ENG | HINDI

सिर्फ इस एक योगाभ्यास से आपकी खराब आवाज बन सकती है एकदम सुरीली !

भ्रामरी प्राणायाम

कई बार हमारे आसपास कुछ ऐसे लोग नजर आते हैं जो खूबसूरत और अच्छी पर्सनैलिटी के तो होते हैं लेकिन उनकी आवाज उनकी पर्सनैलिटी के बिल्कुल विपरित होती है.

वहीं कुछ लोग ऐसे भी मिल जाते हैं जो भले ही खूबसूरत ना हो लेकिन उनकी बोली इतनी मीठी होती है कि बस उनसे बातें करने का ही मन करने लगता है.

कई लोग अपनी बेसुरी और खराब आवाज के चलते लोगों से बात करने में काफी हिचकिचाते हैं. इतना ही नहीं उन्हें अपनी खराब आवाज के चलते किसी से बात करने में भी शर्मिंदगी महसूस होने लगती है.

अगर आपकी हालत भी कुछ ऐसी ही है तो घबराइए नहीं, क्योंकि हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसा खास योगा जिससे ना सिर्फ आपकी आवाज में मीठास आएगी बल्कि इससे आपका खोया हुआ आत्मविश्वास भी लौट आएगा.

भ्रामरी प्राणायाम से सुरीली बनाएं अपनी आवाज

अगर आप अपनी आवाज को मधुर और सुरीली बनाने की ख्वाहिश रखते हैं तो आपके लिए सिर्फ एक ही योगासन काफी है और वो है भ्रामरी प्राणायाम.

भ्रामरी प्राणायाम करते समय भ्रमर यानी भंवरे जैसी गुंजन होती है जिसके चलते इस योगासन को भ्रामरी प्राणायाम कहते हैं.

भ्रामरी प्राणायाम तनाव को दूर करने के साथ दिमाग को भी शांत रखता है. इसके अलावा इससे गले से संबंधित कई रोग दूर होते हैं.

इस प्राणायाम की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके निरंतर अभ्यास से आपकी फटी और बेसुरी सी आवाज भी मधुर और सुरीली हो सकती है.

इस तरह से करें भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास

भ्रामरी प्राणायाम करने के लिए सबसे पहले आप साफ और समतल जगह पर पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं, उसके बाद अपनी दोनों आंखों को बंद कर लें.

अब मेरुदंड को बिलकुल सीधा और दोनों हाथों को बगल में अपने कंधो के समांतर फैलाए. इसके बाद अपने हाथों को कोहनियो से मोड़ते हुए हाथ को कानों के समीप ले जाएं और दोनों हाथों के अंगूठों से दोनों कानों को बंद कर लें.

इस प्राणायाम में नाक से सांस भरकर धीरे-धीरे गले से भ्रमर की गुंजन के साथ सांस को छोड़े. इसके लिए पहले नाक से सांस अंदर लें और फिर बाहर छोड़ें.

इस योग के अभ्यास के दौरान इस बात का खास ख्याल रखें कि सांस बाहर छोड़ते समय गले से भंवरे के समान आवाज करना है. इस अभ्यास को हर रोज 10 से 15 बार तक करें.

आपको बता दें कि भ्रामरी प्राणायाम के अभ्यास से ना सिर्फ आपकी आवाज सुरीली हो सकती है बल्कि इससे आपका हृदय और फेफड़ा मजबूत होता है. इतना ही नहीं हकलाहट तथा तुतलाहट जैसी समस्या भी सिर्फ इस एक योगासन के नियमित अभ्यास से दूर हो सकती है.