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बॉलीवुड के इस महान डायरेक्टर ने शराब पी-पी कर जान दे दी थी!

फिल्म डायरेक्टर गुरुदत्त

फिल्म डायरेक्टर गुरुदत्त एक ऐसा नाम जो सिनेमा की हर विद्या में माहिर था।

वे ना सिर्फ एक बेहतरीन डायरेक्टर थे बल्कि एक बेमिसाल राइटर और एक्टर भी थे।

विश्व सिनेमा का इतिहास फिल्म डायरेक्टर गुरुदत्त के जिक्र के बिना अधूरा है। उनकी महानता का अंदाज़ा इसी से लगता है कि कई फिल्म संस्थानों में उनकी तीन क्लासिक फिल्मों को टेक्स्ट बुक का दर्जा हासिल है। साहिब बीबी और गुलाम, प्यासा और कागज के फुल इन तीन फिल्मों को  विश्व की 100 महान फिल्मों में शामिल किया गया है।

फिल्म डायरेक्टर गुरुदत्त

कर्नाटक के मंगलूर में 3 जुलाई 1925 को गुरुदत्त का जन्म हुआ था। उनका पूरा नाम शिवशंकर पादुकोण था। गुरुदत्त की प्रारंभिक शिक्षा कोलकाता में हुई थी। अपनी कॉलेज की पढ़ाई खत्म करने के बाद उन्होंने कुछ दिनों के लिए एक कम्पनी में टेलिफ़ोन ऑपरेटर की नौकरी ज्वाइन कर ली। लेकिन शुरू से ही नृत्य के प्रति उनके जुनून ने उन्हें ये नौकरी छोड़ने पर मजबूर कर दिया और वे अल्मोड़ा के विख्यात नृत्यकार उदय शंकर के पास नृत्य की शिक्षा-दीक्षा लेने पहुँच गए।

वहां रहते हुए गुरुदत्त को एहसास हो गया कि फिल्मों में वे ना सिर्फ अपनी प्रतिभा का सही इस्तेमाल कर पायेंगे बल्कि रोजगार से भी नाता जुड़ जायेगा। इसलिए बाद में गुरुदत्त पुणे चले गये और थोड़े संघर्ष के बाद उन्हें प्रभात फिल्म कंपनी में काम मिल गया। इस तरह 1945 में फिल्म ‘लाखारानी’ से उन्होंने अपना करियर शुरू किया। 1946 में फिल्म ‘हम एक है’ में उन्होंने सहायक निर्देशक और नृत्य निर्देशक की जिम्मेदारी निभाई।

1947 में गुरुदत्त का प्रभात फिल्म कंपनी से अनुबंध समाप्त हो गया।

इस बीच वे करीब 10 माह तक बेरोजगार रहे लेकिन इस दौरान उन्होंने अपनी अंग्रेजी पर पकड़ बनाई और लिखना शुरू कर दिया। इसी दौरान वे एक इंग्लिश न्यूज़ पेपर के लिए कहानियां लिखने लगे। फिर उन्होंने अमिय चक्रवर्ती और ज्ञान मुखर्जी जैसे निर्देशकों के साथ काम किया।

1951 में आई फिल्म ‘बाजी’ के लिए देवानंद ने गुरुदत्त को निर्देशन की कमान सौंपी। उसके बाद गुरुदत्त ने अपनी खुद की फिल्म कंपनी बना ली और उस बैनर तले पहली फिल्म ‘आर-पार’ (1945) बनाई।

इस फिल्म के गीत-संगीत को खुब सराहा गया।

इसके बाद गुरुदत्त ने ‘मिस्टर एंड मिसेज 55’ (1955) बनाई इस फिल्म के गाने भी उस वक्त खूब पसंद किये गए थे। इसके बाद गुरुदत्त ने फिल्म बनाई ‘प्यासा’ (1957), ‘कागज के फुल’ (1959) और ‘साहेब बीवी और गुलाम’ (1962) इन तीनों फिल्मों ने भारतीय फिल्मों के इतिहास में मील के पत्थर का काम किया। इन तीनों फिल्मों के निर्देशक और अभिनेता भी गुरुदत्त ही थे। हालाँकि फिल्म डायरेक्टर गुरुदत्त के खाते में फिल्में कम रही लेकिन जितनी भी रही वे बेमिशाल थी।

उस समय गुरुदत्त की शादी गीता दत्त से हो चुकी थी लेकिन फिर ना जाने उनके दिल में ऐसा कौन सा खाली कोना था जिसमें वहीदा रहमान रहने लगी थी। जैसे-जैसे वहीदा रहमान से उनकी नजदीकियां बढ़ती गई वैसे-वैसे गुरुदत्त इस मुद्दे पर भ्रमित होते गए कि आखिर वो किससे प्यार करते है गीता से या वहीदा से। वहीदा से अफेयर के चलते उनकी शादीशुदा जिंदगी पूरी तरह तबाह हो चुकी थी।

गीता और वहीदा के रिश्तें में उलझे गुरुदत्त का भ्रम दिन ब दिन बढ़ता गया और उन्होंने शराब से नाता जोड़ लिया।

फिल्म डायरेक्टर गुरुदत्त जमकर शराब पीने लगे थे। जब गुरुदत्त की मौत हुई उससे पहले वे दो बार आत्महत्या की नाकाम कोशिश कर चुके थे। लेकिन 10 अक्टूबर 1964 को वे अपनी जान लेने में कामयाब रहे, जमकर शराब पीने के बाद अधिक मात्रा में नींद की गोलियां खा लेने से उनका निधन हो गया। जब उनकी मौत हुई उस वक्त उनकी आयु सिर्फ 39 साल थी। उस वक्त किसी ने नही सोचा था कि महान फिल्में बनाने वाला एक डायरेक्टर एक दिन ऐसे दुनिया छोड़कर चला जायेगा। हालाँकि गुरुदत्त अब भले ही हमारे बीच नहीं रहे हो लेकिन जब तक इस दुनिया में सिनेमा और दर्शक जिंदा रहेंगे तब तक गुरुदत्त भी अपनी महान फिल्मों के जरिये जिंदा रहेंगे।