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एडवेन्चर ट्रेकर्स को याद आते है छत्रपति शिवाजी महाराज मानसून की दस्तक पर

मानसून करीब आ रहा है. ऐसे वक़्त में एडवेन्चर ट्रेकर्स और प्रकृति प्रेमी अपनी छुट्टियां प्लान करने में जुट जाते है.

इन्ही ट्रेकर्स और प्रकृति प्रेमीयों को मानसून आते ही छत्रपति शिवाजी महाराज की बेहद  याद आती है. महाराष्ट्र कि शान सहयाद्री पर्वत श्रृंखला मानसून के वक़्त एक दुलहन की तरह सज जाती है. इन्ही पर्वत श्रृंखलाओं में स्थित है शिवाजी महाराज द्वारा बनाये गए किले.

जिन लोगों को शिवाजी महाराज के बारे में पता है वे कभी न कभी किसी किले पर जरुरु जाकर आये होते है. और कुछ ऐसे भी है की घूमने के बहाने किलों पर जाकर महाराज की शूर वीरता के बारे में थोडा बहुत जान लेते है. यही महान गाथाए और किलों की खूबसूरती एडवेन्चररस ट्रेकर्स, प्रकृति प्रेमी और महाराज के भक्तगणों (मावळे) को मानसून के वक़्त किले आकर्षित करते ही है.

सहयाद्री की गोद में ऐसे ही अलोकिक तामीर है जो ट्रेकिंग के लिए प्रसिध्द है. जहा जाना हर कोई पसंद करता है.

१.  सिंहगढ

पुणे से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक प्रसिद्ध ट्रेकिंग एवं पिकनिक स्थल है सिंहगड. शिवाजी महाराज के एक परम योधा ने अपने प्राणों कि आहुति दे कर यह गढ दिलवाया था. उसी वक़्त से सिंह जैसे जीगर रखनेवाले योध्दा को समर्पित गढ़ का नाम सिंहगढ़ कर दिया. मानसून के वक़्त यहा गढ़ पर जरुरत से ज्यादा चहल पहल रहती है. छात्र, प्रेमी युगल, दोस्तों के झुण्ड, विदेशी पर्यटक, नेचर प्रेमी और ट्रेकर्स का तांता लगा रहता है. गढ़ पर कुछ स्थानिक लोग रहते है जो छोटे छोटे ढाबे चलाते नज़र आयेंगे. कुछ लोग तो केवल यहा पर कंदा भाजी(प्याज़ के पकोड़े), झुनका भाकर और ठेचा( बेसन कि सब्जी और जवार/बाजरे की रोटी लहसुन मिर्च चटनी) खाने और चाय पीने के लिए दूर दूर से आते है.

सिंहगढ ट्रेकिंग

स्थिति: सेंट्रल पुणे से 30 किलोमीटर दूर

ऊँचाई: समुद्र तल से ऊँचाई 4320 फीट

कठिनाई स्तर: मध्यम

२. रायगढ़

यह किला ट्रेकिंग और शिविर के लिए आदर्श माना जाता है. जिन्हें ट्रेकिंग नहीं आती उनके लिए यहा रोपवे का भी प्रबंध  किया गया है. गढ पर काफी कमरे है जहा आप टेंट लगा कर रात बिता सकते है. देखने के लिए कई पॉइंट्स और मंदिर है जिससे यह ट्रेकर्स हमेशा आना पसंद करते है. अगर आप रात में यात्रा करने के लिए योजना बना रहे हैं तो आप अपने साथ अच्छा फ़्लैश लाईट रखे, और ऐसी जगह अपना टेंट लगाये जहा पेड़ो से गिरते कीड़ो से बच सके.

रायगढ़ ट्रेक:

स्थिति: रायगढ़ जिला

ऊँचाई: समुद्र स्तर से 2700 ऊपर

कठिनाई स्तर: मध्यम

३.   लोहगढ

अगर आप पहली बार ट्रेक पर जा रहे हो तो यह गढ  आप के लिए बहुत ही शानदार अनुभव दे सकता है.प्राकृतिक और ठंडी हवा के क्षेत्र में सुंदरता से भरे लोहगढ लोनावाला से कुछ ही दुरी पर बसा है. यह एक प्रमुख किला है जो शिवाजी महाराज ने बनाया था. लोहगढ पर मराठी राजवंशों द्वारा कई वस्तु निर्माण किये है, यहा पर अधिक पर्यटक मुंबई और पुणे से आते है. लोहगढ पश्चिमी घाट का हिस्सा है. यह समुद्र तल से १०३३ मीटर (३३८९ फीट) की ऊंचाई पर है, और दक्षिण पश्चिम में स्थित विस्पुर किले की ओर है.

लोहगढ ट्रेक

स्थिति: लोनावाला के निकट

ऊँचाई: समुद्र स्तर से 3450 फीट ऊपर

कठिनाई स्तर: आसान

४.  रतनगढ

२००० साल पुराना यह गढ  शिवाजी महाराज का एक प्रिय गढ रह चूका है. रतन वाडी में बसा रतनगढ के करीब सबसे पुराना कृत्रिम जलग्रहण है. रतनगढ पर एक पर्वत है जिसेमें छेद होने के कारन नेधे मतलब सुईं कि आंख कहा जाता है. गणेश,हनुमान, कोंकण और त्रिम्बक नाम के चार द्वार है और कई सारे पानी के कुए भी मौजूद है.

रतनगढ़ ट्रेक:

स्थान: रतन वाडी, भंदरदरा के निकट अहमदनगर

ऊँचाई: समुद्र स्तर से 4250 फीट ऊपर

कठिनाई स्तर: मध्यम

५.  तोरण उर्फ़ प्रचंडगढ

मराठा साम्राज्य के लिए ऐतिहासिक जीत १६४३ में पहली बार तोरणगढ हासिल करने के बाद मिली. समुद्र के स्तर से 1405 मीटर की ऊंचाई के पहाड़ी पर यह गढ होने के कारन इसे प्रचंडगढ भी कहा जाता है. तोरण ट्रेक मार्ग ३ भागो विभाजित है. प्रारंभिक पहाड़ की चडाई, पठार(plateau) और अतिम तोरणगढ में बिनी दरवाजा.

तोरण ट्रेक

स्थिति: पुणे से 60 किलोमीटर

ऊँचाई: समुद्र स्तर से 4610 फीट ऊपर

कठिनाई स्तर: मध्यम

किलों से महाराष्ट्र की एक अलग पहचान है. महाराष्ट्र में करीब ३५० किले है, छत्रपति शिवाजी महाराज के भक्त इन किलो की मरम्मत करते नज़र आयेंगे, मगर इतना उन्हें बुलंद रखने के लिए पर्याप्त नहीं होता है.

सरकार भी इन किलो की मरम्मत के लिए सिर्फ वादो की पुड़िया देती नजर आती है, जब इन किलों कि आपबीती खुद आप आखों से देखते है. तब पता चलता है की सच में सरकार कितनी बचन बध्द है. यही वो सरकार है जो विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए अरब सागर में शिवाजी महाराज का स्मारक बनाने की बात कर रहे है.

जो किले अब खंडहर में तबदील हो रहे है, उन्हें ही सरकार क्यू नहीं मरम्मत करा रही है. मानो शिवाजी महाराज का आशीर्वाद केवल दिखावे तक ही इन सताधारियों को मिला है. वीरों का अभिमान सफ़ेद पाशों में लुप्त हो गया है.

Neelam Burde

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Neelam Burde

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