ENG | HINDI

बिहार में AK 47 से मारा गया नेता, लोगों को लगा भारत-पाक मैच के पटाखे है

यूपी बिहार

यूपी बिहार हमेशा से ही अपनी गुंडागर्दी के लिए देश भर में प्रचलित है.

यहाँ बदमाश ऐसे घूमते हैं जैसे की यूपी बिहार इनके बाप की खरीदी हुई हो. इन गुंडागर्दी के पीछे हमेशा से ही नेताओ का खास हाथ रहा है और वो भी खास तौर से भाजपा नेताओ का.

हाल ही में बिहार के मुजफ्फरपुर इलाके में एक वारदात सामने आई है, जिसमे बाइक सवार दो बदमाशो ने मुजफ्फरपुर के पूर्व मेयर समीर कुमार और उनके ड्राइवर की AK 47 से गोली मारकर हत्या कर दी.

यूपी बिहार

आपको बता दे की इन दोनो ही बदमाशो के हौसले इतने ज्यादा खुले थे की उन्होने पूर्व मेयर को 16 और ड्राइवर को 11 गोलिया मारी थी.

पुलिस रिपोर्ट् की माने तो उनका कहना है की गोलिया किसी AK 47 से भी ज्यादा बडे हथियार से चलाई गई हैं, फिलहाल इस बात का पता नहीं चल पाया है की बंदूक कौन सी थी. लेकिन जानकारो की माने तो उनका कहना है की ऐसी फायरिंग केवल ए.के ४७ से ही की जा सकती है.

हिलालपुर गांव के रहने वाले थे पूर्व मेयर समीर कुमार. यह गांव बिहार के वैशाली जिले में स्थित है, लेकिन फिलहाल वह मुजफ्फरपुर में नंद विहार कॉलोनी में रह रहे थे. समीर एक होटल के मालिक भी थे जो की अखाडाघाट में पडता है, 23 सितंबर की शाम को वह अपने ही होटल पर समोसे खाने रूके थे. समय हो रहा था 6 बजकर 15 मिनट, तभी अचानक उनके फोन पर एक कॉल आई और वह अपनी चाय बिना पिये ही हडबडाहट में गाडी में बैठ गए और घर की और निकल पडे. घर की ओर जाते समय एंजेल स्कूल के पास बाइक सवार दो लोगो ने मेयर की गाडी को पीछे से टक्कर मार दी, टक्कर की वजह से ड्राइवर रोहित ने गाडी रोक दी, जैसे ही गाडी रुकी बाइक सवार बदमाशो ने ड्राइवर और पूर्व मेयर पर फायरिंग शुरू कर दी. 50 फायरिंगराउंड के बाद कही जाकर बदमाश वहाँ से चलते बने और समीर और उनके ड्राइवर की मौके पर ही मौत हो गई.

यूपी बिहार

जब आस पास रहने वाले लोगो से पूछताछ की तो पता चला की घर में बैठे सभी लोगो को लगा की भारत-पाक के मैच में भारत की जीत के कारण सड़क पर लोग पटाखे फोड रहे हैं. करीब 15-20 मिनट तक कोई भी अपने घर से इसी गलत फैमी में बहार झांक कर देखने भी नहीं आया.

यूपी बिहार

आपको बाता दे की समीर पहले युवा कांग्रेस कार्यकर्ता थे लेकिन कुछ समय बाद उन्होने कांग्रेस पार्टी छोड भाजपा में शामिल हो लिए. समीर भाजपा की तरफ से पहली बार हुए चुनाव में ही मेयर बन गए थे लेकिन 2009 में बीजेपी की तरफ से टिकट ना मिलने के कारण उन्होनेबीएसपी का दाम्ल थाम लिया. समीर 2019 के चुनावो की तैयारी में जुडे हुए थे और शायद उनकी हत्या के पीछे चुनावी नेताओ का बहुत बड़ा हाथ भी हो सकता है.

पुलिस अपनी कार्यवाही में जुट गई है और दोनो ही बदमाशो को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने का दावा भी कर रही है.

ये है यूपी बिहार के जुर्म की  कहानी –