प्रकृति के नियम हैं, लड़कियों को हर महीने 3-4 दिन ऐसे मिलते हैं जो उनके लिए सच में बहुत ही मुश्किल होते हैं!
फिर भी वो उन दिनों की तकलीफ़ें जग-जाहिर नहीं करतीं, सिर्फ़ अपनों के साथ ही बाँटती हैं!
लेकिन अगर वही अपने जवाब में बक़वास करें तो दिल करता है घुमा के उल्टा दें या कुछ करें जिस से इन हितैषियों को अक्ल आये!
ये हैं वो बकवास बातें जो लड़कियों को पीरियड्स के दिनों में सुननी पड़ती हैं जो ज़ेहर जैसी लगती हैं
1) इन दिनों में तुम्हें इतना ग़ुस्सा क्यों आता है?
कोई ये बताएगा कि आप कभी भी अक्कलमंदों वाले सवाल क्यों नहीं करते हैं? बेवकूफ़!
2) कल पूजा है, पर तुम्हारे लिए तो मुश्किल होगा ना?
क्यों, तुमने भगवान को तुम्हारे जैसा मूढ़बुद्धि समझ के रखा है?
3) अब तक आदत नहीं पड़ी?
अच्छा? लगता है तुम्हें आदत पड़ गयी है ऐसे मूर्खतापूर्ण सवाल पूछने की, है ना?
4) तुम ठीक हो?
बिलकुल, जी कर रहा है टप्पे पाउन, नच्चून-गाउन, ख़ुशी का मौका जो है!
5) तुम्हें कैसे अच्छा महसूस करवाऊँ?
यार ये क्विज़ कॉन्टेस्ट किसी और के साथ जाके खेल, मुझे अच्छा महसूस होगा, समझे?
6) अरे, तुम्हारा वज़न कुछ बढ़ गया क्या?
ये बात किसी भी औरत से कभी भी कही जायेगी तो जवाब में एक चाँटा रसीद तो करना बनता है, लेकिन जाओ माफ़ किया, और भी काम हैं मेरे पास!
7) घूमने चलें, चेंज होगा
और बाहर जाने के लिए तैयार होने का कष्ट, आने-जाने की थकान और ज़बरदस्ती मुस्कुराने की कठिनाई का सामना आप करेंगे?
8) तुम्हें कुछ ज़्यादा दर्द नहीं होता?
क्यों, बाक़ी कितनों से पूछ के आये हो कि उन्हें कितना दर्द होता है? चल क्या रहा है?
9) रसोई में जाना…
नहीं जाना, है ना? ठीक ही तो है, हम लड़कियाँ आज के ज़माने की हैं और तुम आदिकाल के बन्दर जात! तुम्हारी रसोई तो वैसे भी नहीं पका पाएँगी हम, है ना?
10) थकी हुई सी लग रही हो!
नहीं, नहीं, थकान काहे की! बस काफ़ी सारा ख़ून बहा है, दर्द ने पागल कर दिया है और घर-बाहर के सारे काम किये हैं, इस में काहे की थकान?
तो यारों ज़रा संभल के अपना मुँह खोलो! अगर कुछ अच्छा नहीं कह सकते लड़कियों को बेहतर महसूस करवाने के लिए उन दिनों में तो कम से कम दिमाग़ मत ख़राब करो!
वरना लडकियां सज़ा देने पर उतर आएँगी और बहुत पिटोगे, समझे!
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