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क्या बाबा रामदेव की लोकप्रियता कम हो रही है !

रामदेव बाबा

रामदेव बाबा जिन्हें योग ने नाम और शोहरत दिलाई.

अब रामदेव बाबा बहुत बड़ी हस्ती बन चुके हैं, अरबो-खरबों का उनका कारोबार विदेशों तक फैल गया है. उनकी कंपनी पतंजलि ने देसी का जुमला आजमाकर भारत के बहुत बड़े बाज़ार पर कब्जा कर लिया. इतना ही नहीं बाबा रामदेव की राजनीतिक पकड़ भी अच्छी मानी जाती है. बाबा बीजेपी के बहुत बड़े समर्थक रहे है, लेकिन अब हालात पूरी तरह से बदल रहे हैं.

अब न तो बाबा बीजेपी समर्थक रह गए हैं और न ही योग गुरु के रूप में उनकी लोकप्रियता ही पहले जैसी रही है.

हाल ही में रामदेव बाबा ने साफ-साफ कह दिया कि वो 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए प्रचार नहीं करेंगे.

पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी का गुणगान करने वाले बाबा को भला अचानक ऐसा क्या हो गया कि वो बीजेपी से दूरी बना रहे है. इतना ही नहीं महंगाई और पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के लिए भी वो केंद्र सरकार को कोस चुके हैं. दरअसल, ऐसा लग रहा है कि बाबा का बीजेपी से अब मोहभंग हो चुका है या फिर ये भी हो सकता है कि आगामी चुनाव के मद्देनजर वो अपने लिए राजनीति में मज़बूत जगह की तलाश कर रहे हो. दूसरी तरफ पिछले कुछ सालों में उनकी कंपनी पतंजलि ने खूब मुनाफा कमाया और योगगुरु रामदेव बाबा अब बिज़नेसमैन रामदेव बन चुके हैं.

रामदेव को योग की बदौलत जो पहचान और लोकप्रियता मिली थी अब वो कम हो चुकी है, अब उनकी पहचान एक बिज़नेसमैन और राजनीति से जुड़े शख्स के तौर पर ज़्यादा हो रही है. रामदेव ने योग को न सिर्फ भारत, बल्कि दूसरे देशों में भी लोकप्रिय बनाया और उनके योग की बदलौत ही देश में ज़्यादातर लोग अपनी सेहत को लेकर सतर्क हो गए, लेकिन वो योग गुरु रामदेव अब कहीं नज़र नहीं आते.

आज के रामदेव बाबा को देखकर तो यही लगता है कि उनका पूरा फोकस बस अपने बिज़नेस और राजनीति में अपनी जम़ीन मज़बूत करने में है. योग को घर-घर में मशहूर बनाने वाले रामदेव अब पूरी तरह से बदल चुके हैं और कहीं न कही उनकी पुरानी छवि टूटने का असर उनकी लोकप्रियता पर भी हुआ है.

अब देखना ये है कि आगामी लोकसभा चुनाव में रामदेव बाबा किसका समर्थन करते हैं? इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि जनता की भलाई के बारे में सोचने वाले बाबा रामदेव कहीं खुद के भले के उद्देशय से मुख्य राजनीति में ही न शामिल हो जाएं.

 

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