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नदी के बीच देवी मंदिर जो बाढ़ आने पर भी नहीं डूबता !

Chandrahasni Devi temple In Chhattisgarh

भारत में हर मंदिर की अलग अलग महत्ता है. अलग अलग सिद्धि है जिसके कारण उनसे जुड़ी कहानियां सुनने को मिलती है.

लेकिन हम जिस मंदिर की बात कर रहे हैं उसकी कहानी मिथक या सुनी सुनाई नहीं आँखों देखा है.

उस मंदिर के अंदर  कभी भी नदी का पानी अंदर नहीं जाता.

आप जानना चाहते हैं कहाँ है वो मंदिर ?

क्या है उस मंदिर से जुड़ी कहानी ?

कौन सी नदी के बीच कौन से स्थान में बना है वो मंदिर ?

बाढ़ आने पर भी वह मंदिर क्यों नहीं डूबता?

कौन सी देवी का है वो मंदिर ?

एक ऐसा देवी मंदिर जो नदी के बीचो बीच बना हुआ है. उस नदी में हर साल उफान आता है परन्तु उस मंदिर में कभी पानी नहीं जाता. नदी के बीचों बीच होने के बावजूद न ही वो मंदिर कभी टुटा है, न ही उस मंदिर में कभी कोई दरार आई.

वो देवी मंदिर वैसे का वैसे ही रहता है.

छत्तीसगढ़ राज्य के रायगढ़ जिले में एक चन्द्रपूर नामक जगह है जो सिर्फ अपनी देवी महिमा के नाम से जाना जाता है. चन्द्रपुर में मुख्य रूप से चंद्रहास्नी देवी का मंदिर प्रसिद्ध.

इस मंदिर का निर्माण शताब्दी पूर्व वह के राजा ने करवाया था.

उस मंदिर के पास ही एक बड़ी नदी है जिसका नाम है महानदी. महानदी छत्तीसगढ़ की बड़ी नदियों में से एक है. उसी नदी के बीचों बीच एक और देवी का मंदिर है जिसको नाथल देवी के नाम से जाना जाता है.

नाथल देवी को चंद्रहास्नी  देवी की छोटी बहन कही जाती है और कहा जाता है की जब भी महानदी में पानी का स्तर बढ़ता है तो नाथल देवी का मंदिर वैसे ही रहता है आसपास का क्षेत्र बाढ़ से डूबने लगता है लेकिन उस मंदिर में कभी पानी नहीं जाता, न ही वो मंदिर कभी नदी के अन्दर डूबता है.

उस मंदिर से एक सत्य कहानी जो ज्यादा से ज्यादा 15 -२० साल पुरानी होगी….

एक 5 साल के बच्चे को उसकी सौतेली माँ ने बरसात में जब नदी का पानी उफान पर था तब रात में नदी से नीचे फेक दिया था. परन्तु उस बच्चे को उस मंदिर के पुजारी ने मंदिर के अंदर सोते हुए नाथल मंदिर में पाया गया.

जब उस बच्चे से पूछा गया कि वो बच्चा कहाँ  से है मंदिर में कहाँ से आया?

तब उस बच्चे में बताया की उसकी सगी माँ 1 साल पहली ही मरी और उसकी सौतेली माँ ने उसको नदी में गुस्से से फेका था.

उसको नदी में गिरने तक याद है उसके बाद उस बच्चे को उसके आगे का कुछ पता नहीं था, वो कैसे मंदिर के अंदर आया कैसे सोया वो नहीं जानता.

यह कहानी सत्य घटना है जिसका प्रमाण आज भी वो बच्चा है और उस मंदिर का पुजारी. जिसको वो बच्चा मिला था.

नाथल देवी के मंदिर के लिए कहा जाता है कि जब पहली बार बाढ़ का पानी मंदिर में आया तब नाथल देवी ने चंद्रहस्नी माता से बचाने के लिए पुकार लगाया तब से उस मंदिर में बाढ़ का पानी कभी मंदिर के अंदर नहीं जाता, न कभी मंदिर डूबा.

इस दिव्या मंदिर में आज भी उतनी ही सिद्धि और मान्यत है..

अगर आपको इस कहानी को लेकर कोई भी संदेह और झूठा लगे तो आप खुद एक बार उस मंदिर में जाकर उनके दर्शन कर  आँखों  से देख कर आइये .