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यह शख्स जो कभी प्रेक्टिकल तौर पर यूज करता था महिलाओं के सेनेटरी पेड।

अरुणाचलम – अक्सर ऐसा होता है कि जब कोई व्यक्ति सब कुछ छोड़ कर समाज के लिए कुछ करने का निर्णय लेता है तब वही समाज उसे पागल, दिवालिया समझते हुए उसका बहिष्कार करने लगता है।

उसके बारे में तरह की बाते करने लगता है लेकिन इस दुनिया में कुछ ऐसे शख्स जिन्हें अगर ईश्वर का अंश भी कहा जाए तो गलत नहीं होगा। क्योंकि ये लोग समाज की बातों की नहीं बल्कि समाज की जरूरतों पर ध्यान देते हैं।

आज हम बात करने वाले हैं, एक ऐसे शख्स की जिसने समाज के लिए अपनी सारी जिंदगी समाज के नाम कर दी।

तमिलनाडु के कोयम्बटूर में रहने वाले पेडमेन यानी अरुणाचलम मुरुगननतम एक गरीब परिवार से हैं। इनके बचपन के हालत इतने बुरे थे कि ये स्कूल की  पढाई भी नहीं कर पाए।

अरुणाचलम अपने दैनिक जीवन में सादगीसे भरे इंसान है, इनका कहना है कि “मुझे शोहरत नहीं चाहिए, क्योंकि शोहरत के आ जाने आपके दुश्मन बनने शुरू हो जाते हैं।”

अब हम आपको अरुणाचलम यानी पेडमेन के उस अविष्कार के बारे में बताते हैं, जिस आविष्कार से उन्होंने भारत और पश्चिम देशों को हिला कर रख दिया। इस अबिष्कार ने इन्हें खूब लोकप्रियता दिलवाई। जबकि लोकप्रियता पाने का इनका कोई उद्देश्य नहीं था। इन्होने अपने दम पर खुद बनाई मशीनों से कम कीमत के सेनेटरी पेड बनाये ताकि महिलायें मासिक धर्म के दौरान परेशानी ना हो। पहले सेनेटरी पेड पश्चिम देशों की कंपनियां बनाती थी, इसलिए इनकी लागत बहुत ज्यादा होती थी। जिससे निम्न वर्ग की महिलायें इन पेड की बजाय कॉटन कपडे का यूज करती थी। जिससे इन्फेक्शन फैलने का खतरा कई गुना तक बढ़ जाता है। अतः इस समस्या से लड़ने के लिए अरुनाचलं ने खुद सेनेटरी पेड बनाने का निर्णय लिया।

इस इनोवेशन को लेकर इनकी लाइफ की जो कहानी है, वह किसी फिल्म की रोचक कहानी से कम नहीं।इन्होने अपने बनाये सेनेटरी पेड अपने घर वालों को यूज करने के लिए कहे, लेकिन मासिक धर्म जैसे विषय पर बात करने के कारण इन्हें घर वालों के विरोध का सामना करना पड़ा।यहाँ तक कि इनकी वाइफ ने भी इनसे तलाक ले लिया। अरुणाचलम ने अपने प्रोडक्ट को सफलता दिलाने के लिए और उसका सही-सही फीड बेक पाने के लिए उन पेड को खुद पहनना शुरू किया। और एक पाइप की मदद से उसमें ब्लडिंग करवाई। ताकि पेड की क्वालिटी का पता लगा सकें।

अरुणाचलम के सामने दूसरी समस्या यह थी कि उस समय सेनेटरी पेड बनाने वाली मशीनों की कीमत करोडो रूपए थी। इसलिए अनपढ़ होने के बावजूद भी अरुणाचलम ने ये मशीने खुद इज़ाद की। वो भी कुछ मामूली लागत में। आज ये मशीने अरुणाचलम की कंपनी जयश्री इंडस्ट्रीज के द्वारा  देश के साथ-साथ विदेशों में भी भेजी जा रही है।

अरुणाचलम के इनोवेशन के कारण सन 2014 में टाइम मेंगज़ीन ने इन्हें दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों में शामिल किया है।  जिसके बाद 2016 में इन्हें पद्म पुरुषकार से भी सम्मानित भी किया गया। इसके अलावा अक्षय कुमार की चर्चित फिल्म पेडमेन इन्ही की बायोग्राफी है, जिसे ट्विंकल खन्ना प्रोडयूस कर रही है। इनके ऊपर अमित विरमानी द्वारा निर्देशित डॉक्यूमेंट्री भी बनाई जा चुकी है जिसका नाम है “मेंसत्रुअल मेन”।

Kuldeep Dwivedi

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