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वियतनाम की तरफ से लड़ रहे थे शिवाजी और अमेरिकी सेना में हाहाकार मचा हुआ था ! सनसनीखेज खुलासा

वियतनाम ने युद्ध में अमेरिकी सेना को पानी पिला दिया था.

कहते हैं कि युद्ध ऐसा हो रहा था कि अमेरिका समझ ही नहीं पा रहा था कि यह हो क्या रहा है. अमेरिका की गोलियां खत्म होने को थी और वियतनामी थे कि कोई भीमर ही नही रहा था.

वियतनाम कहने को तो एक छोटा सा ही देश है लेकिन उस दौर में इस देश ने सभी की नाक में दम कर रखा था. जो अमेरिका आज शक्तिशाली देश बनता है कहते हैं तब वियतनाम ऐसा युद्ध लड़ रहा था कि अमेरिका को उसकीनानी याद आ गयी थी

कब और कहाँ हुआ था यह युद्ध

तकरीबन 20 सालों तक वियतनाम, लाओ और कंबोडिया की धरती पर यह युद्ध लड़ा गया था. यह युद्ध उत्तरी वियतनाम और दक्षिण वियतनाम के बीच लड़ा गया था. उत्तरी वियतनाम के साथ कम्युनिस्ट समर्थक और देश थे.वहीं, दक्षिण वियतनाम की ओर से कम्युनिस्ट विरोधी, अमेरिका और उनके सहयोगी लड़ रहे थे. युद्ध दिसंबर 1956 से अप्रैल 1975 तक चला था.

जब शिवाजी लड़े वियतनाम की तरफ से

लगभग बीस वर्षों तक चले युद्ध में अमेरिका पराजित हुआ था. कहते हैं कि अमेरिका के पास गोलियां ही खत्म हो गयी थीं. अमेरिका पर विजय के बाद वियतनाम के राष्ट्राध्यक्ष से पत्रकार ने एक सवाल पूछा कि आप युद्ध कैसेजीते. तब इस पर तत्कालीन राष्ट्राध्यक्ष ने जो जवाब दिया था कि अमेरिका को हराने के लिए मैंने एक महान राजा का चरित्र पढ़ा और उस जीवनी से मिली प्रेरणा व युद्ध नीति का प्रयोग कर सरलता से विजय प्राप्त की.

तब सभी ने उस राजा का नाम पूछा तो तब वियतनाम के राष्ट्राध्यक्ष ने खड़े होकर जवाब दिया छत्रपति शिवाजी महाराज. महाराजा छत्रपति शिवाजी का नाम लेते समय उनकी आँखों में एक वीरता भरी चमक थी. आगे उन्होंनेकहा अगर ऐसे राजा ने हमारे देश में जन्म लिया होता तो हमने सारे विश्व पर राज किया होता.

शिवाजी महाराज से क्या सिखा था…

वियतनाम का हर सैनिक तब शिवाजी का सैनिक बन गया था. शिवाजी महाराज से इन्होनें युद्ध नीति सीखी और साथ ही साथ जो गोरिल्ला युद्ध करना इन्होनें शिवाजी जी से सिखा था उसे अमेरिकी सैनिक नहीं तोड़ पाए.अमेरिका हैरान था कि वियतनामी सैनिक कहाँ से आ रहे हैं और वियतनामी छुपकर वार कर रहे थे.

लोग बताते हैं कि यह युद्ध वियतनामी सिर्फ़ इसलिए जीत पाए क्योकि तब हर सैनिक अपने अंदर शिवाजी महाराज लिए हुए था.

वह याद कर रहा था शिवाजी जी को और ऐसा लग रहा था कि जैसे खुद शिवाजी युद्ध लड़ रहे थे

Chandra Kant S

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Chandra Kant S

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