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बारामूला हमले के पीछे कहीं पाकिस्तान की ये चाल तो नहीं !

बारामूला हमला

सर्जिकल स्ट्राइक के बाद बारामूला में सेना के कैंप पर आंतकी हमला एक बहुत ही सोची समझी रणनीति के तहत किया गया है.

इस हमले के जरिए पाकिस्तान ने एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की है.

भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद गहरे सदमें में आई पाक सेना ने अभी तक हमले में 50 के करीब आतंकी और उसके दो सेना के जवानों के मारे जाने की बात को स्वीकार नहीं किया है और न कभी कर ही सकती है. यदि वह ऐसा करती है यह उसके लिए आत्मघाती साबित होगा. क्योंकि उस स्थिति में पाक फौज को अपनी जनता के गुस्से को शांत करने के लिए बदले में भारत में सर्जिकल स्ट्राइक कर उसको दोगुना नुकसान पहुंचना होगा. जो कि उसके लिए आसान नहीं है और वह यह भी अच्छी तरह जानता है कि इस आत्मघाती गलती की उसको कितनी भारी कीमत अदा करनी पड़ सकती है.

यही वजह है कि इससे निकलने के लिए पाकिस्तान ने बारामूला हमले के जरिए भारत को अपने जाल में फंसाने के लिए जो चाल चली हैं, उसका एक मकसद उरी हमले से सहमी पाक जनता और आतंकियों को ये संदेश देना है कि पाकिस्तान भारत से डरा नहीं है. क्योंकि भारत ने पाक अधिकृत कश्मीर में घुसकर 7 स्थानों पर जो सर्जिकल स्ट्राइक की थी उसने पाक फौज की मुस्तैदी पर ही सवालिया निशान लगा दिए है.

उरी हमले के बाद पाक सेना और लड़ाकू विमान दिन रात हवा में गस्त कर न केवल जंग का माहौल बनाते दिखे बल्कि पाक सेना प्रमुख जनता में ये दंभ भी भरते नजर आए कि उनके देश की सीमा में कोई परींदा भी पर नहीं मार सकता है. सर्जिकल स्ट्राइक कर भारत ने दोनों ही दावों की हवा निकाल दी.

पाक सेना भले ही जनता के बीच स्वीकार न करें लेकिन आतंकी संगठन और कट्टरपंथी सच्चाई जानते हैं.

हाफिज सईद का बयान इसकी पुष्टि करता है. भारत से बदला लेने को पाक सेना पर इनका भारी दवाब है, क्योंकि उनकों उम्मीद थी कि पाकिस्तान इसका बदला लेने के लिए भारत पर जवाबी कार्रवाई जरूर करेगा लेकिन पाकिस्तान ने अभी तक ऐसा कुछ नहीं किया.

वहीं आतंकी संगठन और कट्टरपंथी भले ही न जाने लेकिन उनकी फौज अच्छी तरह जानती है कि भारत पर हमले का मतलब क्या होगा. इसलिए पाकिस्तान ने बारामूला हमला कराकर न केवल इन लोगों का ध्यान डायवर्ट किया है बल्कि एक प्रकार से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सेना को चुनौती भी दी है.

देखों मैने एक और बारामूला हमला कर दिया, अब हिम्मत है तो इस बार पीओके में घुसकर दिखाओं.

क्योंकि बारामूला हमला पाक सेना ने नहीं आतंकियों ने किया है इसलिए भारत पाक पर सीधा हमला कर विश्व में अपनी छवि हमलावर देश की नहीं बनाएगा. यह पाक जानता है. मोदी को अपनी छवि बचाने के लिए उरी की तरह इस बार भी आतंकी ठिकानों पर ही हमला करना होगा. जो इस बार संभव नहीं लगता क्योंकि पाकिस्तान ने पीओके से सभी आतंकी कैंप हटा दिए हैं.

ऐसी स्थिति में भारत के पास सर्जिकल स्ट्राइक का विकल्प बहुत सीमित हो जाता है.

पाक की कोशिश है कि भारत से सीधे न लड़कर देश के अंदर आतंकी हमले बढ़ाएं जाए. यदि ऐसा होता है तो नरेंद्र मोदी पर जनता और विपक्ष का काफी दवाब पड़ेगा.

वहीं दूसरी ओर पाकिस्तानी सेना को इसको जनता के बीच यह संदेश देकर भुनाने का प्रयास करेगी कि भारत पाक से डर गया है. उसका आतंकवाद को लेकर जीरों टालरेंस और सर्जिकल स्ट्राइक का जो दावा है वह फर्जी है, क्योंकि यदि भारत की सेना उरी हमले के बाद पीओके में घुस सकती है तो बारमूला के बाद भी उसे ऐसा करना चाहिए.

लेकिन जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान शायद भूल रहा है कि आतंकियों और उसको सबक सिखाने के लिए भारत के पास केवल सर्जिकल स्ट्राइक ही विकल्प नहीं हैं.

उसके तुनीर में कई ऐसे बांण है जो सर्जिकल स्ट्राइक से घातक सर्जरी करने में माहिर है.