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10 बातें जो आज के युवा को सीखनी चाहिए भगवान श्री राम जी से

रोज हम भगवान श्री राम की पूजा और आराधना करते हैं किन्तु कभी राम जी के गुणों को देखने की कोशिश नहीं करते हैं. ना जाने क्यों हम राम जी से कुछ भी सीखना नहीं चाहते हैं? किन्तु सत्य यह है कि यदि हम इनके गुणों का पालन करते हैं तो हमारा जीवन सुखमय हो जायेगा, मात्र आराधना से कोई बात नहीं बनती है, आप रोज सर झुकाओ और कर्म से कपटी बने रहो, तो ऐसे में शान्ति आपको प्राप्त नहीं हो सकती है. आइये पढ़ते हैं 10 बातें जो सीखनी चाहिए हमें भगवान श्री राम जी के जीवन से- आचरण महर्षि वाल्मीकि द्वारा लिखित रामायण में भगवान श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम बताया गया है. श्रीराम भगवान विष्णु के रूप थे. इनके आचरण में हम सदा पवित्रता को देख सकते हैं जो आज हमारे जीवन से गायब हो चुकी है. आज हम आचरण से मतलबी और झूठे हो चुके है. पिता आज्ञा पालन माता कैकेयी चाहती थी उनके पु्त्र भरत राजा बनें, इसलिए उन्होंने राम को, दशरथ द्वारा 14 वर्ष का वनवास दिलाया. पिता नहीं चाहते थे कि राम वनवास जाए किन्तु पिता का वचन पूरा करना था, भगवान राम को पता था कि मेरे पिता मजबूर हैं, वो चाहते तो नहीं है किन्तु उनका वचन पूरा करवाना ही, उनकी आज्ञा का पालन होगा इसलिए भगवान ने अपने लिए वनवास चुन लिया. माता सेवा माँ का ऋण हम कभी नहीं उतार सकते हैं. माँ की सेवा ही सबसे बड़ा पूण्य होती है. भगवान राम जी ने अपने माता जी को हमेशा प्यार दिया, उनकी सेवा की. यही एक बात हम आज भूल गये हैं, माँ की सेवा हमारे जीवन से जैसे गायब ही हो चुकी है. गुरु भक्ति गुरु हमें विद्या देता है. हमें ज्ञान देता है जिसके दम पर हम आगे अपने जीवन में तरक्की करते हैं. किन्तु क्या हम आज गुरु का आदर करते हैं? गुरु की आज्ञा का पालन करते हैं? यही एक वजह आज हमारे पतन का कारण बन रही है. भगवान श्री राम जी ने हमेशा गुरु की भक्ति की है, उनका आदर किया है. धैर्य जीवन की किसी भी घड़ी में भगवान ने अपना धैर्य नहीं खोया है. गुस्सा उनके चेहरे पर कभी नजर नहीं आया. क्रोध काम को बिगाड़ता ही है ना कि उनको सही करता है. इसलिए यह गुण भी हमें भगवान राम जी से जरूर सीखना चाहिए. कर्म श्रीराम भगवान विष्णु के रूप थे. इनके लिए दुनिया में कुछ भी करना संभव था किन्तु फिर भी इन्होनें अपने कर्म किये हैं. कई बार हम दुनिया में कर्म नहीं करना चाहते हैं बस बैठे-बैठे फल की इच्छा करते हैं. किन्तु हमें  समझना चाहिए कि जब भगवान ने भी कर्म किये हैं तो हम क्यों उनको करने से डरते हैं? मानवता मानवता परो धर्म! मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं है. राम जी ने हमेशा मानवता को सबसे बड़ा धर्म माना है. युद्ध ना हो इसलिए भगवान राम अंत तक प्रयास करते रहे. आज हम मानवता को भूल चुके हैं, सड़क पर भी कोई इंसान मरता देखते हैं तो उसकी मदद की कोशिश हम नहीं करते. धर्म की रक्षा धर्म से आगे कोई नहीं होता है. यदि हमारा धर्म ही खत्म हो जायेगा तो हम तो खुद ब खुद खत्म हो जायेंगे. हमें राम जी से सीखना चाहिए ही कैसे हमें धर्म की रक्षा करनी है? धर्म की रक्षा के लिए यदि कोई लड़ाई भी हमें लड़नी पड़े तो उससे हमको मुंह नहीं फेरना चाहिए. नियति को स्वीकार करना नियति में जो लिखा हुआ है हमें वह स्वीकार करना आना चाहिए. नियति से ना कोई लड़ सका है और ना ही लड़ सकता है. बस हाँ इसे साथ हम दोस्ती जरूर कर सकते हैं. यही काम भगवान श्री राम जी ने किया था. कभी नियति को बदलने की कोशिश इन्होनें नहीं की है. दूसरों की चुगली नहीं करो राम जी ने कई बार दूसरों को यह शिक्षा दी है कि भूलकर भी हमें दूसरों की चुगली नहीं करनी चाहिए. इससे मिलने वाला पाप बहुत घातक रहता है. और इंसान तरक्की नहीं कर पाता है. आज हम 24 घंटे में से अधिकतर समय दूसरों की चुगली और उनके बुरे के बारे में ही सोचते हैं. भगवान राम जी के जीवन से इन 10 बातों को हमें जरूर अपनाना चाहिए. जीवन के हमारे आधे दुख तो इनको अपनाने से ही दूर हो जायेंगे.

रोज हम भगवान श्री राम की पूजा और आराधना करते हैं किन्तु कभी भगवान राम जी के गुणों को देखने की कोशिश नहीं करते हैं. ना जाने क्यों हम राम जी से कुछ भी सीखना नहीं चाहते हैं?

किन्तु सत्य यह है कि यदि हम इनके गुणों का पालन करते हैं तो हमारा जीवन सुखमय हो जायेगा,

मात्र आराधना से कोई बात नहीं बनती है, आप रोज सर झुकाओ और कर्म से कपटी बने रहो, तो ऐसे में शान्ति आपको प्राप्त नहीं हो सकती है.

आइये पढ़ते हैं 10 बातें जो सीखनी चाहिए हमें भगवान राम जी के जीवन से-

भगवान राम जी के जीवन से –

  1. आचरण

महर्षि वाल्मीकि द्वारा लिखित रामायण में भगवान श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम बताया गया है. श्रीराम भगवान विष्णु के रूप थे. इनके आचरण में हम सदा पवित्रता को देख सकते हैं जो आज हमारे जीवन से गायब हो चुकी है. आज हम आचरण से मतलबी और झूठे हो चुके है.

aacharan

  1. पिता आज्ञा पालन

माता कैकेयी चाहती थी उनके पु्त्र भरत राजा बनें, इसलिए उन्होंने राम को, दशरथ द्वारा 14 वर्ष का वनवास दिलाया. पिता नहीं चाहते थे कि राम वनवास जाए किन्तु पिता का वचन पूरा करना था, भगवान राम को पता था कि मेरे पिता मजबूर हैं, वो चाहते तो नहीं है किन्तु उनका वचन पूरा करवाना ही, उनकी आज्ञा का पालन होगा इसलिए भगवान ने अपने लिए वनवास चुन लिया.

pitaaagyapalan

  1. माता सेवा

माँ का ऋण हम कभी नहीं उतार सकते हैं. माँ की सेवा ही सबसे बड़ा पूण्य होती है. भगवान राम जी ने अपने माता जी को हमेशा प्यार दिया, उनकी सेवा की. यही एक बात हम आज भूल गये हैं, माँ की सेवा हमारे जीवन से जैसे गायब ही हो चुकी है.

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  1. गुरु भक्ति

गुरु हमें विद्या देता है. हमें ज्ञान देता है जिसके दम पर हम आगे अपने जीवन में तरक्की करते हैं. किन्तु क्या हम आज गुरु का आदर करते हैं? गुरु की आज्ञा का पालन करते हैं? यही एक वजह आज हमारे पतन का कारण बन रही है.

भगवान श्री राम जी ने हमेशा गुरु की भक्ति की है, उनका आदर किया है.

gurubhakti

  1. धैर्य

जीवन की किसी भी घड़ी में भगवान ने अपना धैर्य नहीं खोया है. गुस्सा उनके चेहरे पर कभी नजर नहीं आया. क्रोध काम को बिगाड़ता ही है ना कि उनको सही करता है. इसलिए यह गुण भी हमें भगवान राम जी से जरूर सीखना चाहिए.

dhairya

  1. कर्म

श्रीराम भगवान विष्णु के रूप थे. इनके लिए दुनिया में कुछ भी करना संभव था किन्तु फिर भी इन्होनें अपने कर्म किये हैं.

कई बार हम दुनिया में कर्म नहीं करना चाहते हैं बस बैठे-बैठे फल की इच्छा करते हैं. किन्तु हमें  समझना चाहिए कि जब भगवान ने भी कर्म किये हैं तो हम क्यों उनको करने से डरते हैं?

karma

  1. मानवता

मानवता परो धर्म! मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं है. राम जी ने हमेशा मानवता को सबसे बड़ा धर्म माना है. युद्ध ना हो इसलिए भगवान राम अंत तक प्रयास करते रहे.

आज हम मानवता को भूल चुके हैं, सड़क पर भी कोई इंसान मरता देखते हैं तो उसकी मदद की कोशिश हम नहीं करते.

manavta

  1. धर्म की रक्षा

धर्म से आगे कोई नहीं होता है. यदि हमारा धर्म ही खत्म हो जायेगा तो हम तो खुद ब खुद खत्म हो जायेंगे.

हमें राम जी से सीखना चाहिए ही कैसे हमें धर्म की रक्षा करनी है? धर्म की रक्षा के लिए यदि कोई लड़ाई भी हमें लड़नी पड़े तो उससे हमको मुंह नहीं फेरना चाहिए.

dharmakiraksha

  1. नियति को स्वीकार करना

नियति में जो लिखा हुआ है हमें वह स्वीकार करना आना चाहिए. नियति से ना कोई लड़ सका है और ना ही लड़ सकता है. बस हाँ इसे साथ हम दोस्ती जरूर कर सकते हैं.

यही काम भगवान श्री राम जी ने किया था. कभी नियति को बदलने की कोशिश इन्होनें नहीं की है.

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  1. दूसरों की चुगली नहीं करो

राम जी ने कई बार दूसरों को यह शिक्षा दी है कि भूलकर भी हमें दूसरों की चुगली नहीं करनी चाहिए. इससे मिलने वाला पाप बहुत घातक रहता है. और इंसान तरक्की नहीं कर पाता है.

आज हम 24 घंटे में से अधिकतर समय दूसरों की चुगली और उनके बुरे के बारे में ही सोचते हैं.

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भगवान राम जी के जीवन से इन 10 बातों को हमें जरूर अपनाना चाहिए.

जीवन के हमारे आधे दुख तो इनको अपनाने से ही दूर हो जायेंगे.