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भगवान परशुराम जी को जब करना पड़ा था अपनी माता का वध

Bhagwan Parsuram

भगवान परशुराम जी भगवान रूप में पृथ्वी पर आये और इन्होनें अपना पूरा जीवन धर्म और सत्य की जीत में लगा दिया.

धर्म की कथा के अनुसार एक बार और इनका अवतार लिखा गया है जो कलयुग की समाप्ति होने पर होगा और भविष्यपुराण में भी इस बात के सबूत दिए गये हैं.

पिता की आज्ञा का पालन करते हुए इन्हें एक बार अपने भाइयों और माता का वध भी करना पड़ा था.

आईये जानते हैं भगवान परशुराम जी के जीवन से जुड़ी 10 महत्वपूर्ण घटनायें-

 

1. भगवान विष्णु के अवतार

परशुराम भगवान त्रेता युग के एक मुनि थे. इन्हें भगवान विष्णु का छठा अवतार माना जाता है. शास्त्रों में कहा जाता है कि भगवान विष्णु जी अपने अवतार रूप को पृथ्वी पर भेजा ताकि धर्म की होने वाली हानि को रोका जा सके.

2. शस्त्रविद्या के महान गुरु

भारत के इतिहास में शस्त्रविद्या में इतने निपुण गुरु आज तक कोई नहीं बन पाया है. इन्होंने भीष्म, द्रोण, अश्वत्थामा के पिता व कर्ण को शस्त्रविद्या प्रदान की थी.

ज्ञात होगा कि कर्ण ने जब छल से इनसे शिक्षा प्राप्त की थी तब कर्ण को इनका श्राप था कि काम आने पर तुम इसी विद्या को भूल जाओगे और महाभारत में ऐसा हुआ था जिस वजह से कर्ण की म्रत्यु हुई थी.

3. हैहय वंशी क्षत्रियों का नाश

परशुराम भगवान रूप में शायद इसीलिए आये थे, क्योंकि हैहय वंशी क्षत्रियों का अहंकार और इनके अत्याचार निरंतर जनता पर बढ़ रहे थे. इन क्षत्रियों का पृथ्वी से 21 बार संहार करने के लिए वह जाने जाते हैं. परशुरामजी ने पृथ्वी पर वैदिक संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया. भारत के अधिकांश ग्राम इन्हीं के द्वारा बसाये गये.

4. माता का वध

हिन्दू शास्त्र में यह कहानी मिलती है कि परशुराम जी को अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए अपनी माता की म्रत्यु करनी पड़ी थी.

एक बार इनकी माता जी हवन के लिए जब गंगा जल लेने गयीं तो वहां गन्धर्वराज चित्ररथ को अप्सराओं के साथ विहार करता देख इनको देर हो गयी और इसी बात से हव क्रुद्ध मुनि जमदग्नि ने अपनी पत्नी के आर्य मर्यादा विरोधी आचरण के लिए इनका वध करने की आज्ञा दी थी जब कोई भी भाई यह कार्य नहीं कर पाया था तब भगवान परशुराम जी ने भाइयों समेत माँ का वध किया था किन्तु जब पिता ने इनसे एक वरदान माँगा तो इन्होनें सभी के लिए फिर से जीवनदान मांग लिया था और सभी फिर से जीवित हो गये थे.

5. पराक्रम के कारक और सत्य के धारक

अत्याचारियों का बोलबाला था उस समय भगवान विष्णु के अंश से जन्म लेकर भगवान परशुराम ने अकेले ही अत्याचारियों का विनाश किया और धर्म की ध्वजा घर-घर में फहराई. यह कभी भी अपने कर्म से डरे नहीं और सदैव सत्य के लिए लड़ते रहे.

6. कामधेनु गाय वापस लाना

सहस्त्रार्जुन जी निगाह इनके पिता के आश्रम में रहने वाली एक कपिला कामधेनु गाय पर गयी और वह इसे चुरा ले गया था बाद में परशुराम जी ने सहस्त्रार्जुन का वध किया और गाय वापस ले आये.

7. पिता की हत्या और परशुराम जी का संकल्प

सहस्त्रार्जुन के पुत्रों ने जब बदले की भावना से परशुराम जी के पिता की हत्या कर दी और इसी दुख से इनकी माता जी सती हो गयी तब इन्होनें संकल्प लिया कि ‘हैहय वंश के सभी क्षत्रियों का नाश करके ही वह दम लेंगे’.

8. फिर से अवतार लेंगे परशुराम जी

कल्कि पुराण में इस बात के सबूत दिए गये हैं कि परशुराम जी धर्म की स्थापना के लिए एक बार फिर से जन्म लेंगे और यह अवतार कल्कि अवतार कहलायेगा. भगवान विष्णु जी कल्कि के गुरु होंगे और युद्ध की शिक्षा देंगे. यह अवतार भगवान शिव से तपस्या करके दिव्यास्त्र भी प्राप्त करेगा.

9. मार्शल आर्ट के दायक

भगवान परशुराम शस्त्र विद्या में सबसे बड़े और ज्ञानी महापुरुष थे. इन्होनें ही एक तरह से विश्व को मार्शल आर्ट की कला दी है. इनका मार्शल आर्ट स्कूल केरल में था.

10. इनसे मिलने वाली शिक्षा

भगवान परशुराम जी के जीवन चरित्र से यह शिक्षा मिलती है कि देश, धर्म व समाज की रक्षा के लिए सदैव अपना सर्वस्व न्योछावर कर देना चाहिए.