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तिरंगा लहराने वाली हिमा दास से जुड़ी ये बातें आप नहीं जानते होंगे

भारत की एथलिट हिमा दास

भारत की एथलिट हिमा दास – इंटरनेशनल स्‍तर पर भारत को खेल के क्षेत्र में कई बार सम्‍मान मिला है और इस साल भी कुछ ऐसा ही हुआ। इस साल असम की एक सामान्‍य सी लड़की ने वो कर दिखाया जो अब तक कोई भी भारतीय नहीं कर पाया था।

जी हां, असम की रहनेवाली हिमा दास रातोंरात सुर्खियों में आ गई हैं। उन्‍होंने आईएएएफ विश्‍व अंडर 20 एथलेटिक्‍स चैंपियनशिप में महिलाओं की 400 मीटर की दौड़ में पहला मुकाम हासिल किया है। इस स्‍तर पर उन्‍हें खिताब के साथ विश्‍व स्‍तर पर स्‍वर्ण पदक भी मिला है और इसके साथ वो गोल्‍ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट भी बन गई हैं।

जीत के बाद हिमा ने पूरे ग्राउंड में तिरंगा लहराया और ये देखकर हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो गया होगा। खुशी के इस मौके पर हिमा ने असम की संस्‍कृति का प्रताक माना जाने वाला गमछा भी अपने गले में डाल रखा था।

आइए जानते हैं कि भारत को इतनी बड़ी उपलब्धि दिलाने वाली भारत की एथलिट हिमा दास कौन हैं और यहां तक पहुंचने में उन्‍हें कितने संघर्षों का सामना करना पड़ा।

कौन हैं भारत की एथलिट हिमा दास 

भारत की एथलिट हिमा दास असम के एक छोटे से गांव ढिंग की रहने वाली हैं और उनका जन्‍म 9 जनवरी, 2000 को हुआ था।

हिमा अभी सिर्फ 18 साल की हैं और इतनी कम उम्र में इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल करना वाकई में बहुत तारीफ के काबिल है। हिमा के पिता एक किसान हैं और उसकी मां घर संभालती हैं। अपने 6 भाई-बहनों में हिमा सबसे छोटी हैं और हिमा को उनके माता-पिता ने बिलकुल लड़कों की तरह पाला है। हिमा बचपन में फुटबॉल खेला करती थीं और इसी दौरान उसकी मुलाकात निपोन दास से हुई जोकि आज हिमा के कोच हैं। उनकी मदद से ही आज हिमा यहां तक पहुंच पाई है।

हिमा को एथलीट्स में आने के लिए निपोन ने उनके परिवार को राजी किया। निपोन का कहना है कि हिमा की लगन और मेहनत को देखकर ही उन्‍होंने उसे चुना था और आज वो सही साबित हुए। परिवार की मर्जी के बाद निपोन उसे गुवाहाटी ले आए ताकि वो अपनी तैयारी अच्‍छे से कर सके। यहां पर हिमा ने स्‍टेट एकेडमी ज्‍वॉइन किया और किराए के घर में रहने लगी। वो कहते हैं ना कि कुछ भी पाने के लिए संघर्ष तो करना ही पड़ता है, बस हिमा का संघर्ष भी शुरु हो चुका था। आज हिमा जिस मुकाम तक पहुंची है उसके लिए उसने बहुत मेहनत की है।

इस रेस तक का सफर

इस साल अप्रैल में गोल्‍ड कोस्‍ट में हुए राष्‍ट्रमंडल खेलों की 400 मीटर की दौड़ में भारतीय अंडर रिकॉर्ड 51.32 सेकेंड के समय में वो छठे स्‍थान पर थीं। इसके बाद गुवाहाटी में हाल ही में राष्‍ट्रीय अंर्तराज्‍यीय चैंपियन‍शिप में हिमा ने 51.13 सेकेंड के साथ अपने इस रिकॉर्ड को सुधारा। इस दौड़ में हिमा 35वें सेकेंड तक टॉप 3 खिलाडियों में शामिल नहीं थी लेकिन आखिरी 100 मीटर में वो ऐसे दौड़ी की सबसे आगे आ गईं। इस जीत के बाद हिमा को गोल्‍ड मेडल से सम्‍मानित किया गया।

भारत की एथलिट हिमा दास की जीत की खुशी में जब राष्‍ट्रगान बज रहा था तो उनकी आंखों में आंसू आ गए थे।