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आध्यात्मिक विचारधारा और परमात्मा से जुड़ने का एकमात्र जरिया है आध्यात्म योग मिशन !

आध्यात्म योग मिशन

आध्यात्म योग मिशन – कहते हैं कि परमात्मा की इच्छा के बगैर इस संसार में एक पत्ता भी नहीं हिल सकता है. इस संसार के कण-कण में परमात्मा का वास है जो निराकार होकर भी इस संपूर्ण सृष्टि को चला रहा है.

परब्रह्मा परमात्मा निराकार भले ही हैं लेकिन आध्यात्मिक विचारधारा से जुड़कर उन्हें कोई भी मानव साकार रुप में जान सकता है और आध्यात्म योग मिशन ही वो जरिया है जिससे मानव आध्यात्मिक तौर पर परमात्मा से जुड़ सकता है.

आध्यात्म योग मिशन का उद्देश्य

आध्यात्म योग मिशन कोई धर्म, मजहब या संप्रदाय नहीं बल्कि एक आध्यात्मिक विचारधारा है, जो परमात्मा के साकार रुप को जानने और उनसे जुड़ने का एकमात्र जरिया है.

आध्यात्म योग मिशन समाज में सत्य, अहिंसा, आध्यात्मिक जागरुकता के द्वारा विश्व बंधुत्व की स्थापना में विश्वास रखता है. इस मिशन की मान्यता है कि परब्राह्मा परमात्मा निराकार होकर भी साकार रुप में जानने योग्य है और इस सत्य को ब्रह्मवेत्ता व सदगुरु की कृपा से मानव शरीर के रहते हुए जाना जा सकता है.

यह मिशन इस स्थापित सिद्धांत में विश्वास रखता है कि परमात्मा का स्वरुप निराकार भले ही है लेकिन आध्यात्म के मार्ग पर चलकर उन्हें साकार रुप में ना सिर्फ अनुभव किया जा सकता है बल्कि उनकी भक्ति भी की जा सकती है.

मानव हमेशा भगवान को पाने के लिए भक्ति का मार्ग चुनता है लेकिन इस मिशन की मान्यता है कि पहले इंसान को अपने आप को जानना चाहिए तभी वो परमात्मा की भक्ति कर पाएगा और उसके भीतर दैवीय गुणों का प्रवेश हो पाएगा.

जब मानव निराकार रुप में सर्वव्यापी परमात्मा को अपने अंतर्मन में अनुभव करेगा तब उसके भीतर अपनेपन, प्यार और सेवा की भावना उत्पन्न होगी. जिससे मानव के भीतर समर्पण की भावना आएगी और उसके संपूर्ण जीवन को भक्तिमय बना देगी.

आध्यात्म योग मिशन की स्थापना

संत कुलानंद ब्रह्मचारी की प्रेरणा से साल 1999 में उनके शिष्य मधु सूदन जी ने आध्यात्म योग मिशन की स्थापना की थी ताकि इस मिशन के जरिए मानव को आध्यात्म और निराकार परब्रह्मा परमात्मा से जोड़ा जा सके.

इस मिशन ने परमात्मा से जुड़ने के लिए चार आध्यात्मिक पथ बताए हैं. जिसमें कर्मयोग, भक्तियोग, राजयोग और ज्ञानयोग का जिक्र किया गया है. कर्मयोग निष्काम सेवा का पथ, भक्तियोग ईश्वर की भक्ति का पथ, राजयोग आत्म संयम का पथ जबकि ज्ञानयोग को विवेक का पथ बताया जाता है.

आध्यात्म योग मिशन पूरी तरह से मानव के आध्यात्मीकरण में विश्वास रखता है. आध्यात्म योग मानव के व्यक्तित्व, मानसिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक स्वरुपों में सामंजस्य लाता है और उसे सुंदर स्वस्थ व समृद्धिशाली जीवन प्रदान करता है.

आध्यात्म योग मिशन

जाति,धर्म के बंधनों से परे है ये मिशन

यह मिशन किसी धर्म, मजहब, जाति या किसी पवित्र मत विशेष का विरोधी नहीं है. यह किसी की सच्ची भावना का खंडन नहीं करता है बल्कि सभी धर्मों में निहित मूलभूत आध्यात्मिक मूल्यों को मानता है.

यह मिशन अज्ञान से ज्ञान, निर्बलता से सबलता, असामंजस्य से सामंजस्य, घृणा से प्रेम, अभाव से पूर्णता के साथ ही व्यक्ति को आशा, निर्बल को बल, रोगी को स्वस्थ बनाने के लिए सराहनीय प्रयास कर रहा है. आध्यात्म योग मिशन इस जगत में एकता और विश्व बंधुत्व को स्थापित करने की ओर सतत प्रयासरत है.

मिशन के आध्यात्मिक सिद्धांतों ने विभिन्न वर्गों, मान्यताओं और धर्म प्रेमियों को प्रभावित किया है. वे सभी धर्म प्रेमी जो यह मानते हैं कि परमात्मा को किसी भी नाम से भले ही पुकारा जाता है लेकिन वो एक ही हैं. ऐसे ही लोग इस मिशन से जुड़ रहे हैं. यह मिशन विभिन्न आस्थाओं, संस्कृतियों, सभ्यताओं को एक सूत्र में बांधकर सर्वधर्म समभाव की भावना में विश्वास रखता है.

आध्यात्म योग मिशन के पांच नियम

आध्यात्म योग मिशन ने संसारिक जीवन के लिए व्यवहारिक पांच नियम बनाए हैं. इस मिशन से जुड़ने वाले हर जिज्ञासु, भक्त को ज्ञान प्राप्त करने से पहले इन पांच नियमों पर चलने का संकल्प लेना अनिवार्य है.

1- योग, कर्मसुखौशलम में विश्वास करना.

2- मजहब, जाति वर्ण, आश्रम का अभिमान नहीं करना.

3- तन,मन परमात्मा का है इन्हें परमात्मा का ही मानना, इसके कारण अभिमान नहीं करना और मानव मात्र से प्रेम करना.

4- किसी दूसरे से उनकी भिन्नता, खाने-पीने व पहनने की आदतों से घृणा नहीं करना.

5- सदगुरु द्वारा प्रदान किए गए ज्ञान को सदगुरु की स्वीकृति के बिना नहीं खोलना. अपने आपको ज्ञानी समझने के अहम से बचाना है.

बहरहाल यह आध्यात्म योग मिशन के माध्यम से जीवन जीने की कला सिखाती है. क्योंकि योग एक संपूर्ण जीवन है जो मानव के व्यक्तित्व का कायापलट कर देती है. इसलिए इस मिशन से जुड़कर मानव आध्यात्म की राह पर चलकर निराकार परमात्मा से जुड़कर अपने जीवन को सुखमय बना सकता है.