ENG | HINDI

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने चली चाल, क्या बीजेपी के साथ आएगी शिवसेना?

शिवसेना - बीजेपी

शिवसेना – बीजेपी – लोकसभा चुनावों में अब बस कुछ ही महीनों का समय रह गया है, ऐसे में हर कोई अपने तरीके से चुनावी जमीन तलाशने में और जीत सुनिश्चित करने में जुटा हुआ है.

महाराष्ट्र में बीजेपी अपने सालों पुराने साथी शिवसेना से अलग हो चुकी है, बावजूद इसके महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को उम्मीद है कि चुनाव के लिए पुराने साथी फिर एक हो सकते हैं.

शिवसेना – बीजेपी में जो एक बाद कॉमन है वो है हिंदुत्व का मुद्दा और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस को भी लगता है कि इसी मुद्दे के आधार पर शिवसेना – बीजेपी का साथ देने के लिए राजी हो जाएगी.

बीजेपी से अलग होने के बाद शिवसेना हमेशा ही सरकार की आलोचना करती नज़र आई है और बीजेपी को लेकर उसका तेवर हमेशा तल्ख रहा है, बावजूद इसके फडणवीस का कहना है कि सरकार की लगातार आलोचनाओं के बावजूद शिवसेना 2019 के चुनाव में हिन्दुत्व के मुद्दे पर भाजपा के साथ गठबंधन करेगी. उन्होंने अयोध्या में एक भव्य राम मंदिर बनाने का भी जोरदार समर्थन किया.

फडणवीस का कहना है कि शिवसेना – बीजेपी चुनाव जीतने के लिए एक साथ लड़ेंगे. उनकी बातों से तो यही लगता है कि उन्हें भी अकेले दम पर महाराष्ट्र में जीत की उम्मीद नहीं है, तभी तो बार-बार अपने पुराने साथी को याद कर रहे हैं.

जहां तक शिवसेना का सवाल है तो अब उसकी जड़े भी पहले जैसी मजबूत नहीं रह गई.

बाला साहब ठाकरे की शिवसेना में अब वो जोश नहीं रह गया है जो पहले कभी हुआ करता था, ऐसे में शायद वो भी अकेले दम पर चुनाव में आने का रिस्क नहीं लेना चाहेगी. जहां तक हिंदुत्व का सवाल है तो शिवसेना शुरुआत से ही इस मुद्दे पर चुनाव लड़ती आ रही है और इसी वजह से अयोध्या में राम मंदिर नहीं बनवा पाने के लिए उद्धव ठाकरे लगातार मोदी सरकार से सवाल करते रहे हैं. उद्धव का कहना है कि, बीजेपी राम मंदिर बनवाने का भरोसा देकर सत्ता में आई थी, लेकिन वोट मिलने के बाद अपना वादा भूल गई है.

वैसे राजनीति में कब दुश्मन दोस्त बन जाते हैं और दोस्त दुश्मन पता ही नहीं चलता, ऐसे में यदि चुनाव के दौरान शिवसेना – बीजेपी फिर से एक हो जाते हैं तो इसमें हैरानी की कोई बात नहीं है, क्योंकि राजनीति का दूसरा नाम ही है मौकापरस्ती.