की फ़ितरत है कि सब काम आसानी से हो जाएँ, कम से कम मेहनत करनी पड़े और फल सबसे मीठा आये! ज़ाहिर है कि ऐसी कोई जादू की छड़ी ना तो बनी है, ना बनेगी जो मेहनत के बिना ही मीठे फल दे जाए| लेकिन हम उस उम्मीद में चले जाते हैं और जो हमें थोड़ी-सी आसान ज़िन्दगी के सपने दिखा देता है, हम उसी के ग़ुलाम हो जाते हैं|

इन कंपनियों का यही हाल है| कहती हैं आज खरीदो, कल पैसे दे देना| दो मिनट में पेट भर लो! आज मुफ़्त में इस्तेमाल कर लो, कल मन करे तो पैसे देना, वरना मत देना!

लेकिन इन सभी के पीछे कहीं ना कहीं उनका मुनाफ़ा छुपा होता है, वरना वो कोई ख़ैरात बाँटने तो बैठी नहीं हैं|

एक बार आपको उनकी मुफ़्त फ़ोन कॉल्स की आदत पड़ गयी, कल अगर वो आपसे कुछ रुपये ले भी लेंगी बिल के तौर पर, आप दे देंगे क्योंकि अब आपकी आदत बन चुकी है! एक बार सेहत को ताक पर रख के 2 मिनट वाले नूडल्स खाने की आदत पड़ गयी, फिर वो सेहत के लिए अच्छे हैं या नहीं, आप हर बार उन्हें ही खाना पसंद करेंगे! जब घर बैठे आसानी से लोन मिल जाता है, भले ही ज़्यादा इंटरेस्ट रेट पर, तो ज़्यादा मेहनत करके सस्ते लोन की कोशिश में नहीं जाएँगे!

ऐसे शुरू हो जाती है ग़ुलामी और फिर ज़िन्दगी भर हम अपनी आदतों के और फिर इन कंपनियों के ग़ुलाम बन जाते हैं!

इंसानी मानसिकता की इस कमज़ोरी, इस आलस को अपनाने की इच्छा ने ही इन कंपनियों को हमारे ऊपर वो शक्ति प्रदान की है कि हम समझ भी नहीं पाते कि कितनी आसानी से यह हम पर राज कर रही हैं!

क्या मैग्गी ज़्यादा सेहतमंद है या सब्ज़ियों का सलाद?

हम सभी जवाब जानते हैं लेकिन आसान क्या है?

मैग्गी बनाना!

तो बस, साष्टांग प्रणाम कीजिये और इन कंपनियों को फलने-फूलने दीजिये!

नहीं, तो फिर अपनी ज़िन्दगी की डोर अपने हाथ में लीजिये, किसी भी आदत के ग़ुलाम मत बनिए और फिर देखिये, आपको वो मिलेगा जो आप चाहते हैं, ना कि वो जो आपको यह कंपनियाँ बता रही हैं कि आपको चाहिए!