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लोगों ने किया था भिखारी का अंतिम संस्कार करने से मना, फिर विधायक ने निभाई जिम्मेदारी

भिखारी का अंतिम संस्कार

भिखारी का अंतिम संस्कार – भिखारी शब्द सुनते ही आंखों के सामने एक दरिद्र इंसान का चेहरा आ जाता है जो बहुत ही बीमार रहता है और उसके हाथ-पैर बहुत गंदे रहते हैं। जिसे आप कभी भी छूना पसंद नहीं करेंगे।

लेकिन हां, श्राद्ध के मौसम में उन्हें खाना जरूर खिलाया जाता है। क्योंकि लोगों को पुण्य कमाना होता है और अपने पुर्वजों को पापों से मुक्ति दिलाना होता है। उस दौरान तो हर कई भिखारियों के पैर तक छूता है।

लेकिन, इसकी सच्चाई आए दिए खुल जाती है। जब कोई भिखारियों के साथ बुरा बर्ताव करते हैं। हाल ही में एक ऐसी खबर आई है। जब एक मृत भिखारी का पूरे गांव वानों ने अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया।

भिखारी का अंतिम संस्कार –

भिखारी का अंतिम संस्कार

किसी ने भी नहीं किया अंतिम संस्कार

हाल ही में ओडिशा के बौद्ध जिले के कृष्नापल्ली गांव में इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई। जिसमें एक भिखारी के शव का अंतिम संस्कार करने से पूरे गांव वालों ने मना कर दिया। पूरे गांव में एक भी परिवार या एक भी व्यक्ति उस भिखारी का अंतिम संस्कार करने के लिए सामने नहीं आया। ऐसे में छुआछूत तो फिलहाल इस देश से खत्म होने की उम्मीद करना बाकि है।

साइकिल पर बांध कर ले गया शव

कृष्नापल्ली गांव में एक व्यक्ति को मजबूरन अपनी पत्नी की बहन के शव को साइकिल पर बांधकर श्मशान तक ले जाना पड़ा क्योंकि गांव वालों ने लाश को कंधा देने से सिर्फ इसलिए इनकार कर दिया क्योंकि मरने वाली महिला की बहन के पति ने दूसरी जाति में शादी कर ली थी।
कहा जाता है कि मरने के बाद इंसान इस दुनिया से अलग हो जाता है। लेकिन यह भिखारिन मरने के बाद तो दुनिया को छोड़ कर चली गई थी लेकिन इसकी जाति इसके शव के साथ चिपकी हुई थी। यह है भारत की भारतीयता।

भिखारी का अंतिम संस्कार

हद है!!

एक मीडिया हाउस के अनुसार संबलपुर के एक कोलाबीर ब्लॉक में 80 साल की महिला की मौत हो गई। ये बुजुर्ग महिला भीख मांगकर अपना गुजारा करती थी। लेकिन गुरूवार को अचानक उनकी मौत हो गई। भिखारी होने के कारण उनके साथ रहने वाले व्यक्तियों के पास इतने पैसे नहीं थे कि वो उसका अंतिम संस्कार कर सके।

विधायक ने किया अंतिम संस्कार

लेकिन इसी के साथ एक अच्छी खबर भी सुनने को मिली। गौरतलब है कि जब इस घटना के बारे में वहां के BJD विधायक को मालूम चला तो उन्होंने अपने परिवार के कुछ सदस्यों को बुला कर उस महिला के अंतिम संस्कर की पूरी तैयारी करवाई। इसके साथ ही विधायक रमेश पटउा ने उस महिला के शरीर को कंधा भी दिया। जिसकी एक तस्वीर सोशल मीडिया पर इस वक्त काफी वयरल हो रही है।

भिखारी का अंतिम संस्कार

इसलिए किया अंतिम संस्कार

विधायक रमेश पटउा ने गांव वालों से अंतिम संस्कार ना करने का कारण पूछा था कि वे इस भिखारी का अंतिम संस्कार क्यों नहीं कर रहे हैं? तो लोगों का कहना था कि अगर हम इस भिखारी महिला के शव को छुएंगे तो उनकी जाति समाज से उन्हें बहिष्कार कर दिया जाएगा।

इसलिए उन्होंने ये कदम उठाया।

इस घटना के सामने आने के बाद जहां लोग गांव वालों पर गुस्सा कर रहे हैं वहीं लोग विधायक की तारीफ भी कर रहे हैं। इस घटना के बाद इंसना की कट्टरता और इंसानियत दोनों की झलक मिली है। यह घटना दिखाती है कि एक इंसान किस हद तक कट्टर हो सकता है और किस हद तक दयावान भी। केवल ये इंसान पर निर्भर करता है कि वह किसका चुनाव करता है?