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इस कश्मीरी युवा के लिए बीएसएफ एग्जाम में टाप करना बन गया खतरे की घंटी !

नबील अहमद वानी

अक्सर देखा गया है कि किसी भी एग्जाम में टाप करने वाले युवा को उसके आस पास के लोग सिर आंखों पर बैठा लेते हैं.

लेकिन जम्मू के रहने वाले बीएसएफ के असिस्टेंट कमांडेंट नबील अहमद वानी को बीएसएफ एग्जाम में टाप करना किसी खतरे को मौल लेना जैसे हो गया है. नबील अहमद वानी बीएसएफ के असिस्टेंट कमांडेंट बनने के बाद आतंकियों की आंखों की किरकिरी बन गया है.

आतंकी उसके परिवार को धमका रहे हैं. नबील अहमद वानी ने सरकार को लिखी चिट्ठी में धमकी मिलने की बात लिखी है. चिट्ठी में लिखा कि उसकी बहन को भी धमकाया जा रहा है लिहाजा उसकी जान को खतरा देखते हुए उसके लिए हॉस्टल का इंतजाम किया जाए.

नबील अहमद वानी

नबील अहमद वानी फिलहाल बीएसएफ ट्रेनिंग एकैडमी टनकपुर (ग्वालियर) में हैं. वही से उसने वुमन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट मिनिस्टर मेनका गांधी को को एक लेटर लिखकर जानकारी दी है कि उसकी बहन चंडीगढ़ से सिविल इंजीनियरिंग कर रही है. वो हॉस्टल में रह रही है, लेकिन कॉलेज एडमिनस्ट्रेशन उसे कहीं और जाने को कह रहा है.

गौरतलब है कि जो कश्मीर के जो युवा भारतीय सेना या पुलिस में भर्ती हो रहे हैं आतंकवादियों ने अब उनको और उनके परिवार वालों को निशाना बना शुरू कर दिया है. आतंकी चाहते हैं कि कश्मीरी युवा भारतीय सेना या पुलिस में शामिल होने के बजाए उनके संगठन में शामिल होकर हथियार उठाएं.

बता दे कि हाल ही कश्मीर के रहने वाले सेना के लेफ्टिनेंट उमर फयाज की आतंकियों ने उस वक्त हत्या कर दी थी जब वह अपनी मौसेरी बहन की शादी में गया था.

इसी आंशका को देखते हुए नबील अहमद वानी ने अपने सीनियर से बात कर कहा है कि जब वो छुट्टी पर जाएं तो उसे हथियार साथ ले जाने की इजाजत दी जानी चाहिए. खासतौर से आतंकवाद से प्रभावित इलाकों में और साथ ही उनका ट्रैवल प्लान भी सुरक्षित होना चाहिए.

क्योंकि अगले दो महीने में नबील अहमद वानी को भी अपने चचेरे भाई की शादी में जाना है. उसकी मां जम्मू में अकेली रहती है और बहन चंडीगढ़ में. लेफ्टिनेंट उमर फयाज की हत्या के बाद नबील भी अपनी फैमिली की सिक्युरिटी को लेकर डरा हुआ है.

दरअसल, जो कश्मीर के युवा आर्मी या पैरामिलिट्री फोर्सेस में काम कर रहे हैं.

उन सभी कश्मीरियों के सिर पर तलवार लटकी है. क्योंकि उन्होंने तमाम विरोधों के बावजूद आर्मी ज्वाइन की है. और अब आतंकवादियों द्वारा कश्मीर अफसरों को मारने का चलन हो गया है.