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मोदी ने सर्जिकल स्ट्राइक के लिए बिहार और जम्मू के कमांडों को ही क्यों चुना?

बिहार और डोगरा रेजिमेंट

उरी आतंकी हमले का बदला लेने के लिए सेना की जिस पैरा कमांडों युनिट को भेजा गया था उसमें अधिकांश कमांडों बिहार और डोगरा रेजिमेंट के थे.

इस अभियानके लिए इनको विशेष रूप से चुना गया था.

ऐसा इसलिए किया गया था कि उरी आतंकी हमले में जो जवान शहीद हुए हैं वे सभी जवान बिहार और डोगरा रेजिमेंट के थे.

इन जवानों पर आतंकियों ने उस वक्त हमला किया था जब ये सो रहे थे. उसी दिन से बिहार और डोगरा रेजिमेंट के जवान अपने साथियों की शहादत का बदला लेने बेचैन थे. ये जवान अपने हाथों से उन आंतकियों को मौत देना चाहते थे ताकि अपने शहीद साथियों को सच्ची श्रद्धांजलि दे सके.

प्रधानमंत्री भी यही चाहते थे कि अपने सैनिकों की मौत का ऐसा बदला लिया जाए कि आतंकियों को पता लगे कि भारतीय सेना के जवानों की कायराना तरीके से हत्या करने के बाद पाक परस्त ये आतंकी दुनिया के किसी कोने सुरक्षित नहीं रह पाएंगे. लिहाजा प्रधानमंत्री मोदी भी इस बात के पक्षधर थे कि उरी आतंकी हमलेका बदला लेने के लिए उन्हीं रेजीमेंटों के कमांडों को वरीयता दी जाए जिनके साथी जवान इस हमले में शहीद हुए हैं.

ऐसा इसलिए भी किया गया कि इन बिहार और डोगरा रेजिमेंट के कमांडों में अपने साथियों की मौत का बदला लेने का गुस्सा और जज्बा अधिक है. जिस कारण ये दुश्मन के इलाके में हमले के दौरान भारी तबाही मचांएगे. साथ ही बिहार और डोगरा रेजिमेंट के जवान अपने साथी जवानों की मौत के बाद गुस्से में थे, उनके क्रोध की आग भी कुछ कम होगी.

यही कारण है कि जब पाक अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक के लिए सेना की स्पेशल फोर्स के पैरा कमांडों को चुनने की बारी आई तो तय किया गया कि इस आॅपरेशन के लिए बिहार और डोगरा रेजिमेंट से आए कंमाडों को वरीयता दी जाए.

इससे जहां बिहार और डोगरा रेजिमेंट के कमांडों को अपनी रेजीमेंटों के शहीद जवानों को सच्ची श्रद्धांजलि देने का मौका मिला वहीं सेना की बाकी रेजीमेंटों का मोराल भी बूस्ट हुआ है.

उनको अब लगने लगा है कि आतंकवाद से लड़ाई में वे अकेले नहीं हैं. देश के साथ साथ सरकार भी अब उनके साथ है.