ENG | HINDI

भगवान बुद्ध ने भी अपने शास्त्र में सिद्ध किया है कि गाय हिन्दुओं के लिए सबसे ज्यादा पवित्र है !

भगवान बुद्ध

आजकल बड़े जोर-शोर यह बात फैलाई जा रही है कि हिन्दू भी कभी गौमांस खाते थे.

हिन्दुओं के यज्ञों में गौमांस परोसा जाता था और यहाँ तक बोल दिया जाता है कि हिन्दुओं के देवता तक गौ-हत्या में शामिल थे.

इन बातों को जब सामने रखा जाता है तो बड़े-बड़े तथ्य और सबूत भी रखे जाते हैं. बोला जाता है कि हिन्दू पूर्वज गौमांस खाते थे.

साथ ही साथ हिन्दू धर्म को बदनाम करने के लिए बोला जा रहा है कि भगवान बुद्ध के आगमन से पहले तक हिन्दू गौ-हत्या करते थे और बुद्ध के अहिंसा के प्रचलन के बाद ही कहीं गौहत्या हिन्दुओं ने बंद की है.

तो आज हम साबित करेंगे कि भगवान बुद्ध ने तो खुद कई भारतीय शास्त्रों का हवाला देकर यह बताया था कि हिन्दुओं के लिए गाय कितनी पवित्र है. आज जो लोग यह बोलते हैं कि हिन्दू गाय खाते थे, वो  जान लें कि ऐसा इसलिए बोला जाता है क्योकि इन्होनें अंग्रेजों द्वारा अनुवादित शास्त्र पढ़ा है और खुद कभी हिन्दू शास्त्र पढ़ने की कोशिश इनके द्वारा नहीं हुई है.

भगवान बुद्ध

तो आइये पहले प्रमाणित चीजों पर नजर डालते हैं-

इसयो पुब्बका आसु संअत्ता तपस्सिनो ..1…
ब्रह्मचरियं च सिलं च अज्ज्वं मद्द्वं तपं.
सोरच्च अविहिंसं च खन्तिं चापि अवण्णयुं ..9…

पूर्व के ऋषि संयमी और तपस्वी थे. ब्रह्मचर्य, शील, सरलता, नम्रता, तप, मृदुता, करूणा और क्षमा इन गुणों की वे प्रशंसा करते थे.

तंडुलम् सयनम् वत्थं, सप्पिं तेलं च याचिय.
धम्मेन समोधानेत्वा, ततो यंमकप्पयुं.
उपट्ठीतस्मिम् यअसमिं, नास्सु गावो हनिं सू ते. (12)
यथा माता, पिता, भ्राता यअयेवापि च आतक्ता.
गावो नो परमा मित्ता, यासु जायन्ति ओसधा.(13)
अन्नदा बल दा, चेता वणदा सुखदा तथा.
एतमत्थवसं अत्वा नास्सु गावो हनिसु ते. (14)

चावल, शय्या, वस्त्र, घी, तेल की याचना करके धर्म के अनुसार उनका विभाग निकाल कर वे यज्ञ करते थे. वे गौ को मारते नहीं थे. माता, पिता, भाई और बांधवों के समान ही गौओं को वे अपना परम मित्र जानते थे, उनसे औषधि निर्माण होती है. वे अन्न, बल,रूप और सुख देती हैं यह जानकार वे गौओं को मारते नहीं थे.

सुखमाला महाकाया, वणवंतो यसस्सिनो.
ब्राह्मणा सेहि धम्मेहि, किच्चा किच्चेसु उस्सुका..
याव लोके अवतिन्सु सु खमेधित्थयं पजा. (15)

वे सुकुमार, महाकाय, वर्णवान और यशस्वी ब्राह्मण कर्तव्याकर्तव्य का विचार रखते हुए धर्म का ही आचरण करते थे. जब तक ऐसे ब्राह्मण संसार में थे तब तक प्रजा सुखी थी.

भगवान बुद्ध

(उपरोक्त जानकारी को आप लेखक-सुरेन्द्र सिंह बिष्ट की पुस्तक गोमाता भारतीय लोकमानस की चिरंतन आस्था के अध्याय-6 से जांच सकते हैं)

खुद भगवान बुद्ध भी बताते हैं कि हिन्दू धर्म को कैसे बदनाम किया गया है

खुद भगवान बुद्ध बताते हैं कि हिन्दू संत तो काफी धैर्यवान थे और वह वह गायों को मारते नहीं थे. खुद बुद्ध बताते हैं कि हिन्दू धर्म के संत तो धर्मों में लिखा आचरण करते थे. आगे भी भगवान बुद्ध बताते हैं कि-

महाभारत के काफी बाद में छल और कपट से जब कुछ लोगों को ब्राह्मण बनाया गया तो उन्होंने हिन्दू धर्म को नीचा दिखाने के लिए इक्ष्वाकुओं ने यज्ञ में हिंसा प्रारंभ की और बाद में गो की भी हिंसा की थी. बाद में अंग्रेजी लेखकों ने भी सनातन को बदनाम करने के लिए बोला कि हिन्दू गौ-हत्या करते थे. इन लेखकों ने असल में ना तो हमारे वेड पढ़े और ना ही शास्त्र, बाद में जो लेखक नये आये उन्होंने भी इस तथ्य की जाँच करने के लिए कोई अधिक परिश्रम नहीं किया है.

तो इस लेख से यह तो सिद्ध होता है कि भगवान बुद्ध भी गाय को पवित्र मानते थे और उन्होंने खुद लिखा है कि गाय हिन्दुओं के लिए सदियों से पवित्र रही है. गाय के शरीर में सभी हिन्दू देवताओं का निवास स्थान है यह तो सदियों पहले ही बता दिया गया था.

हाँ कुछ लोग गौ-हत्या धन के लालच में और एक षड्यंत्र के लालच में जरुर कर रहे थे किन्तु उनको देखकर यह बोल दिया जाये कि हिन्दू गौ-हत्या करते थे तो यह गलत कथन होगा.