ENG | HINDI

हिंद महासागर में चीन तैनात करने जा रहा है एक लाख सैनिक – भारत ने भी की है ये तैयारी

हिंद महासागर में चीन की सेना

हिंद महासागर में चीन की सेना – चीन भारत को घेरने के लिए हिंद महासागर में अपनी सेना अधिक संख्या में तैनात हो रही है.

पहली बार हिंद महासागर में चीन की सेना इतनी बड़ी संख्या में मरीन कॉर्प्स को तैनात करने की चीन की इस योजना का मकसद भारत पर दवाब बनाना है.

दरअसल, भारत ने हाल में जिस प्रकार चीन की सीमा पर जमीन और हवा में अपनी ताकत बढ़ाई है उससे चीन बौखलाया हुआ है.

यही कारण है कि चीन ने जमीन और हवा के बदले अब समुंद्र के रास्ते भारत को घेरने की अपनी पुरानी रणनीति पर तेजी से अमल करना शुरू कर दिया है. और उसकी इस योजना में पाकिस्तान उसकी भरपूर मदद कर रहा है.

बता दें कि चीन ने अपने नौसैनिकों की संख्या को 20,000 से बढ़ाकर 1 लाख तक करने की जो योजना बनाई है उसके तहत चीन अपनी सीमा से बाहर जिन जगहों पर अपने इन नौसैनिकों को तैनात करेगा, उनमें बलूचिस्तान स्थित ग्वादर बंदरगाह भी शामिल है.

इसके अलावा वह हिंद महासागर के जिबूटी मिलिट्री लॉजिस्टिक्स बेस पर तैनात मरीन कॉर्प्स की तादाद भी बढ़ाने जा रहा है. पिछले कुछ समय से चीन लगातार अपनी नौसेना के विस्तार को लेकर काफी आक्रामक तेवर में नजर आ रहा है.

जानकारों का मानना है कि चीन के इन्हीं तेवरों को भांप भारत ने भी अपनी रक्षा तैयारी तेज कर दी है. इसके लिए भारत कई स्तरों पर रणनीति बनाकर चीन को चुनौती दे रहा है.

चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स में चीन की इस घबराहट का साफ पता चलता है. चीन को डर है कि भारत चीन को अब उसकी ही भाषा में ही जवाब दे रहा है.

भारत अमेरिका और जापान के साथ मिलकर चीन को उसके ही क्षेत्र में ट्रैप कर रहा है. यदि चीन इन तीनों के जाल में फंस गया तो उसके लिए भविष्य में काफी मुश्किल हो सकती है.

क्योंकि अब भारत पहले वाला भारत नहीं हैं. नरेंद्र मोदी के सत्ता संभालने के बाद भारत को खुद को बड़ी शक्ति के तौर पर देखता है. इसलिए एक ओर जहां वह अपनी रक्षा ताकत में इजाफा कर रहा है तो दूसरी ओर अपनी सुरक्षा के लिए वह जापान और अमरिका जैसी चीन की विरोधी ताकतों से भी दोस्ती बढ़ा रहा है.

चीन के लिए यह स्थिति बहुत अच्छी नहीं होगी. ग्लोबल टाइम्स के ही मुताबिक एशिया प्रशांत में अमेरिका द्वारा अपने सुरक्षा बलों की तैनाती अमेरिका, जापान और भारत की चीन को घेरने की संयुक्त रणनीति का हिस्सा भी हो सकती है.

अमेरिका और भारत के विदेश मंत्रालयों के बीच रक्षा और सुरक्षा के मसलों पर बनी सहमति बताती है कि भारत जहां चीन को काबू में रखने के लिए अमेरिका से दोस्ती बढ़ा रहा है वहीं भारत न केवल चीन से दूरी बना रहा है बल्कि उसकों हर क्षेत्र में तगड़ी टक्कर भी दे रहा है.

हिंद महासागर में चीन की सेना को रोकने के लिए भारत जहां अमेरिका से पींगे बढ़ा रहा है वहीं दूसरी तरफ वह तो क्यो पैसिफिक ओसिअन में चीन को काउंटर करने के लिए जापान के सहयोग पर भी संभावनाएं तलाश रहा है.