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आर्य विदेशी नहीं बल्कि भारतीय थे, यूरोप ने हमें गलत जानकारी दी है – स्वामी विवेकानंद

आर्य भारतीय थे – भारत के अधिकतर लोगों ने अपना इतिहास पढ़ा है, उनके जेहन में एक बात अक्सर आती है कि क्या हम आर्यों के वंशज है?

क्या आर्य विदेशी थे? क्या आर्य भारतीय थे ?

अगर आर्य विदेशी थे तो क्या भारत के लिए हम भी विदेशी है?

क्या किताबों में दी गई जानकारी सही है?

अथवा यूरोप ने अपने मनगड़त कहानी सुनाई है?

इस तरह के प्रश्न अक्सर हमारे दिमाग में आते होंगे, जिनका जवाब अगर हम पता करना भी चाहे तो आधुनिक किताबों को पढ़ कर पता नहीं कर सकते, क्योंकि लेखकों ने आर्यों के ऊपर जो किताबे लिखी वह अपनी बौद्धिक क्षमता और योग्यता के अनुसार लिखी है, यूरोप के स्त्रोतों को आधार बना कर लिखी है। अगर आर्यों के बारे में जानना है तो उसके लिए आवश्यकता है, गूढ़ अध्ययन और बौद्धिक तर्क की।

ऐसे में स्वामी विवेकानंद जैसे प्रभावशाली व्यक्ति जिन्हें खुद भारत माता के साक्षात् दर्शन प्राप्त हुए है, उन्होंने भारतवासियों को बताया कि “आर्य विदेशी नहीं बल्कि पूर्णरूप से भारतीय थे, आर्य भारतीय थे”

उन्हें पता था कि भारतीय इतिहास से पर्याप्त छेड़खानी भी की गई है।इसलिए स्वामी जी यह कतई मानने के लिए तैयार नहीं थे कि आर्य विदेशी थे। स्वामी जी भारत के इतिहास की संक्षिप्त व्याख्या देते हुए कहते हैं कि “भारत के किसी भी ग्रन्थ में आर्यों के विदेशी होने का प्रमाण नहीं है बल्कि आर्य भारतीय थे इसके प्रमाण जरूर मिलता है। आर्यों के विदेशी होने के जितने भी प्रमाण मिलते है, उनमेअधिकतर यूरोप के लोगों की भागीदारी है। यूरोप ने अपनी इच्छा अनुसार हम भारतियों के बीच हमारे विदेशी होने की बात फैला दी, ताकि हम अपने देश को अपना देश ना समझ केवल उसे एक आश्रय स्थल समझे.

आगे की व्याख्या करते हुए स्वामी जी कहते है…“यूरोप ने हमेशा ही एक दुसरे को लड़ा कर अपनी रोटियाँ सेंकनी चाही है, प्राचीन समय से ही उसकी नीतियां बहुत बर्बर रही है, अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए मानवता को जहाँ तक नुकसान पहुँचाया जाए उसके लिए कम था। जबकि आर्य इसके विपरीत थे, दूसरों का भला, सांसारिक समृद्धि और मानवता के उत्थान के लिए अच्छे कार्य यही सब उनका लक्ष्य था। इसके फलस्वरूप तभी प्राचीनभारत सम्रद्ध और सोने की चिड़िया था। आर्य शब्द का तो अर्थ ही ‘प्रगतिशील’ होता है।

स्वामी जी के अनुसार प्रमाण के रूप में बात की जाए तो “भारत का एक नाम आर्यावर्त भी है, और इस के अलावा रामायण जैसे ग्रन्थ में कई बार आर्य शब्द का उपयोग हुआ है। आर्य शब्द का वर्णन वेदों में भी मिलता है, अगर आर्य भारतीय ना होते तो इस बात का वर्णन किसी ना किसी भारतीय ग्रन्थ में जरूर मिलता।

इस तरह से आर्य भारतीय थे – स्वामी विवेकानंद भारत के लिए एक युग पुरुष थे। उन्होंने भारतीय लोगों के आध्यात्मिक उत्थान के लिए भरसक प्रयास किये।आर्यों के बारे में जो व्याख्या की वह सच साबित होती है, नहीं तो अंग्रेज हमें आर्यों से नफरत करना ना सिखा रहे होते।

Kuldeep Dwivedi

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