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मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अब अपने पापा की भी नहीं सुन रहे !

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव गुस्से में है.

अखिलेश ने जिस तर्ज पर एक घंटे के अंदर दो कैबिनेट मंत्रियों को बर्खास्त किया है, उसको देखकर लगता है कि उत्तर प्रदेश के टीपू सुल्तान अब किसी की भी नहीं सुन रहे हैं, यहां तक के अपने पापा और समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव की भी.

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पहले तो बेहद चर्चित और मुलायम सिंह यादव के करीबी मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को बाहर किया. उसके ठीक एक घंटे बाद कैबिनेट मंत्री राजकिशोर सिंह को बर्खास्त कर दिया.

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जैसे ही मुलायम सिंह यादव के करीबी मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को बर्खास्त किया लखनउ से लेकर दिल्ली तक सियासी गलियारों में हड़कम्प मच गया. बर्खास्तगी की खबर से समाजवादी पार्टी में प्रजापति और मुलायम के करीबी लोग भौचक रह गए. पार्टी में लोग अभी एक दूसरे से बर्खास्तगी के कारण पूछ रहे हैं कि आखिर मुलामय के करीबी मंत्री को जिस प्रकार अखिलेश ने हटाया है उसके सियासी मायने क्या है.

क्योंकि इस पूरे घटनाक्रम में बर्खास्तगी की टाइमिंग बहुत महत्वपूर्ण है. जिसको लेकर सबसे ज्यादा सवाल उठा रहे हैं.

मुख्यमंत्री का यह फैसला ऐसे समय आया है, जब दिल्ली में पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव और सपा महासचिव प्रोफेसर राम गोपाल यादव के साथ उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव की तैयारी को लेकर बैठक कर रहे थे.

इस  बर्खास्तगी को सियासी जुबान में अखिलेश की बगावत के रूप में भी देखा जा रहा है. लेकिन अखिलेश पहली बार फार्म में आए है ऐसा नहीं है.

इसके पहले भी वे कई मौको पर अपने बगावती तेवर दिखा चुके हैं.

मुलायम सिंह यादव ने जब अखिलेश के करीबी युवा नेताओं सुनील साजन और आनन्द सिंह भदौरिया को पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में सपा से बाहर का रास्ता दिखाया था तो नाराज अखिलेश ने सैफई महोत्सव के उद्घाटन प्रोग्राम का बहिष्कार कर दिया था और वे सैफई नहीं गए, तीन दिन बाद अपनी पत्नी डिम्पल यादव के साथ तब गए, जब दोनों का निष्कासन रद्द किया गया

इसके पहले जुलाई महीने में कौमी एकता दल के समाजवादी पार्टी में विलय की घोषणा से अखिलेश यादव खासे नाराज हो गए थे उस वक्त उन्होंने इस विलय के लिए जिम्मेदार बलराम सिंह यादव को अपने मंत्रिमंडल से हटा भी दिया था.

बता दे कि बलराम सिंह यादव मुलायम के पुराने साथी और बेहद करीबी हैं.

बाद में मुलायम सिंह यादव को अखिलेश यादव के सामने झुकना पडा और कौमी एकता दल का सपा में विलय रद्द करना पड़ा तब जाकर अखिलेश ने बलराम सिंह यादव की मंत्रिमंडल में वापस लिया था.

अभी कुछ समय पहले ही मुलायम ने अखिलेश को मंच से फटकार लगाते हुए कहा कि अखिलेश के मंत्री बोझ के समान हैं, मुख्यमंत्री और इनके मंत्रियों की वजह से पार्टी बर्बाद हो जाएगी, राष्ट्रीय पार्टी को उन्होंने बड़ी मुश्किलों से खड़ा किया है, लेकिन इस एपीसोड के बाद लगता है कि अखिलेश बोझ करने के नाम पर मुलायम सिंह यादव के चहेते मंत्रियों को ही बाहर का रास्ता दिखा रहे हैं.