भारत

चंगेज खान की उत्पत्ति, इतिहास की कल्पना अथवा भूगोल की सच्चाई?

इतिहास और भूगोल दोनों ही विषय बचपन से ही हमें हमारे गले की फांस की तरह लगते हैं. लेकिन आज यंन्गिस्थान की इस पोस्ट में मैं आपको समझाने जा रहा हूँ, इतिहास और भूगोल के उस रिलेशन के बारेमें जिसने चंगेजखान जैसा विश्व आक्रमणकर्ता पैदा किया.

क्या आपने कभी सोचा है कि हमारा भारत देश हमेशा से ही विदेशी लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र क्यों रहा है. फिर चाहे वह सिकंदर हो, कुषाण शासक हों, तुर्की/अरबी लोग हो, या मुग़ल. इसका जवाब है हमारे देश की विविध जलवायु, हमारे देश में संसाधनों की सम्पन्नता जिसने भारत का इतिहास रचा.

इतिहास और भूगोल कोई अलग विषय नहीं बल्कि एक ही हैं.

बस इतिहास मामूली बदलावों जैसे- युद्ध, संस्कृति में परिवर्तन, किसी नई शक्ति के आगमन के साथ ही बदल जाता है जबकि भूगोल में बदलाव एक लम्बी प्रक्रिया है. किसी भी संस्कृति का इतिहास तब बदलता है जब वहां का भूगोल उसे इजाज़त देता है. जैसे आप देखेंगे एक गंगा के निकल जाने से दोनों तटों के पार के समुदायों की संस्कृति बदल जाती है. छोटा नागपुर के पठार और गंगा के मैदानी भागों की संस्कृति एक नहीं हो सकती, इसका कारण और कुछ नहीं बल्कि भूगोल की वह सीमा है जो उसने मानव के समक्ष खींच दी है. अगर हम गंगा जमुना तहजीब की बात करते हैं तो सारे भारत मुख्यतः दक्षिण में यह तहजीब लागू नहीं हो सकती क्योंकि वहां गंगा ही नहीं है तो तहजीब कैसे जन्म लेगी?

अतः यही कारण है कि भारत विविधिता में एकता के लिए जाना जाता है.

यह जलवायु का ही प्रभाव था कि जिससे अंग्रेजों को उत्तर भारत की अपेक्षा पंजाबी और गोरखा जैसे शक्तिशाली मानव मिले जिन्होंने 1857 जैसे महाविद्रोह को दबा कर पूरे भारत में अंग्रेजी साम्राज्य की नींव रख दी.

अगर चंगेज खान की बात करें तो जब मंचूरी की जलवायु में परिवर्तन हुआ तो अन्न, जल, धन सब नष्ट हो गया अतः अपने करीबियों को रोते-बिलखते देख उसने एक सशक्त आर्मी का गठन किया और फिर सारे विश्व को जीत लिया. इतिहास में शायद ही ऐसा कोई हुआ हो जो सुख नहीं चाहता लेकिन सुख की परिकल्पना भूगोल से सिद्ध होती है अतः यह भूगोल ही है जो बौद्ध धर्म को पैदा करता है और उसे सशक्त बनाकर पूरे विश्व में फैला देता है, तो वहीं तैमूर लंग और चंगेज जैसा अत्याचारी भी पैदा करता है.

क्या आप जानते हैं कपडे की खोज भारत में हुई.. अब इसे इतिहास से जोड़ते हैं. आज जो भी कपडा मानव सभ्यता द्वारा अपनाया जा रहा है वह उस परिवर्तन का नतीजा है जो कई हजारों सालों में हुआ. अर्थात इतिहास और भूगोल दोनों का गहरा संवंध मानव तथा समय के साथ होने के कारण दोनों की उपयोगिता दैनिक जीवन में आ जाती है.  इतिहास में हम वर्तमान और भूतकाल की तुलना करते हैं और परिवर्तन को समझने का प्रयास करते हैं, उदाहरन के लिए वर्तमान प्रजातंत्र की उपलव्धियों को देखते और सोचते हैं कि आखिर कैसे 1000 ईसा से ब्रिटिश मैग्नाकार्टा से फ़्रांस की क्रांति तक का सफ़र तय हुआ. इत्यादि.

अतः भूगोल और इतिहास दोनों एक ही अम्ब्रेला के विषय हैं. बस इन विषयों को इनके सही सन्दर्भ में समझने की आवश्यकता है.!

Kuldeep Dwivedi

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