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तो इस कारण से अमिताभ और शत्रुघन सिन्हा के ‘दोस्ताना’ में आई थी दरार !

अमिताभ और शत्रुघ्न

एक समय था जब अमिताभ और शत्रुघ्न के दोस्ताना से लोगों को जलन हो जाती थी और फिर एक दौर आया जब दोनों को एक दूसरे से जलन होने लगी।

अमिताभ और शत्रुघ्न को साथ देखे हुए बरसो बीत गए।

1985 में दोनों की फिल्म ‘अमीर आदमी गरीब आदमीं’ के बाद दोनों को एक साथ स्क्रीन पर देखना सपने जैसा हो। बहुत समय बाद 2008 में जरुर एक बाद फिर दोनों ने ‘यार मेरी जिंदगी’ में साथ काम किया परतुं उनकी दोस्ती में आई खटास कम नहीं हो सकी।

अमिताभ और शत्रुघ्न की दोस्ती में दरार ऐसे ही नहीं आई। अपने कैरियर के शुरुआती दौर में दोनों को बुलंदी पर पहुंचना था। लगातार दोनों की कोशिश में लोगों ने दोनों को एक साथ सराहा भी।

धीरे-धीरे अमिताभ बच्चन बॉलीवुड के ‘बिग बी’ बन गए तो वहीं सत्रुघन सिन्हा ‘शॉर्टगन’ बन गए।

रास्ते का पत्थर, बोम्बे टू गोवा, परवाना जैसी कई फिल्मों में दोनों ने अपने अभिनय का लोहा मनवाया।

1980 में रिलीज होने वाली फिल्म दोस्ताना तक सबकुछ ठीक चलता रहा। दोनों अपने अभिनय के दम पर लोगों का दिल जीतते रहे। लेकिन उसके बाद ही जैसे उनके दोस्ताना को नजर लग गई। उसी साल दिसम्बर में ही दोनों की एक और फिल्म ‘शान’ रिलीज हुई। इस फिल्म ने अमिताभ के कद को बढ़ा दिया। इस फिल्म में अमिताभ की अदाकारी शत्रुघ्न से ज्यादा दमदार थी। इस फिल्म से ही उनकी दोस्ती में दरार पड़ने लगी।

इसके बाद भी दोनों ने ‘काला पत्थर’ और ‘अमीर आदमी गरीब आदमी’ जैसी फिल्में की, लेकिन इसके बाद से ही बॉलीवुड में अमिताभ की मांग बॉलीवुड में बढ़ती गई। बिग बी का कद बॉलीवुड में बड़ा होता गया और शॉर्टगन का कद उनके सामने शॉर्ट होता गया।

शत्रुघ्न के मुकाबले बॉलीवुड में बिग बी को ज्यादा काम मिलने लगा। जिसके कारण शत्रुघ्न और बिग बी की दुरियां बढ़ती गई।

खुद शत्रुघ्न भी इस बात को मान चुके है कि वो दोनों एक दुसरे के प्रतिद्वंदी बन गए और उनके बीच प्रतिस्पर्घा बढ़ गई। बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण उनके बीच बैर पैदा हो गया।

इतना ही नहीं शत्रुघ्न ने दो फिल्मों का एडवांस भी वापस कर दिया क्योंकि वो बिग बी के साथ वो फिल्म नहीं करना चाहते थे।

अपनी पुस्तक ‘एनिथिंग बट खामोशः द सत्रुघन सिन्हां बिबयोग्राफी’ में उन्होंने इस बात का जिक्र भी किया है।

अमिताभ और शत्रुघ्न के बीच की प्रतिस्पर्धा लोगों की आम स्वभाव का नतीजा है। मानव के अंदर ऐसा स्वभाव होता ही है। तभी को कहते हैं- दोस्त अगर फेल हो जाए तो दुख होता है लेकिन अगर दोस्त फस्ट आ जाए तो बहुत ज्यादा दुख होता है।

ऐसा ही कुछ इन दोनों महानायकों के साथ भी हुआ।