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महाराष्ट्र के विश्व प्रसिद्ध अष्टविनायक जहाँ गणपति स्वयं प्रकट हुए थे

Ganesh-Chaturthi

वक्रतुण्ड महाकाय​ सूर्यकोटि समप्रभ​।

निर्विघ्नम् कुरु मे देव​ सर्व कार्येषु सर्वदा॥

गणेश हिन्दू धर्मावलम्बियों के लिए प्रथम पूजनीय भगवान माने जाते है. गणेश को रिद्धि सिद्धि और बुद्धि का देवता माना जाता है.

धर्म ग्रंथों के अनुसार गणेश भगवान् शिव और पार्वती के पुत्र है.

पूरे भारत में गणेश पूजन हर शुभ कार्य से पहले किया जाता है. गणेश चतुर्थी के दिन गणेश की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. महाराष्ट्र का सबसे बड़ा उत्सव गणपति उत्सव होता है. गणेश चतुर्थी के दिन शुरू होने वाला ये उत्सव 10 दिन तक चलता है. उत्सव के आखिरी दिन गणपति विसर्जन किया जाता है.

महाराष्ट्र की संस्कृति में गणपति का विशेष स्थान है. भारत के सबसे प्रसिद्ध गणेश मंदिर महाराष्ट्र में स्थित है.

जिस प्रकार भगवान् शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का विशेष महत्व है वैसे ही गणपति उपासना के लिए महाराष्ट्र के अष्टविनायक का विशेष महत्व है.

महाराष्ट्र में गणेश के 8 सबसे प्रसिद्ध मंदिर है इन मंदिरों को ही सयुंक्त रूप से अष्टविनायक कहा जाता है.

ये अष्टविनायक मुंबई और पुणे के आसपास अलग अलग मंदिरों में स्थित है. हर मंदिर की अपनी अपनी कहानी है. अष्टविनायक की यात्रा करने के कुछ विशेष नियम भी है जैसे इस यात्रा का एक क्रम है इन स्थानों पर गणेश की प्रतिमा मिलने का क्रम जिस प्रकार था,उसी क्रम के अनुसार हर गणेश मंदिर की यात्रा करनी पड़ती है और एक बार यात्रा पूरी करने के बाद पुन: पहले विनायक की यात्रा करने पर ही अष्टविनायक की यात्रा का फल मिलता है.

इन सब गणेश मंदिरों की खास बात ये है कि गणेश की मूर्ति एक उनकी सूंड का अकार हर मंदिर में अलग अलग है.

इस श्रृंखला की पहली कड़ी में आज आपको अष्टविनायक के दर्शन करते है और आने वाले भागों में इन सभी मंदिरों के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाएगी.

Moreshwar-Morgaon-Pune

मयूरेश्वर या मोरेश्वर – मोरगाँव, पुणे

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