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एक ऐसा देश भक्त जो मरने के बाद भी कर रहा है देश की हिफाज़त!

ऐसी सत्य घटना जो आपने शायद पहले न सुनी हो.

एक ऐसे देश भक्त की कहानी जो मरने के बाद भी सरहद को नहीं छोड़ा और आज भी देश के प्रति अपना फर्ज निभा रहा है.

यह कहानी है हरभजन सिंह की.

हर भजन सिंह एक ऐसे देश भक्त है जिनकी देश भक्ति की कोई मिसाल नहीं.

हरभजन सिंह  के लिए कहा जाता है कि अपने मरने के बाद भी सरहद पर अपनी ड्यूटी दे  रहे है और उसकी  तनख्वाह भी सरकार  उनके घरवालो को पहुंचा देते हैं.

उनकी सेना में एक रेंक है और समय समय पर  उनका प्रमोशन भी किया जाता है.

कुछ साल पहले तक उन्हें 2  महीने की छुट्टी पर गाँव भी भेजा जाता था और  इसके लिए ट्रैन में सीट रिज़र्व की जाती थी. तीन सैनिको उनका सारा सामान लेकर  उनके गाँव तक छोड़ने  जाते थे और  छुट्टी ख़त्म होने के बाद उनको  फिर  सिक्किम लेकर आते थे. जब तक हरभजन  छुट्टी पर रहते थे तो सीमा पर तैनात  सैनिको को उनकी  मदद नहीं मिल पाती थी इसलिए उस समय  पूरा बॉर्डर हाई अलर्ट  रहता था.

हरभजन सिंह का जन्म गुजरावाला में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है.

हरभजन सिंह नौकरी के  2 साल  बाद, सिक्किम में, एक दुर्घटना में मारे गए. बताया जाता है कि  एक दिन जब वो खच्चर पर बैठ कर नदी पार कर रहे थे तो खच्चर सहित नदी में बह गए.

नदी में बहकर उनका शव काफी आगे निकल गया और दो दिन की तलाशी के बाद भी  उनका शव कहीं नहीं  मिला.

दो दिनों के बाद खुद हरभजन ने अपने एक साथी सैनिक के सपने में आकर अपनी शव की जगह बताई. सुबह जब उस जगह में जाकर देखा गया तो हरभजन का शव वहां मौजूद था. उसके शब् का अंतिम संस्कार किया गया. इस घटना के बाद हरभजन सिंह के  साथी सैनिको की उनमे आस्था बढ़ गई और उन्होंने उनके बंकर को एक मंदिर का रूप दे दिया।

जब उनके चमत्कार बढ़ने लगे और वो विशाल जन समूह की आस्था का केंद्र हो गए, तब उनके लिए एक नए मंदिर का निर्माण किया गया जो की ‘बाबा हरभजन सिंह मंदिर’ के नाम से जाना जाता है.

यह मंदिर गंगटोक में जेलेप्ला दर्रे और नाथुला दर्रे के बीच, 13000 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित  है. पुराना बंकर वाला मंदिर इससे 1000 फ़ीट ज्यादा ऊंचाई पर स्थित  है.

मंदिर के अंदर बाबा हरभजन सिंह की एक फोटो और उनका सामान रखा हुआ  है.

मंदिर में बाबा का एक कमरा भी है जिसकी रोज  सफाई करके बिस्तर लगाया जाता है और उनकी  सेना की वर्दी और जुते साफ़ करके रखे जाते हैं.  ये देखा गया है कि रोज़ सफाई करने पर उनके जूतों में कीचड़ और चद्दर पर सलवटे दिखाई देती है.

इस इलाके में आने वाला हर नया सैनिक सबसे पहले उनके दर्शन करने जाते है.

यहाँ के लोगो की मान्यता है कि  इस मंदिर में बोतल में  पानी भरकर तीन दिन के लिए रख दिया जाए तो उस पानी में चमत्कारिक औषधीय गुण आ जाते है और यह  पानी 21 दिन के भीतर प्रयोग में लाया जाये तो बहुत सारे रोग मिट जाते है.  इस कारण  इस मंदिर में नाम लिखी हुई बोतलों का ढेर जमा  रहता है. इस पानी के इस्तेमाल के दौरान मांसाहार और शराब का  सेवन निषेध होता है.

इनका बंकर लाल और पीले रंगो से सज़ा है. सीढ़ियों के दोनों साइड रेलिंग पर नीचे से ऊपर तक घंटिया बंधी होती है. साथ ही  बंकर में कॉपिया रखी होती है  जिसमे लोग अपनी  मुरादे लिखते है.

ऐसा माना जाता है कि इनमे लिखी गई हर मुराद पूरी होती है.

इसी तरह में बंकर में एक ऐसी जगह है जहाँ लोग सिक्के गिराते है यदि वो सिक्का उन्हें वापस मिला जाता है तो वो खुद को भाग्यशाली मानते  हुए उस सिक्के को  हमेशा के लिए अपने पर्स या तिजोरी में रख लेते हैं.

दोनों जगहों का सम्पूर्ण संचालन आर्मी के द्वारा ही किया जाता है.

जिन्दा इंसान देश को बेचकर खा रहें है और एक देश प्रेमी मरकर भी सरहद पर अपना फ़र्ज़ निभा रहें हैं.

ऐसे देश भक्त को सत सत नमन.

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